'हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाने में क्या नुकसान है?' मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से पूछा
LiveLaw News Network
25 Jan 2022 6:58 PM IST
मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु राज्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 के कार्यान्वयन के लिए दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से कहा कि यदि तमिल और अंग्रेजी के साथ-साथ शिक्षण संस्थानों में तीसरी भाषा के रूप में हिंदी को पढ़ाया जाता है तो यह हानिकारक नहीं होगा।
एक्टिंग चीफ जस्टिस मुनीश्वर नाथ भंडारी और जस्टिस पीडी औदिकेसवालु की पीठ ने मामले में चार सप्ताह के भीतर नोटिस का जवाब देने का आदेश दिया।
पीठ अर्जुनन एलयाराजा द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें पूरे तमिलनाडु के शैक्षणिक संस्थानों में एनईपी, 2020 के कार्यान्वयन के लिए निर्देश देने की मांग की गई। उन्होंने तर्क दिया कि राज्य एनईपी, 2020 के आलोक में राज्य में हिंदी और संस्कृत को बढ़ावा देने से बाहर नहीं हो सकता। पीठ ने कहा कि राज्य के पास ऐसे मुद्दों पर निर्णय लेने का विवेक है। हालांकि, अदालत ने कहा कि तमिलनाडु के लोगों को तब नुकसान होगा जब वे हिंदी भाषा जाने बिना राज्य से बाहर जाएंगे।
एक्टिंग चीफ जस्टिस मुनीश्वर नाथ भंडारी ने कहा कि कई उम्मीदवारों ने नौकरी के अवसर खो दिए हैं। इनमें केंद्र सरकार की नौकरियां भी शामिल हैं, क्योंकि वे हिंदी के साथ सहज नहीं हैं, इसलिए एसीजे ने कहा कि राज्य भर के स्कूलों में हिंदी पढ़ाई जाए तो यह मददगार होगा।
महाधिवक्ता आर शुनमुगसुंदरम ने प्रस्तुत किया कि तमिलनाडु सरकार दो भाषा नीति का पालन करती है न कि तीन भाषा नीति का। उपयुक्त निर्णय लेना राज्य सरकार का विवेकाधिकार है। जब महाधिवक्ता ने यह भी टिप्पणी की कि हर कोई अपनी पसंद की भाषा सीखने के लिए स्वतंत्र है तो पीठ ने स्पष्ट किया कि 'सीखने' और 'शिक्षण' के बीच स्पष्ट अंतर है।
यह तभी संभव हो सकता है जब छात्रों को तीन भाषाओं में से चुनने का विकल्प दिया जाए, चाहे वह तमिल, अंग्रेजी या हिंदी हो। पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसा विकल्प तमिलनाडु के उन नागरिकों के लिए फायदेमंद होगा जो रोजगार की तलाश में राज्य से बाहर जाते हैं।
केस शीर्षक: अर्जुनन एलयाराजा बनाम सचिव और अन्य।
केस नंबर: डब्ल्यूपी/818/2022 (पीआईएल)