कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को जम्मू-कश्मीर टेरर फंडिंग मामले में उम्र कैद की सज़ा

Sharafat

25 May 2022 1:05 PM GMT

  • कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को जम्मू-कश्मीर टेरर फंडिंग मामले में उम्र कैद की सज़ा

    दिल्ली की एक विशेष एनआईए अदालत ने बुधवार को कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को जम्मू-कश्मीर टेरर फंडिंग मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद उम्रकैद की सजा सुनाई।

    मलिक ने मामले में अपना दोष स्वीकार किया था और अपने खिलाफ लगे आरोपों का विरोध नहीं किया था।

    विशेष एनआईए न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने इस साल मार्च में मामले में गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत मलिक और अन्य के खिलाफ आरोप तय किए थे। हालांकि मलिक ने इन आरोपों में अपना गुनाह कबूल कर लिया था।

    जिन अन्य लोगों पर आरोप लगाया गया और मुकदमे का दावा किया गया, उनमें हाफिज मुहम्मद सईद, शब्बीर अहमद शाह, हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख सलाहुद्दीन, राशिद इंजीनियर, जहूर अहमद शाह वटाली, शाहिद-उल-इस्लाम, अल्ताफ अहमद शाह @ फंटूश, नईम खान, फारूक अहमद डार @ बिट्टा कराटे शामिल हैं।

    हालांकि, कोर्ट ने तीन कामरान यूसुफ, जावेद अहमद भट्ट और सैयदाआसिया फिरदौस अंद्राबी को आरोपमुक्त कर दिया था।

    चार्जशीट के अनुसार, विभिन्न आतंकवादी संगठन जैसे लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), हिज्ब-उल-मुजाहिद्दीन (एचएम), जम्मू और कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ), जैश-ए-मोहम्मद (JeM) ने आईएसआई के समर्थन से नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमला करके कश्मीर घाटी में हिंसा को अंजाम दिया था।

    यह आरोप लगाया गया कि जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी और आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए हवाला सहित विभिन्न अवैध चैनलों के माध्यम से घरेलू और विदेश में धन एकत्र किया गया था। इस तरह आरोपी ने सुरक्षा बलों पर पथराव करके घाटी में व्यवधान पैदा करने के लिए एक बड़ी साजिश को अंजाम दिया गया था। इन साजिशों में व्यवस्थित रूप से स्कूलों को जलाना, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना और भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ना शामिल है।

    आगे यह भी आरोप लगाया गया कि वर्ष 1993 में अलगाववादी गतिविधियों को राजनीतिक मोर्चा देने के लिए ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (APHC) का गठन किया गया था।

    गृह मंत्रालय ने 30 मई, 2017 के आदेश के तहत एनआईए को मामला दर्ज करने का निर्देश दिया। इस प्रकार भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120बी, 121, 121ए और यूएपीए की धारा 13, 16, 17, 18, 20, 38, 39 और 40 के तहत अपराधों के लिए मामला दर्ज किया गया था।

    आरोप तय करते समय रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री पर विचार करते हुए न्यायालय का विचार था कि गवाहों के बयानों और दस्तावेजी साक्ष्यों ने आरोपी व्यक्तियों को एक-दूसरे से जोड़ा और अलगाव के सामान्य उद्देश्य के तहत आतंकवादी या आतंकवादी संगठनों के साथ उनका घनिष्ठ संबंध था।"

    केस टाइटल: एनआईए बनाम हाफिज मुहम्मद सईद और अन्य।

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