यौन इरादे से बच्चे के निजी अंगों को छूना POCSO एक्ट आकर्षित करने के लिए पर्याप्त, चोट की अनुपस्थिति प्रासंगिक नहीं : बॉम्बे हाईकोर्ट (वीडियो)
Sharafat
26 Aug 2022 7:36 AM GMT
![यौन इरादे से बच्चे के निजी अंगों को छूना POCSO एक्ट आकर्षित करने के लिए पर्याप्त, चोट की अनुपस्थिति प्रासंगिक नहीं : बॉम्बे हाईकोर्ट (वीडियो) यौन इरादे से बच्चे के निजी अंगों को छूना POCSO एक्ट आकर्षित करने के लिए पर्याप्त, चोट की अनुपस्थिति प्रासंगिक नहीं : बॉम्बे हाईकोर्ट (वीडियो)](https://hindi.livelaw.in/h-upload/2022/08/26/750x450_432305-pocso-charu-800x480.jpg)
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि केवल यौन इरादे से बच्चे के निजी अंगों को छूना POCSO एक्ट (The Protection of Children from Sexual Offences Act) की धारा 7 के तहत यौन उत्पीड़न के रूप में माना जाने के लिए पर्याप्त है। इसके साथ ही चोट का प्रदर्शन करने वाला मेडिकल सर्टिफिकेट अनिवार्य नहीं है।
कोर्ट ने कहा,
"मेडिकल सर्टिफिकेट में उल्लिखित चोट की अनुपस्थिति से उसके मामले में कोई फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि POCSO एक्ट की धारा 7 के तहत परिभाषित यौन उत्पीड़न के अपराध की प्रकृति में POCSO एक्ट की धारा 8 के साथ पठित धारा 7 के प्रावधान में उल्लेख है कि यौन इरादे से निजी अंग को छूना भी आकर्षित करने के लिए पर्याप्त है।"
जस्टिस सारंग कोतवाल ने 2013 में नाबालिग लड़की के यौन उत्पीड़न के लिए दोषी ठहराए गए व्यक्ति की अपील खारिज कर दी। नवंबर, 2017 में उसे भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा धारा 354 और PCOSO एक्ट की धारा 8 के तहत दोषी ठहराया गया था और उसे पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी।
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