यूपीएचजेएस परीक्षा 2020-‘साक्षात्कार में उपयुक्त अवसर लेने के बाद चयन प्रक्रिया को चुनौती नहीं दे सकते’: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक उम्मीदवार को राहत देने से इनकार किया

Manisha Khatri

1 Feb 2023 3:45 PM GMT

  • यूपीएचजेएस परीक्षा 2020-‘साक्षात्कार में उपयुक्त अवसर लेने के बाद चयन प्रक्रिया को चुनौती नहीं दे सकते’: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक उम्मीदवार को राहत देने से इनकार किया

     Allahabad High Court

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में उस असफल उम्मीदवार को राहत देने से इनकार कर दिया,जो उत्तर प्रदेश उच्चतर न्यायिक सेवा परीक्षा 2020 के साक्षात्कार में उपस्थित हुई थी और जिसने सूची में नाम नहीं आने पर अंतिम चयन सूची को चुनौती दी थी।

    जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने कहा कि उसने साक्षात्कार में सफल होने का एक उपयुक्त मौका लिया, लेकिन जब परिणाम उसके अनुकूल नहीं रहा, तो उसने चयन सूची को चुनौती दी और इस प्रकार, उसकी रिट याचिका सुनवाई योग्य नहीं थी।

    पीठ ने कहा,‘‘अंतिम चयन सूची जारी होने तक याचिकाकर्ता ने यह आरोप लगाते हुए चयन प्रक्रिया को चुनौती नहीं दी कि उसे साक्षात्कार के दौरान पर्याप्त समय नहीं दिया गया था, हालांकि साक्षात्कार में उपस्थित होने के तुरंत बाद उसे यह पता चल गया था। जाहिर तौर पर, याचिकाकर्ता ने अंतिम चयन सूची के प्रकाशन तक इस उम्मीद में इंतजार किया कि उसका चयन हो जाएगा...जाहिर है, अंतिम चयन सूची जारी होने तक, साक्षात्कार में अपर्याप्त समय दिए जाने से याचिकाकर्ता व्यथित नहीं थी और उसने उपरोक्त स्थिति के साथ सहमति व्यक्त की है।’’

    इस संबंध में, अदालत ने मदन लाल बनाम जम्मू-कश्मीर राज्य, (1995) 3 एससीसी 486 और भारत संघ बनाम एस. विनोद कुमार, (2007) 8 एससीसी 100 के मामलों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसलों पर भरोसा किया, जिनमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एक उम्मीदवार, जो एक उपयुक्त चांस लेता है और साक्षात्कार में उपस्थित होता है, केवल इसलिए कि साक्षात्कार का परिणाम उसके लिए सुखद नहीं है, वह पलट नहीं सकता है और बाद में यह तर्क नहीं दे सकता है कि साक्षात्कार की प्रक्रिया अनुचित थी या प्रक्रिया में कुछ कमी थी।

    संक्षेप में मामला

    हाईकोर्ट के समक्ष वर्तमान मामले में यूपी एचजेसी 2020 परीक्षा साक्षात्कार के लिए उपस्थित हुई याचिकाकर्ता ललिता गुप्ता ने उक्त परीक्षा की अंतिम चयन सूची दिनांक 12.9.2022 को चुनौती दी थी और वैधानिक शासनादेश के अनुसार साक्षात्कार फिर से आयोजित करने के लिए प्रार्थना की थी।

    उसका मामला यह था कि प्रत्येक उम्मीदवार का साक्षात्कार आयोजित करने के लिए 25-30 मिनट का समय दिए जाने के बजाय (उत्तर प्रदेश उच्च न्यायिक सेवा नियम 1975 के नियम 18 के परिशिष्ट जी के अनुसार), उनका साक्षात्कार केवल 3-7 मिनट के लिए किया गया था। जो चयन को दूषित करता है।

    दूसरी ओर उसकी याचिका का विरोध करते हुए, हाईकोर्ट ऑफ ज्यूडिकेचर इलाहाबाद के वकील ने तर्क दिया कि साक्षात्कार 1.8.2022 और 2.8.2022 को आयोजित किए गए थे और तत्काल याचिका 19.1.2023 को एक अनुचित देरी के बाद दायर की गई है और लैच के आधार पर खारिज किए जाने योग्य है।

    यह भी प्रस्तुत किया गया कि चयनित उम्मीदवार रिट याचिका के लिए आवश्यक पक्षकार हैं और चूंकि सभी चयनित उम्मीदवारों को प्रतिवादी पक्ष के रूप में पक्षकार नहीं बनाया गया है, रिट याचिका आवश्यक पक्षकारों के नाॅन जाॅइंडर(गैर-संयोजन) के दोष से ग्रस्त है।

    न्यायालय की टिप्पणियां

    शुरुआत में, अदालत ने कहा कि हालांकि यह याचिकाकर्ता का मामला था कि परीक्षा के लिए साक्षात्कार 1975 के नियमों में निहित प्रावधानों के अनुसार आयोजित नहीं किए गए थे, फिर भी उसने साक्षात्कार प्रक्रिया को चुनौती नहीं दी, बल्कि उसने चयन के अंतिम परिणाम की घोषणा का इंतजार किया।

    कोर्ट ने कहा,‘‘ऐसा प्रतीत होता है कि हालांकि याचिकाकर्ता को पता था कि साक्षात्कार नियमों के अनुसार आयोजित नहीं किया गया था, जैसा कि उसके द्वारा आरोप लगाया गया है, याचिकाकर्ता ने साक्षात्कार में सफल होने का एक उपयुक्त मौका लिया और अंतिम चयन सूची जारी होने तक चयन प्रक्रिया को चुनौती नहीं देने का फैसला किया। इस तरह का मौका लेने और अंतिम चयन सूची जारी होने से पहले साक्षात्कार की प्रक्रिया को चुनौती नहीं देने का चुनाव करने के बाद, याचिकाकर्ता को पलटने और अंतिम चयन सूची के प्रकाशन के बाद चयन प्रक्रिया (यह आरोप लगाते हुए कि साक्षात्कार नियमों के अनुसार आयोजित नहीं किए गए)को चुनौती देने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।’’

    न्यायालय ने आगे कहा कि रिट याचिका को चयन सूची को रद्द करने की मांग करते हुए दायर किया गया था, जबकि उन सभी चयनित व्यक्तियों को पक्षकार नहीं बनाया गया था, जो चयन सूची जारी होने के बाद नियुक्त किए गए थे और जिन्होंने अपनी ड्यूटी ज्वाइन कर ली थी। इसलिए, याचिका आवश्यक पक्षों के नाॅन जाॅइंडर के दोष से ग्रस्त है।

    उपरोक्त के मद्देनजर, अदालत ने उसकी याचिका खारिज कर दी।

    प्रतिनिधित्व-

    याचिकाकर्ता के वकील- असीम कुमार सिंह

    प्रतिवादी के वकील- गौरव मेहरोत्रा, सी.एस.सी.

    केस टाइटल-ललिता गुप्ता बनाम हाईकोर्ट ऑफ ज्यूडिकेचर इलाहाबाद, रजिस्ट्रार जनरल के जरिए व अन्य,रिट-ए नंबर-672/2023

    साइटेशन- 2023 लाइव लॉ (एबी) 45

    आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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