वाराणसी कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे 'स्वयंभू ज्योतिर्लिंग' का पता लगाने की मांग वाली याचिका खारिज की

Shahadat

26 Oct 2024 9:45 AM IST

  • वाराणसी कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे स्वयंभू ज्योतिर्लिंग का पता लगाने की मांग वाली याचिका खारिज की

    वाराणसी कोर्ट ने संपूर्ण ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का अतिरिक्त भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) सर्वेक्षण करने की मांग वाली याचिका खारिज की, जिसमें उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिनका ASI ने पहले से सर्वेक्षण नहीं किया। इसमें मस्जिद के केंद्रीय गुंबद के नीचे का क्षेत्र भी शामिल है।

    सिविल जज (सीनियर डिविजन), एफटीसी वाराणसी, युगल शर्मा ने ज्ञानवापी मस्जिद-काशी विश्वनाथ मंदिर से संबंधित 1991 के मुकदमे में इस साल फरवरी में दायर याचिका खारिज की। इसमें अन्य बातों के अलावा विवादित ढांचे के नीचे पूरे तहखाने का ASI सर्वेक्षण करने की मांग की गई, जिसमें विवादित ढांचे के केंद्रीय कक्ष के नीचे मुख्य रूप से नव निर्मित ईंट की दीवारों को हटाकर यह पता लगाने की मांग की गई कि विवादित ढांचे को कोई नुकसान पहुंचाए बिना मुख्य स्वयंभू ज्योतिर्लिंग और उसका अर्घा मौजूद है या नहीं।

    बता दें कि ज्योतिर्लिंग हिंदू भगवान शिव का भक्तिपूर्ण प्रतिनिधित्व है। शिव पुराण के अनुसार, वर्तमान वाराणसी में स्थित ज्योतिर्लिंग 12 महा ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जहां भगवान श्री विश्वनाथ/विश्वेश्वर विराजमान हैं।

    कोर्ट ने तर्क दिया कि प्लॉट नंबर-9130 के सर्वेक्षण के संबंध में ASI द्वारा दायर रिपोर्ट की अभी जांच होनी है। दूसरी बात यह कि जिस संरचना में शिवलिंग पाया गया, वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश द्वारा संरक्षित है।

    इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट ने भी गैर-आक्रामक पद्धति का उपयोग करके सर्वेक्षण करने का आदेश दिया। संपत्ति के विनाश से बचने के लिए उत्खनन तकनीक का उपयोग नहीं किया जाएगा।

    ASI को यह पता लगाने का निर्देश देने की प्रार्थना के संबंध में कि क्या विवादित स्थल पर वर्तमान में कोई संरचना आरोपित है, कोर्ट ने कहा कि पिछले वर्ष दिसंबर में राखी सिंह मामले में ASI द्वारा दायर सर्वेक्षण रिपोर्ट की जांच के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है।

    संदर्भ के लिए, ASI ने वाराणसी के जिला जज के 21 जुलाई के आदेश के अनुसार वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया, जिससे यह निर्धारित किया जा सके कि मस्जिद का निर्माण हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया या नहीं। इन कारणों को देखते हुए न्यायालय ने हिंदू याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर याचिका खारिज करना उचित समझा, जिसमें देवता भगवान विश्वेश्वर भी शामिल थे, जिनका प्रतिनिधित्व वकील विजय शंकर रस्तोगी ने किया।

    उल्लेखनीय है कि हिंदू याचिकाकर्ताओं ने अपने वाद में दावा किया कि ज्ञानवापी मस्जिद के मुख्य गुंबद के नीचे 100 फीट ऊंचा शिवलिंग है। उन्होंने इसके साथ-साथ उन सभी अन्य क्षेत्रों का ASI सर्वेक्षण करने की मांग करते हुए आवेदन दायर किया, जिनका सर्वेक्षण ASI द्वारा पहले नहीं किया गया।

    अंजुमन इंतेज़ामिया मस्जिद समिति खुदाई का विरोध कर रही है। हिंदू याचिकाकर्ताओं ने ASI को यह पता लगाने का निर्देश देने की भी मांग की कि क्या विवादित स्थल पर वर्तमान में खड़ी धार्मिक संरचना किसी धार्मिक संरचना के साथ या उसके ऊपर किसी प्रकार की संरचनात्मक ओवरलैपिंग है, यदि ऐसा है, तो विवादित स्थल पर वर्तमान में खड़ी धार्मिक संरचना की आयु, आकार, स्मारकीय और पुरातात्विक डिजाइन या शैली क्या है। इसके निर्माण के लिए किन सामग्रियों का उपयोग किया गया।

    ASI यह भी पता लगाएगा कि विवादित स्थल पर मस्जिद की कथित संरचना के निर्माण या उस पर आरोपित या जोड़े जाने से पहले हिंदू समुदाय से संबंधित कोई मंदिर कभी अस्तित्व में था, यदि ऐसा है, तो वास्तव में इसकी आयु, आकार, स्मारकीय और पुरातात्विक डिजाइन या शैली क्या है। यह भी कि यह किस हिंदू देवता या देवताओं को समर्पित था, अतिरिक्त सर्वेक्षण के लिए याचिका में से एक में कहा गया।

    यह भी सुझाव दिया गया कि यदि यह निर्धारित करना संभव नहीं है कि स्वयंभू ज्योतिर्लिंग केंद्रीय गुंबद के नीचे स्थित है या नहीं, तो आदि विश्वेश्वर मंदिर के गर्भगृह तक पहुंचने के लिए खाई बनाई जा सकती है।

    हालांकि, अपने आदेश में न्यायालय ने कहा कि चूंकि इलाहाबाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही निर्देश दिया कि सर्वेक्षण स्थल पर कोई खुदाई या विनाश नहीं किया जाएगा। पूरा सर्वेक्षण गैर-आक्रामक पद्धति का उपयोग करके किया जाएगा, इसलिए उक्त प्रार्थना की अनुमति नहीं दी जा सकती।

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