छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने मल्हार महोत्सव के लिए स्वीकृत 20 लाख की राशि जारी करने की मांग वाली जनहित याचिका खारिज की

Amir Ahmad

21 April 2025 5:34 AM

  • छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने मल्हार महोत्सव के लिए स्वीकृत 20 लाख की राशि जारी करने की मांग वाली जनहित याचिका खारिज की

    छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने दिनांक 2.04.2025 के आदेश द्वारा बिलासपुर लोकहित सांस्कृतिक सेवा समिति, मल्हार के अध्यक्ष द्वारा दायर जनहित याचिका खारिज की। इस याचिका में न्यायालय से अनुरोध किया गया था कि राज्य प्राधिकारियों को मल्हार महोत्सव के सुचारू आयोजन के लिए स्वीकृत 20 लाख रुपये की राशि जारी करने का निर्देश दिया जाए जिसे वित्तीय बाधाओं के कारण पिछले छह वर्षों से आयोजित नहीं किया गया।

    चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की खंडपीठ ने इस संबंध में कहा,

    "यह याचिकाकर्ताओं का निजी एजेंडा और निजी उद्देश्य है, जिसे जनहित याचिका नहीं कहा जा सकता। यह भी देखते हुए कि जनहित याचिकाएं मुख्य रूप से सभी को न्याय तक पहुंच प्रदान करने के विचार से उत्पन्न हुई हैं। विशेष रूप से उन लोगों को जिन्हें समाज द्वारा आवाज़हीन माना जाता है और निजी कारण या निजी एजेंडे/उद्देश्य के लिए नहीं, हमें हस्तक्षेप करने का कोई अच्छा आधार नहीं मिलता है।”

    मामले की पृष्ठभूमि

    प्रारंभ में छत्तीसगढ़ राज्य के माननीय मुख्यमंत्री ने 23 नवंबर 2024 को बिलासपुर की अपनी यात्रा के दौरान महोत्सव के पुनरुद्धार का समर्थन करने के लिए मल्हार महोत्सव के लिए अनुदान को 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये करने की घोषणा की थी। केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री ने महोत्सव के अनुदान को बढ़ाने के संबंध में सिफारिश की थी, जिसके बाद संस्कृति और राजभाषा विभाग ने एक स्वीकृति पत्र जारी किया था।

    स्थानीय निकाय चुनावों के कारण आदर्श आचार संहिता (MCC) लागू होने से संबंधित कारणों का हवाला देते हुए राशि प्रदान नहीं की गई। जबकि चुनाव संपन्न हो चुके थे और MCC हटा दी गई तो प्रतिवादियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। तदनुसार, स्वीकृत राशि जारी करने और बाद में कलेक्टर कार्यालय को उत्सव के प्रबंधन में हस्तक्षेप करने से रोकने और याचिकाकर्ताओं के संगठन को पिछली प्रथाओं के अनुसार, कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति देने की मांग करते हुए एक जनहित याचिका दायर की गई थी।

    याचिकाकर्ता का कहना था कि राशि स्वीकृत करने में देरी के कारण 29, 30 और 31 मार्च, 2025 को होने वाले महोत्सव का समय पर आयोजन खतरे में पड़ गया। इसके अतिरिक्त यह भी कहा गया कि सांस्कृतिक कार्यक्रम की सुरक्षा करना राज्य का कर्तव्य है और प्रतिवादियों की ओर से की गई निष्क्रियता से न केवल छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक महत्व के स्थल मल्हार के लोगों को अपूरणीय क्षति होगी। इसकी सांस्कृतिक विरासत को नुकसान पहुंचेगा, बल्कि याचिकाकर्ताओं की वैध अपेक्षाओं और भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 19 के तहत गारंटीकृत संवैधानिक अधिकारों का भी उल्लंघन होगा।

    दूसरी ओर प्रतिवादियों ने तर्क दिया कि उक्त मुद्दा सार्वजनिक मुद्दा नहीं था और मुख्य रूप से याचिकाकर्ता के निजी एजेंडे से प्रेरित था।

    निष्कर्ष

    न्यायालय ने जोर देकर कहा कि यह सुनिश्चित करने का कर्तव्य न्यायालय का है कि जनहित याचिका दायर करने के पीछे कोई व्यक्तिगत लाभ, निजी मकसद और अप्रत्यक्ष नोटिस न हो और जनहित याचिका की पवित्रता बनाए रखने के लिए न्यायालयों को वास्तविक और प्रामाणिक जनहित याचिकाओं को प्रोत्साहित करना चाहिए और बाहरी विचारों के लिए दायर की गई जनहित याचिकाओं को प्रभावी ढंग से हतोत्साहित करना चाहिए।

    इस पहलू में न्यायालय ने आगे कहा,

    "न्यायालय को अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करते समय तथा जनहित याचिका पर निर्णय लेते समय बहुत सावधानी बरतनी चाहिए। मुख्यतः इस कारण से कि व्यापक अधिकार क्षेत्र असंतुष्ट वादी द्वारा विधि की प्रक्रिया के दुरुपयोग का स्रोत न बन जाए। इस तरह का सावधानीपूर्वक प्रयोग यह सुनिश्चित करने के लिए भी आवश्यक है कि मुकदमा वास्तविक हो, बाहरी विचारों से प्रेरित न हो तथा वादी पर सही तथ्य प्रकट करने तथा न्यायालय में साफ-सुथरे हाथों से आने का दायित्व हो। इस प्रकार, यह आवश्यक है कि इस श्रेणी में केवल जनहित में तथा सद्भावनापूर्ण याचिकाओं पर विचार किया जाए। विधि की प्रक्रिया का दुरुपयोग अनिवार्य रूप से किसी भी जनहित के विरुद्ध है, जो व्यक्ति विधि की प्रक्रिया का दुरुपयोग करता है उसे किसी जनहित की सेवा करने वाला नहीं कहा जा सकता, न ही व्यापक जनहित की।"

    उपरोक्त अवलोकन पर विचार करते हुए न्यायालय ने पाया कि याचिका निजी एजेंडे तथा निजी उद्देश्य पर आधारित थी तथा इसमें जनहित का कोई मुद्दा शामिल नहीं था, जिसके लिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत न्यायालय के अधिकार क्षेत्र का आह्वान किया जा सके। तदनुसार, न्यायालय ने जनहित याचिका को खारिज कर दिया।

    केस टाइटल: बिलासपुर लोकहित सांस्कृतिक सेवा समिति, मल्हार बनाम छत्तीसगढ़ राज्य

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