''हम लिव-इन रिलेशन के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन लिव-इन पार्टनर्स में से एक के शादीशुदा होने पर सुरक्षा नहीं दे सकते'': इलाहाबाद हाईकोर्ट
LiveLaw News Network
19 Jun 2021 1:30 PM IST
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को फिर से स्पष्ट किया है कि वह लिव-इन रिलेशनशिप के खिलाफ नहीं है, परंतु कोर्ट ने उस कपल की तरफ से दायर सुरक्षा याचिका को खारिज कर दिया था,जो लिव-इन रिलेशनशिप में रहना चाहते थे क्योंकि सुरक्षा की मांग करने वाले कपल में से एक याचिकाकर्ता पहले से शादीशुदा था।
यह ध्यान दिया जा सकता है कि मंगलवार को न्यायमूर्ति कौशल जयेंद्र ठाकर और न्यायमूर्ति दिनेश पाठक की खंडपीठ ने एक कपल की सुरक्षा याचिका को खारिज कर दिया था क्योंकि सुरक्षा मांगने वाले कपल में महिला पहले से ही शादीशुदा थी और किसी अन्य पुरुष के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही थी। कोर्ट ने इस कपल की याचिका को खारिज करते हुए पांच हजार रुपये जुर्माना भी लगाया था।
न्यायमूर्ति कौशल जयेंद्र ठाकर और न्यायमूर्ति दिनेश पाठक की खंडपीठ ने कहा था किः
''हम यह समझने में विफल हैं कि इस तरह की याचिका को कैसे स्वीकार किया जा सकता है,जो समाज में अवैधता को अनुमति देती हो।''
अदालत ने यह भी कहा था किः
''क्या हम उन लोगों को सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं जो ऐसा करना चाहते हैं जिसे हिंदू विवाह अधिनियम के जनादेश के खिलाफ एक कार्य माना जा सकता है। भारत के संविधान का आर्टिकल 21 किसी व्यक्ति को अपनी स्वतंत्रता की अनुमति देता है लेकिन स्वतंत्रता उस कानून के दायरे में होनी चाहिए जो उन पर लागू होता है।''
शुक्रवार को बेंच एक युवा कपल की तरफ से दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो लिव-इन में रहना चाहते हैं।
कोर्ट को बताया गया कि उक्त लिव इन रिलेशन अब शादी में बदल गया है क्योंकि उन्होंने रिट याचिका के लंबित रहने के दौरान आर्य समाज मंदिर में शादी कर ली है।
अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता इस आशंका पर अदालत के सामने आए हैं कि उन्हें परेशान किया जाएगा और उन्हें निजी प्रतिवादियों द्वारा शांति से रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
इसलिए, तत्काल मामले में, यह देखते हुए कि दोनों याचिकाकर्ता विवाह योग्य उम्र के हैं और वे लिव-इन में रहना चाहते थे, लेकिन बाद में उन्होंने एक-दूसरे से शादी कर ली है,इसलिए अदालत ने पुलिस को सभी दस्तावेजों का सत्यापन करने के बाद उन्हें सुरक्षा प्रदान करने का आदेश दिया है।
गौरतलब है कि कोर्ट ने यह भी कहा किः
''हम लिव इन रिलेशन के खिलाफ नहीं हैं। लेकिन हमने उस कपल की सुरक्षा की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था जो लिव-इन रिलेशन में रहना चाहता था। कारण यह था कि याचिकाकर्ताओं में से एक पहले से शादीशुदा था और वह लिव-इन रिलेशन में रहने के लिए सुरक्षा की मांग कर रहे थे।''
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