"COVID-19 के कारण अनाथ हुए बच्चों के पुनर्वास के लिए क्या कार्यवाही की गई?": हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा
LiveLaw News Network
6 Aug 2021 2:34 PM IST
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने इस सप्ताह की शुरुआत में राज्य सरकार को उन बच्चों की मदद या पुनर्वास के लिए प्रस्तावित कार्यवाही को रिकॉर्ड में रखने के लिए कहा जो अनाथ हो गए हैं या जिन्होंने COVID-19 के कारण माता-पिता में से किसी एक को खो दिया है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि मलीमठ और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रेवाल दुआ की खंडपीठ ने राज्य सरकार से COVID-19 महामारी से निपटने के लिए और कड़े कदम उठाने को कहा है।
अदालत कुछ अन्य याचिकाओं के साथ एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें राज्य में COVID-19 से निपटने के लिए अपर्याप्त सुविधाओं और बुनियादी ढांचे का आरोप लगाया गया है।
मामले की सुनवाई के दौरान अदालत को इस तथ्य से अवगत कराया गया कि सेब को तोड़ने के मौसम के कारण हिमाचल प्रदेश राज्य में श्रम का संचार होने की संभावना है, जो आंशिक रूप से शुरू हो गया है और अक्टूबर, नवंबर, 2021 तक चलेगा।
अदालत को इस चिंता के बारे में सूचित किया गया कि सेब तोड़ने का मौसम COVID-19 के आगे प्रसार के लिए उत्प्रेरक का काम कर सकता है।
वरिष्ठ अतिरिक्त महाधिवक्ता का कहना है कि जिन जिलों में सेब की कटाई की जाएगी, उन जिलों में अतिरिक्त प्रयास किए जाएंगे और अधिक जानकारी दी जाएगी।
उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि उक्त उद्देश्य के लिए हिमाचल प्रदेश में प्रवेश करने वाले श्रमिकों का राज्य के उपलब्ध संसाधनों से टीकाकरण सुनिश्चित करने के लिए अतिरिक्त सावधानी बरती जाएगी।
न्यायालय के समक्ष इसके अलावा यह भी प्रस्तुत किया गया कि राज्य सरकार द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसरण में सभी पर्यटकों को अब हिमाचल प्रदेश राज्य में प्रवेश करने की अनुमति केवल तभी दी जाएगी जब उनके पास RTPCR की निगेटिव रिपोर्ट हो या उनके पास एक प्रमाण पत्र हो कि उन्हें वैक्सीन के दोनों डोज लग चुके हैं।
कोर्ट ने इस पर कहा कि,
"मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए आने वाले दिनों में राज्य द्वारा और कड़े कदम उठाए जाएं। राज्य द्वारा किए जाने वाले आगे के प्रयासों को अगली तारीख को अदालत के संज्ञान में लाया जाए।"
अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि,
"अतिरिक्त महाधिवक्ता से भी अनुरोध किया जाता है कि वे उन बच्चों के संबंध में सामग्री को रिकॉर्ड में रखें जो अनाथ हो गए हैं या जिन्होंने COVID के कारण माता-पिता में से किसी एक को खो दिया है और आगे यह भी बताएं कि ऐसे बच्चों की मदद या पुनर्वास के लिए राज्य ने क्या कार्रवाई की है।"
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने इससे पहले राज्य के सभी जिलों के जिला आयुक्तों से हर जिले में चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता और जिलों में ड्यूटी पर डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की संख्या पर विवरण प्रस्तुत करने के लिए कहा था।
केस का शीर्षक: कोर्ट द्वारा स्वत: संज्ञान CWPIL No.3 Of 2020