'अतीक का रिट थाना क्षेत्र में चलता है, सरकार का नहीं': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विधायक राजू पाल हत्याकांड के आरोपी की जमानत रद्द की

Sharafat

6 March 2023 8:58 AM GMT

  • अतीक का रिट थाना क्षेत्र में चलता है, सरकार का नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विधायक राजू पाल हत्याकांड के आरोपी की जमानत रद्द की

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज में तत्कालीन बसपा विधायक राजू पाल की 2005 में हुई हत्या के एक आरोपी (फरहान) की जमानत रद्द करते हुए पाया कि थाना धोमनगंज/धूमनगंज, प्रयागराज के क्षेत्र में राज्य सरकार का रिट नहीं चलता, बल्कि खूंखार अपराधी अतीक अहमद का हुक्म चलता है।

    अदालत ने इस प्रकार देखा क्योंकि यह नोट किया गया कि राजू पाल और हत्या के मामले के मुख्य गवाह उमेश पाल (पिछले महीने जिनकी हत्या कर दी गई) दोनों को हमलावरों ने कथित रूप से पूर्व सांसद अतीक अहमद के इशारे पर मार डाला था।

    जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की पीठ ने कहा,

    " ...हाल ही में राजू पाल के मामले के एक मुख्य गवाह को अतीक अहमद और उसके गिरोह के सदस्यों द्वारा कथित रूप से एक दिनदहाड़े घटना में सबसे भीषण और दुस्साहसी तरीके से खत्म कर दिया गया। सभी अपराध पुलिस स्टेशन धोमनगंज, प्रयागराज में दर्ज हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि थाना धोमनगंज के क्षेत्र में राज्य सरकार का रिट नहीं चलता, बल्कि खूंखार अपराधी अतीक अहमद का रिट चलता है।"

    अदालत उमेश पाल (जो पिछले महीने मारा गया) द्वारा दायर जमानत रद्द करने की याचिका पर विचार कर रही थी, जिसमें यह पाया गया कि आरोपी फरहान एक कठोर अपराधी है, जो आरोपी अतीक अहमद के नेतृत्व वाले उत्तर प्रदेश के सबसे खतरनाक गिरोहों में से एक है।

    अदालत ने यह भी कहा कि हत्या के मामले (जिसमें मौजूदा विधायक राजू पाल और उनके दो सुरक्षा गार्डों की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई) में निचली अदालत द्वारा दी गई जमानत पर छूटने के बाद उसने एक के बाद एक जघन्य प्रकृति के अपराध किए।

    अभियुक्त फरहान को सत्र न्यायाधीश, इलाहाबाद द्वारा वर्ष 2005 में जमानत दी गई थी, हालांकि, जमानत पर रिहा होने के बाद, उसका नाम 25 मामलों में आरोपी के रूप में सामने आया, जिसमें आईपीसी की धारा 302 के तहत तीन अपराध, आईपीसी की धारा 364 के तहत तीन अपराध, और आईपीसी की धारा 307 और आईपीसी की धारा 376-डी के तहत अपराध शामिल हैं।

    अदालत ने पाया कि उसके खिलाफ मामलों को ध्यान में रखते हुए उसने न केवल जमानत के नियमों और शर्तों का उल्लंघन किया, बल्कि वह हत्या के तीन मामलों सहित कई अपराधों में भी शामिल रहा है।

    नतीजतन यह पाते हुए कि अभियुक्त-प्रतिवादी गवाहों के लिए खतरा होगा और उसकी स्वतंत्रता कानून का पालन करने वाले नागरिकों और गवाहों के जीवन, सुरक्षा और सुरक्षा के लिए खतरा होगी, अदालत ने उसकी जमानत रद्द कर दी।

    अपीयरेंस


    आवेदक के वकील: राकेश दुबे, प्रवीण कुमार पांडेय, संजय कुमार यादव

    विरोधी पक्ष के वकील: जीए, ज्ञान प्रकाश, इमरान उल्लाह

    केस टाइटल - कृष्ण कुमार पाल @ उमेश पाल बनाम यूपी राज्य और 2 अन्य [CRIMINAL MISC. जमानत रद्द आवेदन नंबर -5/ 2019]

    साइटेशन : 2023 लाइवलॉ (एबी) 86

    आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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