जब कोई पुरुष किसी महिला को छूता है तो महिला उसका इरादा समझती है, बॉम्बे हाईकोर्ट ने फ्लाइट में छेड़छाड़ के दोषी की सज़ा निलंबित की
LiveLaw News Network
7 March 2020 5:15 PM IST
बॉम्बे हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते एक व्यवसायी विकास सचदेवा की सजा निलंबित कर दी। विकास को 17 साल की अभिनेत्री के साथ फ्लाइट में छेड़छाड़ का दोषी पाया गया था और उसे स्पेशल पॉक्सो कोर्ट ने आईपीसी की धारा 354 और POCSO (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम) एक्ट की धारा 8 के तहत दोषी ठहराया गया था।
न्यायमूर्ति पी.के चव्हाण ने सचदेवा की सजा के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई की। उसे दोषी करार दिए जाने के बाद तीन साल कैद की सजा भी दी गई थी। हालांकि स्पेशल कोर्ट ने उसी दिन जमानत देने के लिए सचदेवा की अर्जी को स्वीकार कर लिया था और वर्तमान अपील दायर करने के लिए समय देते हुए उसकी सजा को निलंबित कर दिया था। फरवरी में सचदेवा ने स्पेशल कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अपील दायर की थी।
अभिनेत्री, जो घटना के समय 17 वर्ष की थी, उसने सोशल मीडिया पर इस बारे में बताया था। उसने बताया था कि जब वह दिल्ली से मुम्बई जा रही एयर विस्तारा की फ्लाइट में सोने की कोशिश कर रही थी, उस समय सचदेवा लगातार उसकी पीठ और गर्दन पर अपना पैर रगड़ रहा था। उसने यह भी बताया कि उसने घटना के बारे में फ्लाइट के स्टाफ को सूचित किया था,परंतु उसके बावजूद उन्होंने उसकी मदद नहीं की।
सचदेवा की ओर से पेश हुए, अधिवक्ता अनिकेत निकम ने दलील दी कि मामले की शिकायतकर्ता के बयान और मामले के अन्य प्रत्यक्षदर्शियों के बयान के बीच विरोधाभास था।
निकम ने तर्क दिया कि चालक दल के सदस्यों ने स्पष्ट रूप से यह बताया था कि आरोपी को पूरी यात्रा के दौरान सोता हुआ पाया गया था और इस तरह की कोई घटना नहीं देखी गई। उन्होंने यह भी कहा कि दो बिजनेस क्लास सीटों के बीच की दूरी को देखते हुए उसके क्लाइंट का पैर शिकायतकर्ता के कंधे को नहीं छू सकता था।
इस पर, न्यायमूर्ति चव्हाण ने कहा
''उसके झूठ बोलने का कोई कारण नहीं है और एक महिला कम बोल सकती है लेकिन वह समझती अधिक है। यह महिलाओं के लिए एक स्वाभाविक उपहार है कि वे स्पर्श को समझती हैं।
"देखिए, हो सकता है एक आदमी न समझ सके लेकिन एक महिला को जब कोई पुरुष छूता हाइ तो वह उसके इरादे को समझती है। वह केवल पीड़िता है जो आरोपी व्यक्ति की आपराधिक मनःस्थिति के बारे में बता सकती है।"
इसके बाद, न्यायमूर्ति चव्हाण ने सचदेवा के वकील से पूछा-
''आप (सचदेवा) बिजनेस क्लास में यात्रा कर रहे थे, जहां आपके पास बहुत सारी जगह होती है, फिर किसी और के आर्म रेस्ट पर अपने पैर क्यों रखे?''
निकम ने आगे कहा कि न तो शिकायतकर्ता और न ही उसकी मां ने चालक दल के सदस्यों से शिकायत की और वास्तव में वह मुस्कुराते हुए फ्लाइट से बाहर चली गई।
कोर्ट ने कहा,
" यह गणित नहीं है। इस तरह की स्थिति का सामना करने पर एक महिला को कैसा व्यवहार करना चाहिए या कैसी प्रतिक्रिया देनी चाहिए। इसके लिए कोई स्ट्रेटिजिक फॉर्मूला नहीं है।"
न्यायमूर्ति चव्हाण ने यह भी कहा कि प्रत्येक महिला स्थानीय ट्रेनों और बसों में ऐसी घटनाओं का अनुभव करती है।
कोर्ट ने कहा कि चूंकि अपील में सुनवाई जल्द समाप्त होने की संभावना नहीं है और दी गई सजा कम है, इसलिए उसे निलंबित किया जा सकता है, इसलिए अपील की सुनवाई होने तक सजा को निलंबित कर दिया गया है।
सचदेवा को 25,000-25000 रुपये के दो जमानती पेश करने का निर्देश दिया गया है। साथ ही कहा गया है कि सत्र अदालत की पूर्व अनुमति के बिना वह मुंबई से बाहर न जाए।