'आप हमसे यह नहीं कह सकते कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पारित किया है, सुप्रीम कोर्ट अकेले निपटेगा': दिल्ली हाईकोर्ट ने ऑक्सीजन मुद्दे पर केंद्र से कहा

LiveLaw News Network

4 May 2021 3:10 AM GMT

  • आप हमसे यह नहीं कह सकते कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पारित किया है, सुप्रीम कोर्ट अकेले निपटेगा: दिल्ली हाईकोर्ट ने ऑक्सीजन मुद्दे पर केंद्र से कहा

    दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को केंद्र के उस तर्क को स्वीकार करने से इनकार कर दिया, जिसमें केंद्र ने कहा कि हाईकोर्ट चिकित्सकीय ऑक्सीजन की कमी के मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकता है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर संज्ञान ले चुका है।

    न्यायमूर्ति विपिन सांघी के नेतृत्व वाली पीठ ने भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा से कहा कि,

    "आप हमसे यह नहीं कह सकते कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पारित किया है और सर्वोच्च न्यायालय अकेले ही इससे निपटेगा। हम सभी को क्रियान्वित करना होगा और हम सभी कर्तव्य बाध्य हैं।"

    पीठ के समक्ष एएसजी शर्मा ने प्रस्तुत किया कि मामले में शीर्ष अदालत द्वारा निर्देश दिए गए हैं और इसलिए यह मामला उच्चतम न्यायालय के समक्ष होना चाहिए। एएसजी शर्मा ने यह भी कहा कि उच्च न्यायालय उच्चतम न्यायालय का निष्पादन अदालत नहीं हो सकता है।

    एएसजी शर्मा ने कहा कि,

    "यौर लॉर्डशिप से मैं सम्मानपूर्वक कहता हूं कि अब जब सुप्रीम कोर्ट ने बहुत स्पष्ट रूप से पूर्ण विस्तृत तंत्र और निर्देश दिए हैं और पक्षकार भी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष हैं तो इस मामले को सुप्रीम कोर्ट को देखने दें। केवल उन निर्देशों का पालन करें, इससे कोई दोहराव नहीं होगा।"

    न्यायमूर्ति सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की खंडपीठ ने शर्मा को निर्देश दिया कि वह केंद्र से निर्देश लें कि जब दिल्ली के डिप्टी सीएम ने रक्षा मंत्री से COVID19 महामारी में सहायता के लिए बातचीत कर ली गई है तो फिर जल्द से जल्द सशस्त्र बलों की सहायता से सुविधाएं, ऑक्सीजन की आपूर्ति आदि उपलब्ध कराई जाएं।

    पीठ ने एएसजी को जवाब देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ऑक्सीजन और राज्य के सहयोग के मुद्दे पर विचार किया है और निपटाया है, लेकिन अस्पतालों में बेड की कमी के पर कुछ नहीं कहा गया है।

    पीठ ने यह भी कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का पालन करने के लिए उच्च न्यायालय बाध्य है।

    दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने सुनवाई के दौरान केंद्र से सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का अनुपालन करने के लिए कहा ताकि ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित किया जा सके। शर्मा ने मेहरा की सबमिशन पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह नहीं लिया जाना चाहिए कि यह कोर्ट सुप्रीम कोर्ट की एक निष्पादित अदालत है।

    खंडपीठ ने एएसजी शर्मा को विशेष रूप से मुद्दे पर आने के लिए कहा (दिल्ली के डिप्टी सीएम का रक्षा मंत्री को सेना की सहायता प्रदान करने के संबंध में पत्र)

    न्यायमूर्ति सांघी ने कहा कि,

    "शर्मा आप हमें यह नहीं कह सकते कि सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश पारित किया है और सर्वोच्च न्यायालय अकेले इससे निपटेगा। हम सभी को क्रियान्वित करना होगा और हम सभी कर्तव्य बाध्य हैं।"

    एएसजी शर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले से निपटा जा रहा है कि उसने इस पर संज्ञान लिया है।

    एएसजी शर्मा ने कहा कि,

    "मेरा प्रयास केवल यह है कि जिन क्षेत्रों पर सुप्रीम कोर्ट ने कुछ नहीं कहा है, न्यायालय उस पर दिशा-निर्देशों दे सकता है। बस ध्यान यह रखना है कि कहीं भी ओवरलैप नहीं होना चहिए।"

    एएसजी शर्मा ने आगे कहा कि,

    "सभी यह कह रहे हैं कि सर्वोच्च न्यायालय इस मामले को देख रहा है और इसका मुख्य बिंदु यह है कि उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में संज्ञान लिया है। आदेश में अनिवार्य लाइसेंस और पेटेंट अधिनियम का भी उल्लेख किया गया है।"

    एएसजी शर्मा ने आगे कहा कि उच्च न्यायालय केवल उन क्षेत्रों पर आदेश पारित कर सकता है जिन पर सर्वोच्च न्यायालय ने संज्ञान नहीं लिया है ताकि ओवरलैप न हो।

    न्यायमूर्ति सांघी ने स्पष्ट किया कि यदि सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि ऑक्सीजन अनुमानित मांग 700 मीट्रिक टन है तो हम इस पर समीक्षा नहीं कर रहे रहे हैं कि नहीं यह 800 या 600 होना चाहिए। हम इसमें हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं।"

    बेंच ने कहा कि,

    "सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला आया है, हम सभी को इसे लागू करना होगा।"

    न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने टिप्पणी की कि,

    "आप क्यों नहीं लागू कर रहे हैं, आपको जवाब देना होगा कि जल्दी से। यह मुख्य बिंदु है!"

    न्यायमूर्ति सांघी ने कहा कि,

    "और आप यह नहीं कह सकते कि हम आपसे वह सवाल पूछने के हकदार नहीं हैं।"

    बेंच ने आगे कहा, "हम सुप्रीम कोर्ट के हर निर्देश का पालन सुनिश्चित करना अपना कर्तव्य मानते हैं।"

    एएसजी शर्मा ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने जिस क्षेत्र की मैपिंग की है, वह निश्चित और सुरक्षित है। यह अदालत इस मामले में नहीं जाएगी और जो भी कोर्ट का आदेश आएगा हम सभी उसका पालन करेंगे।"

    वरिष्ठ अधिवक्ता कृष्णन वेणुगोपाल ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने विशेष रूप से स्पष्ट किया कि वे इन मामलों में उच्च न्यायालय को अधिकार क्षेत्र से बाहर नहीं कर रहे हैं।

    आगे कहा कि "हालांकि मूल संवैधानिक स्थिति यह है कि सुप्रीम कोर्ट और यौर लॉर्डशिप कोर्ट का समन्वय कर रहे हैं और आज भी यह स्थिति बनी हुई है और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के पालन में यह न्यायालय अपनी संवैधानिक स्थिति को नहीं छोड़ सकता है।"

    बेंच COVID-19 स्थिति और राष्ट्रीय राजधानी में चिकित्सकीय ऑक्सीजन की आपूर्ति से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही थी।

    दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्र को यह भी निर्देश दिया कि वह दिल्ली के डिप्टी सीएम द्वारा रक्षा मंत्री से COVID19 महामारी में सशस्त्र बलों की सहायता से सुविधाएं, ऑक्सीजन की आपूर्ति आदि उपलब्ध कराने के लिए की गई बातचीत पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट प्रस्तुत करें।

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