छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने चाकू के अनियमित व्यापार और बढ़ती चाकूबाजी की घटनाओं का स्वतः संज्ञान लिया
Amir Ahmad
19 Aug 2025 12:08 PM IST

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पान की दुकानों, जनरल स्टोर्स और उपहार की दुकानों में चाकूओं की अनियमित उपलब्धता का दावा करने वाली मीडिया रिपोर्ट का स्वतः संज्ञान लिया, जिसके अनुसार बिलासपुर में चाकूबाजी की घटनाओं में वृद्धि हुई। न्यायालय ने राज्य सरकार को इसे रोकने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देने का निर्देश दिया।
न्यायालय ने एक हिंदी दैनिक में प्रकाशित मीडिया रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें दावा किया गया कि पान की दुकानों, जनरल स्टोर्स और उपहार की दुकानों में धारदार हथियार आसानी से उपलब्ध हैं। विभिन्न स्थानों पर दुकानदार बिना किसी उचित जांच या नियमन के इन्हें आसानी से बेच रहे हैं।
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बिभु दत्ता गुरु की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा,
“पुलिस के तमाम प्रयासों के बावजूद शहर इस समस्या से जूझ रहा है। मामूली विवादों के कारण घटनाएं घट रही हैं।
पुलिस ने कई महीनों में मामले दर्ज किए, जिनमें सिविल लाइन और सरकंडा इलाकों में उल्लेखनीय घटनाएं शामिल हैं। इसके अलावा, ऑनलाइन और स्थानीय दुकानों दोनों में चाकुओं की आसान उपलब्धता इस समस्या को और बढ़ा देती है। अधिकारियों ने शस्त्र अधिनियम के तहत कार्रवाई की, लेकिन इस प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए एक अधिक प्रभावी रणनीति की आवश्यकता है। इसलिए धारदार हथियारों के दुरुपयोग को रोकने के लिए कड़े नियम और प्रवर्तन आवश्यक हैं।”
मामले की पृष्ठभूमि
मीडिया रिपोर्ट में आगे दावा किया गया कि दुकानदार बिना कोई सवाल पूछे या खरीदार की मंशा की पुष्टि किए नाबालिगों सहित किसी को भी चाकू बेचने को तैयार हैं। इसमें आगे कहा गया कि बिलासपुर में चाकूबाजी की घटनाओं का एक खतरनाक और परेशान करने वाला चलन देखा गया, जहां केवल सात महीनों में 120 मामले सामने आए, जिसके परिणामस्वरूप सात मौतें और 122 घायल हुए हैं।
इस संबंध में खंडपीठ ने चेतावनी दी,
“निगरानी और नियमन की यह कमी छुरा घोंपने जैसी हिंसक घटनाओं में वृद्धि का कारण बन सकती है। जन सुरक्षा को लेकर चिंताएं पैदा करती है।”
राज्य ने न्यायालय को सूचित किया कि ऑफ़लाइन बिक्री के अलावा विभिन्न चाकू ऑनलाइन वेबसाइटों पर भी बेचे जा रहे हैं और राज्य ने ऐसे चाकूओं की बिक्री पर कार्रवाई की।
इस पृष्ठभूमि में न्यायालय ने निर्देश दिया,
“पुलिस विभाग सीधे राज्य के गृह विभाग के नियंत्रण में है, इसलिए यह न्यायालय यह उचित समझता है कि गृह विभाग, छत्तीसगढ़ सरकार, रायपुर के प्रमुख सचिव को प्रतिवादी संख्या 6 के रूप में पक्षकार बनाया जाए, जो उपरोक्त समाचार और ऐसे चाकुओं की बिक्री पर आसानी से अंकुश लगाने के लिए उठाए गए कदमों के संबंध में अपना व्यक्तिगत हलफनामा दायर करेंगे।”
मामला अब आगे की सुनवाई के लिए 25 अगस्त को सूचीबद्ध है।
केस टाइटल: स्वप्रेरणा बनाम छत्तीसगढ़ राज्य एवं अन्य।

