आचित कुमार को आर्यन खान का सप्लायर दिखाने के लिए व्हाट्सएप चैट पर्याप्त नहीं: एनडीपीएस कोर्ट ने जमानत आदेश में कहा
LiveLaw News Network
1 Nov 2021 2:25 PM IST
विशेष एनडीपीएस कोर्ट ने आर्यन खान के जमानत देते हुए कहा कि नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो प्रथम दृष्टया यह दिखाने में विफल रहा कि 22 वर्षीय छात्र आचित कुमार ड्रग्स का कारोबार कर रहा था, जबकि एजेंसी ने आचित पर आर्यन खान का सप्लायर होने का आरोप लगाया था।
विशेष न्यायाधीश वीवी पाटिल ने पाया है कि केवल व्हाट्सएप चैट यह साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं है कि कुमार ने खान और उनके दोस्त अरबाज मर्चेंट को प्रतिबंधित पदार्थ की आपूर्ति की थी।
विशेष अदालत ने कहा कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने खान और मर्चेंट दोनों को जमानत दे दी है और इस आधार पर कुमार भी जमानत का हकदार है।
लंदन में पढ़ने वाला छात्र कुमार लॉकडाउन की वजह से मुंबई में रूक गया था। खान ने कथित तौर पर उसका नाम लिया और उसके घर से 2.6 ग्राम प्रतिबंधित पदार्थ बरामद किए जाने के बाद उसे 6 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था।
एनसीबी ने उन पर "गांजा तस्करी नेटवर्क" का हिस्सा होने का आरोप लगाया।
आचित कुमार पर एनडीपीएस की धारा 8 (सी) के साथ 20 (बी) (ii) (ए) (कम मात्रा में ड्रग रखने), 27 ए (खपत), 28 (अपराध करने का प्रयास) और 29 (साजिश) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
अदालत ने कहा,
"आरोपी नंबर 1 (आर्यन खान) के साथ व्हाट्सएप चैट के अलावा यह दिखाने के लिए कोई अन्य सबूत नहीं है कि आवेदक इस तरह की गतिविधि में शामिल था। केवल व्हाट्सएप चैट के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता है कि आवेदक (आचित) आरोपी नंबर 1 और 2 को प्रतिबंधित सामग्री की आपूर्ति करता था, खासकर जब आरोपी नंबर 1, जिसके साथ आवेदक की व्हाट्सएप चैट उपलब्ध है, को माननीय उच्च न्यायालय द्वारा जमानत दी गई है।"
न्यायाधीश पाटिल ने 20 अक्टूबर को जमानत से इनकार करने के लिए आर्यन खान के व्हाट्सएप चैट पर बहुत अधिक भरोसा किया था। खान और दो अन्य ने तब उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। हाईकोर्ट के विस्तृत आदेश की प्रति अभी उपलब्ध नहीं कराई गई है।
अदालत ने खान को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा,
"व्हाट्सएप चैट से प्रथम दृष्टया पता चलता है कि आरोपी आर्यन खान नियमित रूप से मादक पदार्थों की अवैध नशीली दवाओं की गतिविधियों में शामिल था।"
कोई साजिश नहीं, ज़मानत के लिए धारा 37 के तहत शर्त लागू नहीं होगी
न्यायाधीश ने कहा कि खान और मर्चेंट, जिनके साथ कुमार ने कथित तौर पर साजिश रची थी, को बॉम्बे हाईकोर्ट ने जमानत दी। इसलिए कुमार भी जमानत का हकदार है।
कोर्ट ने कहा,
"मैं आवेदक के लिए वकील द्वारा दिए गए तर्कों में सार पाता हूं। जहां तक साजिश के आरोपों का संबंध है, वर्तमान आवेदक कथित तौर पर आरोपी संख्या 1 और 2 के साथ साजिश में शामिल था, उन्हें उच्च न्यायालय द्वारा जमानत दी जाती है। इसलिए धारा 29 को वर्तमान आवेदक पर लागू नहीं कहा जा सकता है। इसलिए एनडीपीएस अधिनियम की धारा 37 के तहत बेड़ियां लागू नहीं होंगी। चूंकि उच्च न्यायालय ने अभियुक्त संख्या 1 से 3 को जमानत दे दी है, इसलिए वर्तमान आवेदक भी समानता के आधार पर जमानत देने का हकदार है।"
अदालत ने यह भी कहा कि वह इस स्तर पर अवैध हिरासत के आरोपों की जांच नहीं कर रही है।
अदालत ने कुमार के वकील की इस दलील को स्वीकार कर लिया कि वह एक युवा लड़का है जो विदेश में शिक्षा प्राप्त कर रहा है और ऐसा कोई उदाहरण नहीं है जिससे यह साबित हो सके कि उसने प्रतिबंधित पदार्थ के सप्लायर के रूप में काम किया है।
न्यायाधीश ने कहा,
"जैसा कि आवेदक की ओर से तर्क दिया गया है, आवेदक मुंबई का स्थायी निवासी है और वह इस न्यायालय द्वारा लगाई गई सभी शर्तों का पालन करने के लिए तैयार है। उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। समाज में उसकी गहरी जड़ें हैं और उसके फरार होने और न्याय से भागने की संभावना नहीं है। इसलिए वह जमानत का हकदार है।"
जमानत की शर्तें;
- आवेदक-आचित को निजी बॉन्ड के रूप में 50,000 रुपए भरने और इतनी ही राशि के एक या अधिक जमानतदार पेश करने की शर्त पर शनिवार को ही रिहा किया गया।
- उसे चार्जशीट दाखिल होने तक प्रत्येक सोमवार को दोपहर 1.00 बजे से शाम 4.00 बजे के बीच एनसीबी मुंबई क्षेत्रीय इकाई के कार्यालय में उपस्थित होने के लिए कहा गया है।
- अभियोजन पक्ष के गवाहों/सबूतों के साथ किसी भी तरह से छेड़छाड़ नहीं करेगा और मुकदमे के शीघ्र निपटान में सहयोग करेगा।
- जमानत पर रहते हुए समान अपराध नहीं करेंगे।