"यह एक प्राइवेट ऐप है, अगर आप इसे नहीं चाहते, तो इसका उपयोग न करें": व्हाट्सऐप की अपडेटेड गोपनीयता नीति के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा

LiveLaw News Network

18 Jan 2021 9:25 AM GMT

  • यह एक प्राइवेट ऐप है, अगर आप इसे नहीं चाहते, तो इसका उपयोग न करें: व्हाट्सऐप की अपडेटेड गोपनीयता नीति के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा

    व्हाट्सऐप की अपडेटेड गोपनीयता नीति के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि व्हाट्सऐप एक 'प्राइवेट ऐप' है और उपयोगकर्ता स्वेच्छा से इस ऐप का उपयोग करते हैं। लोगों के पास इस ऐप का उपयोग न करने का विकल्प भी है। इस याचिका पर कोर्ट तभी नोटिस जारी करेगा, जब वह याचिकाकर्ता के चिंता के बारे में अच्छे से समझ लेगा।

    दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा की एकल पीठ ने याचिकाकर्ता वकील चैतन्य रोहिला से पूछा कि,

    "आपने व्हाट्सऐप की अपडेटेड गोपनीयता नीति को चुनौती दी है? आपकी शिकायत क्या है? यह एक प्राइवेट ऐप है। आप इसका उपयोग न करें।"

    न्यायमूर्ति सचदेवा ने याचिकाकर्ता से आगे कहा कि,

    "मुझे संदेह है कि आपने किसी भी ऐप की एप्लिकेशन नीति को पढ़ी है। आप चौंक जाएंगे कि आप सभी की सहमाति क्या है? ये सभी स्वैच्छिक हैं, यदि आप इस ऐप का उपयोग नहीं करना चाहते हैं तो मत करिए। मुझे आपकी चिंता को समझना अभी बाकी है। जब तक मैं इसे समझ नहीं पाता, मैं आपकी याचिका पर नोटिस जारी नहीं करूंगा।"

    याचिकाकर्ता की चिंताओं पर गौर करते हुए कोर्ट ने पूछा कि,

    "क्या आपको लगता है कि ऐप द्वारा आपके डेटा (निजी जानकारी) से समझौता किया जा रहा है?"

    रोहिल्ला की ओर से पेश वकील मनोहर लाल ने जवाब देते हुए कहा कि,

    "व्हाट्सऐप विश्व स्तर पर सभी की जानकारी साझा करता है। जो कुछ भी वे हमसे इकट्ठा करते हैं वह साझा किया जाता है।"

    कोर्ट ने कहा,

    "लाल जी, यहां दो मुद्दे हैं। एक यह है कि आपके व्यक्तिगत संदेशों को देखा और साझा किया जाता है। दूसरा यह है कि आपका ब्राउज़िंग इतिहास साझा किया गया है। आप ये बताइए कि आपकी चिंता क्या है?"

    याचिकाकर्ता ने जवाब में कहा कि,

    "वे (व्हाट्सऐप) ब्राउज़िंग इतिहास का विश्लेषण करते हैं और उपयोगकर्ता के बारे में एक राय बनाते हैं और इसे साझा करते हैं।"

    कोर्ट ने कहा कि,

    "क्या सभी ऐप ऐसा करते हैं।"

    जवाब में रोहिल्ला के वकील ने कहा कि,

    "यूरोप और अमेरिका में व्हाट्सऐप ने अपनी अपडेटेड नीति को स्वीकार करने या अस्वीकार करने का विकल्प दिया है। भारत में ऐसा कोई विकल्प नहीं दिया गया है।"

    अदालत ने अपने जवाब को दोहराया हुए कहा,

    "आपके पास एक विकल्प है, ऐप का उपयोग न करें,"

    और आगे कोर्ट ने पूछा कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय का रुख इस मामले पर क्या है। इस पर सूचना और प्रसारण मंत्रालय की ओर से प्रस्तुत एएसजी चेतन शर्मा ने कहा कि इस मुद्दे पर विश्लेषण करने की जरूरत है।

