घरेलू स्तर पर कपड़े सिलने वाली पत्नी भरण-पोषण की हकदार; वेल्डर-पति पर्याप्त आय वाले कुशल कामगार की तरह : राजस्थान हाईकोर्ट

Sharafat

14 Jun 2022 12:40 PM GMT

  • घरेलू स्तर पर कपड़े सिलने वाली पत्नी भरण-पोषण की हकदार; वेल्डर-पति पर्याप्त आय वाले कुशल कामगार की तरह : राजस्थान हाईकोर्ट

    राजस्थान हाईकोर्ट ने भरण पोषण (Maintenance) से संबंधित एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि पति, जो एक वेल्डर है, लगभग एक कुशल कामगार की तरह है और इस प्रकार यह नहीं माना जा सकता कि वह याचिकाकर्ता-पत्नी को भरण पोषण देने के लिए पर्याप्त कमाई नहीं कर रहा है।

    अदालत ने यह भी कहा कि भले ही याचिकाकर्ता-पत्नी घरेलू रूप से कपड़े सिल रही हो और उसके पास कुछ आय का स्रोत हो तो भी पति अपने दो बच्चों के साथ पत्नी को भरण-पोषण का भुगतान करने के लिए ज़िम्मेदार है।

    डॉ.जस्टिस पुष्पेंद्र सिंह भाटी ने आपराधिक पुनरीक्षण याचिका की अनुमति देते हुए कहा,

    " यह अदालत सबमिशन सुनने और मामले के रिकॉर्ड का विश्लेषण करने के बाद यह दृढ़ राय रखती है कि भले ही याचिकाकर्ता-पत्नी घरेलू रूप से कपड़े सिल रही हो, फिर भी वह भरण-पोषण पाने की हकदार है। प्रतिवादी नंबर 2-पति है एक वेल्डर, जो लगभग एक कुशल कामगार की तरह है और इस प्रकार, यह नहीं माना जा सकता कि वह याचिकाकर्ता-पत्नी को भरण पोषण देने लिए पर्याप्त कमाई नहीं कर रहा है।

    भले ही याचिकाकर्ता-पत्नी के पास कुछ आय स्रोत हो, फिर भी परिवार के तीन सदस्य हैं जिन्हें प्रतिवादी संख्या 2-पति भरण पोषण का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है। दी गई परिस्थितियों में यह याचिकाकर्ता-पत्नी को भरण-पोषण प्रदान करने के लिए एक उपयुक्त मामला है।"

    याचिकाकर्ता-पत्नी का मामला यह है कि वह अपने दो बच्चों के साथ पति के साथ अलग रह रही है और उसने भरण-पोषण की मांग की थी, जिसे फैमिली कोर्ट ने आंशिक रूप से अनुमति दी थी और बच्चों को प्रति माह 3000 रुपये की राशि का भरण-पोषण के भुगतान करने का आदेश दिया था।

    हालांकि याचिकाकर्ता पत्नी को भरण-पोषण नहीं दिया गया क्योंकि वह सिलाई का काम जानती थी और घरेलू स्तर पर महिलाओं के लिए कपड़े सिलती थी। इससे क्षुब्ध होकर पत्नी ने हाईकोर्ट में वर्तमान आपराधिक याचिका दायर की है।

    अदालत को सूचित किया गया था कि बच्चों को दिए गए भरण-पोषण का भुगतान आदेश पारित होने के बाद भी अब तक नहीं दिया गया है।

    अदालत ने इस संबंध में निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता-पत्नी को भी प्रारंभिक आवेदन दाखिल करने की तारीख से 3000/- रुपये के मासिक भरण-पोषण का भुगतान किया जाए। हालांकि, अदालत ने स्पष्ट किया कि पहले दिए गए बच्चों का मासिक भरण-पोषण परिवार न्यायालय द्वारा पारित आदेश के अनुसार ही रहेगा।

    याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट कुलदीप शर्मा पेश हुए जबकि उत्तरदाताओं की ओर से एडवोकेट मुकेश त्रिवेदी और पीपी महेश खयानी पेश हुए।

    केस टाइटल : सर्वजीत कौर बनाम राजस्थान राज्य और अन्य।

    साइटेशन : 2022 लाइव लॉ (राज) 186

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