जिला अस्पताल में महिला गार्ड के मरीज को इंजेक्शन लगाने की खबर पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञान
Amir Ahmad
25 Aug 2025 12:34 PM IST

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने जिला अस्पताल गरियाबंद में एक महिला सुरक्षा गार्ड द्वारा स्टाफ नर्स के स्थान पर मरीज को इंजेक्शन लगाने की घटना पर मीडिया रिपोर्ट का स्वतः संज्ञान लिया।
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बिभु दत्ता गुरु की खंडपीठ ने इस घटना पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा,
"एक प्रशिक्षित नर्स के स्थान पर सुरक्षा गार्ड द्वारा मरीज को इंजेक्शन लगाया जाना न केवल मेडिकल आचार संहिता और पेशेवर मानकों का उल्लंघन है बल्कि यह जिला अस्पताल के संचालन निगरानी और जवाबदेही में भारी प्रणालीगत विफलता का स्पष्ट उदाहरण भी है। इस प्रकार की लापरवाही सरकारी चिकित्सा संस्थानों पर जनता के भरोसे को तोड़ती है और इलाज के लिए आने वाले मरीजों की सुरक्षा को खतरे में डालती है।"
घटना का खुलासा तब हुआ, जब एक पूर्व नगर पार्षद ने इस कथित कृत्य को कैमरे में कैद कर लिया और उसका फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मामले की जानकारी मिलते ही कलेक्टर ने संज्ञान लेते हुए स्वास्थ्य विभाग की बदनामी को देखते हुए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) और सिविल सर्जन को कारण बताओ नोटिस जारी कर अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी।
हाईकोर्ट की खंडपीठ ने नोटिस जारी करने को पर्याप्त कार्रवाई मानने से इनकार किया और कहा,
"सिर्फ नोटिस जारी कर देना तब तक पर्याप्त प्रतिक्रिया नहीं मानी जा सकती, जब तक इसके साथ ठोस और प्रभावी सुधारात्मक कदम न उठाए जाएं। संस्थागत निगरानी को मजबूत करने, जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई तय करने और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस तंत्र स्थापित करना आवश्यक है।"
अदालत ने जिला कलेक्टर को निर्देश दिया कि वे व्यक्तिगत हलफनामा दायर करें, जिसमें यह स्पष्ट करें कि कारण बताओ नोटिसों के बाद क्या-क्या ठोस कदम उठाए गए और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए क्या निवारक उपाय किए गए।
मामले की अगली सुनवाई 28 अगस्त, 2025 को निर्धारित की गई।
टाइटल: In The Matter Of Suo Moto Public Interest Litigation v. The State Of Chhattisgarh