    व्हाट्सऐप और फेसबुक की ओर से सीनियर एडवोक्ट क्रमशः एडवोकेट कपिल सिब्बल और एडवोकट मुकुल रोहतगी पेश हुए थे। व्हाट्सऐप ने याचिका में कही गई बातों को चुनौती देते हुए कहा कि उपयोगकर्ता के पास व्यावसायिक ऐप का उपयोग करने का विकल्प था या नहीं।

    फेसबुक ने कहा कि,

    "आप इस ऐप का उपयोग कर सकेत हैं, यह पूरी तरह से सुरक्षित है। याचिकाकर्ता को आश्वस्त करते हुए कहना चाहता हूं कि सभी दोस्तों, रिश्तेदारों, आदि के बीच होने वाले सभी चैट्स एन्क्रिप्टेड और सुरक्षित हैं।"

    याचिकाकर्ता ने कहा कि इन ऐप्स को विनियमित करने के लिए एक कानून की आवश्यकता है।

    इस पर सीनियर एडवोकेट रोहतगी ने कहा कि,

    "हाईकोर्ट कोई कानून नहीं बनाने जा रहा है, यदि आप नया कानून चाहते हैं, तो संसद में जाएं।"

    न्यायमूर्ति सचदेवा ने कहा कि,

    "अदालत किसी भी मामले में आज सुनवाई नहीं कर सकता। इसलिए इस मामले को 25 जनवरी को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया जाता है।"

    अधिवक्ता चैतन्य रोहिला द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि,

    "व्हाट्सऐप की अपडेटेड नीति कंपनी को व्यक्ति की ऑनलाइन गतिविधि के बारे में पूरी जानकारी प्रदान करता है। इस तरह किसी व्यक्ति की निजी और व्यक्तिगत गतिविधियों में अंतर्दृष्टि का स्तर वर्तमान या नियामक पर्यवेक्षण में किसी भी सरकारी निरीक्षण के बिना किया जाता है। इसके अलावा, डेटा संरक्षण प्राधिकरण की अनुपस्थिति में, उपयोगकर्ताओं को कंपनी के अपने आश्वासनों और गोपनीयता नीतियों के साथ छोड़ देता है।"

    इसके बाद याचिकाकर्ता की तरफ से हाईकोर्ट से एक निषेधाज्ञा आदेश जारी करने, व्हाट्सऐप की अपडेटेड गोपनीयता नीति को लागू करने से रोकने के साथ तत्काल नोटिस जारी करने के लिए आग्रह किया। इसके साथ ही याचिकाकर्ता द्वारा कोर्ट से यह भी सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की गई कि व्हाट्सऐप द्वारा गोपनीयता नीति में किसी भी परिवर्तन को मौलिक अधिकारों के अनुसार सख्ती से चलाया जाए।

    आगे याचिकाकर्ता द्वारा केंद्र सरकार से सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 79 (2) (c) के साथ धारा 87 (2) (zg) के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करने के लिए कहा है। इसके मुताबिक केंद्र सरकार से मांग की गई कि सरकार निर्देश जारी करके यह सुनिश्चित करें कि व्हाट्ऐप किसी का भी डेटा (निजी जानकारी) साझा नहीं करता है और किसी भी उद्देश्य के लिए किसी भी तीसरे पक्ष या फेसबुक और उसकी कंपनियों के साथ अपने उपयोगकर्ताओं के डेटा को साझा नहीं करेगा।

    व्हाट्सऐप ने 4 जनवरी, 2021 को अपनी नई अपडेटेड गोपनीयता नीति को लागू किया था और साथ ही उपयोगकर्ताओं के लिए इस नए नियम और शर्तों को स्वीकार करना अनिवार्य कर दिया गया। जो उपयोगकर्ता इसे स्वीकार नहीं करेगा 8 फरवरी, 2021 के बाद उसके खातों और सेवाओं को समाप्त कर दिया जाएगा।

    Next Story