'14-15 साल की लड़कियों के लिए शादी करना और 17 साल से पहले बच्चे को जन्म देना सामान्य था, मनुस्मृति पढ़ें': नाबालिग की 7 महीने के भ्रण को समाप्त करने की मांग वाली याचिका पर गुजरात हाईकोर्ट ने कहा

Brij Nandan

8 Jun 2023 12:05 PM GMT

  • 14-15 साल की लड़कियों के लिए शादी करना और 17 साल से पहले बच्चे को जन्म देना सामान्य था, मनुस्मृति पढ़ें: नाबालिग की 7 महीने के भ्रण को समाप्त करने की मांग वाली याचिका पर गुजरात हाईकोर्ट ने कहा

    “पहले 14-15 साल की उम्र में शादी और 17 साल की होने से पहले ही बच्चे का जन्म देना सामान्य था।“

    ये टिप्पणी गुजरात हाईकोर्ट ने एक नाबालिग के 7 महीने के भ्रूण को समाप्त करने की मांग वाली याचिका पर मौखिक रूप से की।

    जस्टिस समीर जे. दवे की बेंच लगभग 17 साल की एक नाबालिग रेप पीड़िता की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

    सुनवाई के दौरान रेप पीड़िता के पिता के वकील ने इस मामले में लड़की की कम उम्र को देखते हुए गर्भपात किए जाने की बात की। इस पर जस्टिस समीर दवे ने मौखिर तौर पर कहा,

    “हम 21वीं सदी में जी रहे हैं, अपनी मां या परदादी से पूछिए, शादी करने के लिए 14-15 साल अधिकतम उम्र थी। बच्चा 17 साल की उम्र से पहले ही जन्म ले लेता था। लड़कियां लड़कों से पहले मैच्योर हो जाती हैं। आप इसे नहीं पढ़ेंगे, लेकिन इसके लिए एक बार मनुस्मृति पढ़ें।“

    हालांकि, हाईकोर्ट ने ये भी कहा कि उन्होंने इस मामले में डॉक्टरों से भी सलाह ली कि क्या गर्भपात किया जा सकता है, क्योंकि भ्रूण 7 महीने से ज्यादा का है।

    कोर्ट ने नाबालिग की मेडिकल जांच कराने के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट इस मामले में डॉक्टरों की रिपोर्ट के बाद ही फैसला लेगा। मामले की अगली सुनवाई 15 जून को होगी।

    पीड़िता के वकील ने कहा कि मुस्लिम लॉ के तहत शादी की उम्र 13 साल है। नाबालिग रेप पीड़िता के पिता को उसके गर्भ के बारे 7 महीने बीतने के बाद पता चला था। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में नाबालिग के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति मांगते हुए याचिका दायर की।

    भारत में पहले कुछ मामलों में 20 हफ्ते तक अबॉर्शन कराने की अनुमति थी, लेकिन 2021 में इस कानून में संशोधन के बाद ये समय सीमा बढ़ाकर 24 हफ्ते तक की गई। हालांकि, कुछ खास मामलों में 24 हफ्ते के बाद भी गर्भपात कराने की कोर्ट से अनुमति ली जा सकती है।

    ऐसे मामलों में, डॉक्टरों की ये राय होनी चाहिए कि गर्भावस्था को जारी रखने से गर्भवती महिला के जीवन को खतरा है या उसके शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचेगा।इसका प्रभाव बच्चे पर भी पड़ सकता है।

    रेप पीड़िता के पिता के वकील ने जल्द सुनवाई करने का अनुरोध भी किया। क्योंकि डिलीवरी की संभावित तारीख 16 अगस्त है। इस पर अदालत ने कहा कि अगर रिपोर्ट में भ्रूण और रेप पीड़िता की स्थिति अच्छी पाई जाती है तो वो गर्भपात की इजाजत नहीं दे सकते।

    आखिरी में कोर्ट ने वकील को गोद लेने के विकल्पों की तलाश शुरू करने का भी सुझाव दिया।

    केस टाइटल - XXX बनाम गुजरात राज्य

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