विस्माया दहेज हत्या: केरल कोर्ट ने पति किरण कुमार को 10 साल जेल की सजा सुनाई, 12.5 लाख रुपए जुर्माना लगाया

Brij Nandan

24 May 2022 8:45 AM GMT

  • विस्माया दहेज हत्या: केरल कोर्ट ने पति किरण कुमार को 10 साल जेल की सजा सुनाई, 12.5 लाख रुपए जुर्माना लगाया

    केरल की एक निचली अदालत ने मंगलवार को एक सनसनीखेज दहेज हत्या मामले (Dowry Death Case) में दोषी को 10 साल जेल की सजा सुनाई है। इस मामले में 22 वर्षीय विस्मया वी नायर जून, 2021 में दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा के कारण कथित तौर पर आत्महत्या के कारण अपने ससुराल में मृत पाई गई थी।

    कोल्लम के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुजीत केएन ने मृतक (पीड़िता) के पति किरण कुमार को 10 साल कैद और 12.5 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई।

    सोमवार को, सत्र न्यायाधीश सुजीत केएन ने कुमार को भारतीय दंड संहिता की धारा 498 ए (दहेज के लिए महिला के साथ क्रूरता), 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और 304 बी (दहेज हत्या) के तहत आरोपों के लिए दोषी ठहराया था।

    कुमार को 304बी अपराध के लिए 10 साल जेल और धारा 306 और 298ए अपराधों के लिए क्रमश: छह और दो साल की सजा सुनाई गई थी। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी।

    अभियोजन पक्ष ने मामला बनाने के लिए डिजिटल साक्ष्य पर भरोसा किया था। यह शायद पहला दहेज उत्पीड़न का मामला है जहां डिजिटल सबूतों के बड़े हिस्से को आरोपी के अपराध का पता लगाने के लिए इस्तेमाल किया गया था।

    सुनवाई के दौरान अदालत ने कुल 42 गवाहों, 108 दस्तावेजों और कई कॉल रिकॉर्ड की जांच की। पुलिस ने 507 पन्नों का चार्जशीट दाखिल की। चार्जशीट में कहा गया कि विस्माया ने दहेज प्रताड़ना के चलते आत्महत्या की है।

    फैसले से एक दिन पहले कथित तौर पर विस्मय से संबंधित वॉयस रिकॉर्डिंग सामने आने के बाद अभियोजन पक्ष के मामले को मजबूती मिली। ऑडियो क्लिप विस्मया और उसके पिता के बीच फोन कॉल है, जहां उसे रोते और उत्पीड़न की शिकायत करते हुए सुना जाता है। इससे पता चलता है कि उसके पति द्वारा उसे गंभीर यातना दी गई थी।

    किरण कुमार पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304 (बी), 498 (ए), 306, 323 और 506 के तहत दहेज हत्या, शारीरिक या मानसिक नुकसान पहुंचाने, आत्महत्या के लिए उकसाने, स्वेच्छा से चोट पहुंचाने और आपराधिक धमकी देने का आरोप लगाया गया था। उसे आईपीसी की धारा 304 (बी), 498 (ए) और 306 के तहत दोषी ठहराया गया है।

    ए़डवोकेट जी. मोहनराज मामले में विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) थे।

    पिछले साल राज्य को झकझोर देने वाली घटना में आयुर्वेद की मेडिकल छात्रा विस्मया को उसके ससुराल में दहेज उत्पीड़न की शिकायत के बाद रहस्यमय परिस्थितियों में मृत पाया गया था।

    मौत उसकी शादी के एक साल के भीतर हुई और घटना के सामने आने के एक दिन बाद उसके पति को गिरफ्तार कर लिया गया। सहायक मोटर वाहन निरीक्षक किरण कुमार को भी उनकी मृत्यु के बाद सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। वह एक साल से अधिक समय से न्यायिक हिरासत में है और उसकी जमानत याचिका कई बार खारिज कर दी गई थी।

    मामले में उसके पति के अपराध को साबित करने के लिए महत्वपूर्ण कई परिस्थितिजन्य साक्ष्य पाए गए। अपने पति के हाथों हुई यातना के संबंध में उसने जो ऑडियो संदेश भेजे थे, वह आरोप पत्र में प्रमुख डिजिटल साक्ष्य के रूप में सामने आए।

    घटना से एक दिन पहले विस्मया ने कुमार द्वारा दहेज को लेकर कथित रूप से प्रताड़ित करने के साथ-साथ उसके शरीर पर घावों और निशानों की तस्वीरों को लेकर अपने रिश्तेदारों को व्हाट्सएप संदेश भी भेजे थे।

    इसके बाद सूरनाडु पुलिस ने विस्मया के माता-पिता की शिकायत पर दहेज हत्या और वैवाहिक क्रूरता का मामला दर्ज किया। दहेज प्रथा की निंदा करने वाली प्रमुख हस्तियों के सामने आने के साथ इस घटना ने राज्य भर में बड़े पैमाने पर जन-विरोध को उभारा था।

    आवेदक ने पिछले साल इस तर्क पर जमानत याचिका दायर की थी कि मामूली पारिवारिक विवाद को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि जांच रिपोर्ट के अनुसार, पीड़िता के शरीर पर एकमात्र शारीरिक चोट उसकी कलाई पर मामूली खरोंच थी। हालांकि, केरल हाईकोर्ट ने यह कहते हुए अपराधी-पति की जमानत अर्जी खारिज कर दी कि उस पर दहेज हत्या के गंभीर अपराध का आरोप लगाया गया है, जो एक सामाजिक बुराई है।

    हालांकि, उसे मार्च 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी थी, यह देखते हुए कि मामले में मुकदमा होना तय था।








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