छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की स्पष्टता: सरकारी निकायों से संबंधित सभी टेंडर, अनुबंध मामलों की सुनवाई डिवीजन बेंच करेगी

Amir Ahmad

28 May 2025 2:02 PM IST

  • छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की स्पष्टता: सरकारी निकायों से संबंधित सभी टेंडर, अनुबंध मामलों की सुनवाई डिवीजन बेंच करेगी

    छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की फुल बेंच ने हाईकोर्ट नियमावली, 2007 के नियम 23(1)(iv) से संबंधित अस्पष्टता को दूर करते हुए स्पष्ट किया कि सरकार/सार्वजनिक उपक्रम/स्थानीय निकाय/वैधानिक निकायों से संबंधित सभी टेंडर/अनुबंध मामलों की सुनवाई डिवीजन बेंच द्वारा की जाएगी।

    नियम 23(1)(iv) के अनुसार पहले से यह प्रावधान था कि सरकारी टेंडर/अनुबंध से जुड़ी रिट याचिकाओं की सुनवाई डिवीजन बेंच करेगी।

    4 अप्रैल, 2017 को एक अधिसूचना के जरिए इस नियम को संशोधित किया गया और नया नियम लाया गया, जिसमें सिर्फ अनुबंध/टेंडर के 'आवंटन या समाप्ति' से संबंधित याचिकाओं को डिवीजन बेंच के समक्ष सुनवाई योग्य बताया गया।

    यहीं से यह भ्रम उत्पन्न हुआ कि अन्य पहलुओं से जुड़ी याचिकाएं (जैसे शो-कॉज नोटिस आदि) सिंगल बेंच सुनेगी या डिवीजन बेंच।

    फुल बेंच की राय:

    चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा, जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास और जस्टिस नरेश कुमार चंद्रवंशी की पीठ ने कहा,

    "इस भ्रम को दूर करने हेतु हमारा स्पष्ट मत है कि सरकार/सार्वजनिक उपक्रम/स्थानीय निकाय/वैधानिक निकाय से संबंधित अनुबंध/टेंडर के सभी मामलों की सुनवाई डिवीजन बेंच द्वारा की जानी चाहिए और नियम 23(1)(iv) को उसके मूल रूप (2017 की अधिसूचना से पूर्व) में प्रभावी माना जाना चाहिए।"

    मामले के पृष्ठभूमि:

    यह फैसला एक डिवीजन बेंच द्वारा किए गए संदर्भ पर आया, जो कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट नियम, 2007 की धारा 35 के तहत किया गया।

    इसमें निम्नलिखित दो प्रश्न पूछे गए:

    क्या जब किसी टेंडर/अनुबंध को लेकर शो-कॉज नोटिस को चुनौती दी जाती है (जो सरकार/उपक्रम/निकाय आदि से जुड़ा हो), तो वह डिवीजन बेंच सुनेगी या सिंगल बेंच?

    क्या ऐसे सभी मामलों (अनुबंध/टेंडर का आवंटन या समाप्ति) को डिवीजन बेंच द्वारा ही सुना जाना चाहिए?

    फुल बेंच के समक्ष यह प्रश्न इसलिए उठा, क्योंकि एक ही याचिकाकर्ता द्वारा दायर दो बैच की याचिकाएं, जिनका विषयवस्तु एक ही था, एक बार सिंगल बेंच के सामने और एक बार डिवीजन बेंच के समक्ष सूचीबद्ध हो गईं।

    इसमें डिवीजन बेंच ने कहा कि अगर मामला टेंडर के आवंटन/शर्तों/रद्दीकरण आदि से जुड़ा हो तो वह डिवीजन बेंच सुने, लेकिन यदि सिर्फ ब्लैकलिस्टिंग हेतु जारी नोटिस को चुनौती दी जा रही हो तो मामला सिंगल बेंच के समक्ष सुना जा सकता है। इसी कारण नियम में संशोधन हुआ और भ्रम की स्थिति बनी।

    फुल बेंच की टिप्पणी

    फुल बेंच ने कहा कि विवेक एंटरप्राइज़ेस वाले निर्णय में कृत्रिम अंतर पैदा किया गया, जबकि मूल नियम 23(1)(iv) पूरी तरह स्पष्ट और व्यापक था। संशोधित नियम ने अनिश्चितता और असंगति पैदा कर दी।

    फुल बेंच ने कहा,

    "हमें डिवीजन बेंच द्वारा WPC No. 2414/2016 में की गई टिप्पणियों को स्वीकार करने का कोई औचित्य नहीं दिखता।"

    निष्कर्ष:

    फुल बेंच ने 2007 के नियम 23(1)(iv) को उसके संशोधन से पहले की स्थिति में लागू करने का निर्देश दिया और रजिस्ट्री को उचित कार्रवाई करने के लिए कहा।

    केस टाइटल: M/s. A.K. Construction बनाम छत्तीसगढ़ राज्य एवं अन्य (बंच याचिकाएं)

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