यूपी पावर कॉरपोरेशन ईपीएफ घोटाला: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्य आरोपी प्रवीण कुमार गुप्ता को जमानत दी

LiveLaw News Network

9 Feb 2022 4:57 AM GMT

  • यूपी पावर कॉरपोरेशन ईपीएफ घोटाला: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्य आरोपी प्रवीण कुमार गुप्ता को जमानत दी

    इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने हाल ही में उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड के पूर्व महाप्रबंधक और निगम के ईपीएफ घोटाले के मुख्य आरोपी प्रवीण कुमार गुप्ता को जमानत दे दी है।

    न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की खंडपीठ ने उन्हें संबंधित अदालत की संतुष्टि के लिए निजी बॉन्ड भरने और 5,00,000 रुपए के दो जमानतदार पेश करने की शर्त पर जमानत दी है।

    पूरा मामला

    मामले में दर्ज एक प्राथमिकी के अनुसरण में गुप्ता को नवंबर 2019 में ईओडब्ल्यू, लखनऊ द्वारा गिरफ्तार किया गया था और फरवरी 2020 में तीन व्यक्तियों, अर्थात् आवेदक, सुधांशु द्विवेदी और अयोध्या प्रसाद मिश्रा के खिलाफ पहला आरोप पत्र दायर किया गया था।

    प्राथमिकी में यह आरोप लगाया गया था कि दिसंबर 2016 में न्यासियों की एक बैठक में, जिसके आवेदक तब सचिव थे, ट्रस्ट के पास उपलब्ध फंड के निवेश के संबंध में निर्णय लिया। उक्त निर्णयों में से एक कंपनी में निवेश करना था, जिसे दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) के रूप में जाना जाता है।

    इसके बाद, सीबीआई ने अगस्त 2020 में जांच अपने हाथ में ली और यह कथित रूप से पाया गया कि आरोपी ने अपने सह-साजिशकर्ताओं के साथ उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत क्षेत्र कर्मचारी ग्रेच्युटी फंड और उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत क्षेत्र कर्मचारी पेंशन फंड का भारी अवैध कमीशन लगाने के लिए निजी क्षेत्र की संस्थाओं में निवेश करने के लिए कथित रूप से दुरुपयोग किया था।

    इस तरह के अवैध निवेश कथित तौर पर कंपनी अधिनियम, 1956, कर्मचारी भविष्य निधि और प्रावधान अधिनियम, 1952 और भारतीय न्यास अधिनियम, 1882 के प्रावधानों के साथ-साथ इसके तहत बनाए गए विविध नियम के घोर उल्लंघन में किए गए थे।

    तर्क

    जमानत अर्जी की ओर से पेश अधिवक्ता कामिनी जायसवाल और अधिवक्ता पूर्णेंदु चक्रवर्ती ने मुख्य रूप से तर्क दिया कि निवेश के संबंध में निर्णय एक समिति द्वारा लिया गया था जिसमें एक सदस्य आवेदक था और सह-आरोपियों को पहले ही जमानत दिया जा चुका है।

    इसके अलावा, यह भी तर्क दिया गया कि सीबीआई ने अभी तक चार्जशीट दाखिल नहीं की है और मुकदमे में कोई प्रगति नहीं हुई है।

    दूसरी ओर, सीबीआई के वकील अनुराग कुमार सिंह ने जमानत अर्जी का विरोध किया और तर्क दिया कि समिति द्वारा निर्णय लिया गया था। हालांकि, आवेदक को उक्त निर्णय से लाभ हुआ, क्योंकि आवेदक के बेटे ने अपने बयान में कहा था कि डीएचएफएल से लगभग 30 करोड़ का कमीशन प्राप्त हुआ था जिसे आवेदक, अयोध्या प्रसाद मिश्रा और सुधांशु द्विवेदी के बीच बांटा गया था।

    कोर्ट का आदेश

    अदालत ने शुरू में कहा कि आवेदक नवंबर 2019 से हिरासत में है और आरोप पत्र पहले ही दायर किया जा चुका है और मार्च 2020 से, जिस तारीख से सीबीआई ने जांच अपने हाथ में ली है, कोई नया आरोप पत्र दायर नहीं किया गया है।

    इसलिए, इस बात पर जोर देते हुए कि रिकॉर्ड में ऐसा कुछ भी नहीं है जो यह प्रदर्शित करता हो कि यदि आवेदक को जमानत दिया जाता है तो वह किसी भी तरह से जांच या मुकदमे को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकता है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि इसी तरह के आरोप में सह-अभियुक्तों को जमानत दिया जा चुका है।

    इसके साथ ही कोर्ट द्वारा आवेदक को जमानत देने का निर्देश दिया गया।

    केस का शीर्षक - परवीन कुमार गुप्ता बनाम यूपी राज्य के माध्यम से सी.बी.आई./ए.सी.बी. लखनऊ

    केस उद्धरण: 2022 लाइव लॉ (एबी) 37

    आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें:



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