हाथरस बलात्कार एवं हत्या पीड़िता के आधी रात को हुए दाह संस्कार के लिए कथित तौर पर जिम्मेदार जिला मजिस्ट्रेट को यूपी सरकार ने स्थानांतरित किया

SPARSH UPADHYAY

1 Jan 2021 3:58 PM GMT

  • हाथरस बलात्कार एवं हत्या पीड़िता के आधी रात को हुए दाह संस्कार के लिए कथित तौर पर जिम्मेदार जिला मजिस्ट्रेट को यूपी सरकार ने स्थानांतरित किया

    उत्तर प्रदेश सरकार ने गुरुवार (31 दिसंबर) को 15 अन्य IAS अधिकारियों के साथ, हाथरस के जिला मजिस्ट्रेट प्रवीण कुमार लक्षकर (जो कथित तौर पर हाथरस बलात्कार मामले में आधी रात को हुए दाह संस्कार के लिए जिम्मेदार थे) को मिर्जापुर में स्थानांतरित कर दिया।

    यूपी जल निगम के संयुक्त प्रबंध निदेशक रमेश रंजन को हाथरस का नया जिलाधिकारी बनाया गया है।

    19 वर्षीय दलित महिला के मामले को संभालने में श्री लक्षकार की भूमिका की इलाहाबाद उच्च न्यायालय सहित लगभग हर ओर से भारी आलोचना की गई थी।

    महत्वपूर्ण रूप से, यूपी प्रशासन द्वारा दलित महिला के दाह संस्कार के लिए दिखाई गई जल्दबाजी के लिए दिए गए कारणों से असंतुष्ट, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अक्टूबर, 2020 में, पूरी घटना पर अपनी नाराजगी व्यक्त की थी।

    यह नोट करना महत्वपूर्ण है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने विशेष रूप से राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील से पूछा था कि क्या यह उचित था कि जिला मजिस्ट्रेट को मामले की जांच के लंबित रहते हाथरस में पद पर जारी रखने की अनुमति दी जाए?

    इसके जवाब में, न्यायमूर्ति पंकज मितल और न्यायमूर्ति राजन रॉय की खंडपीठ के समक्ष राज्य सरकार ने रात में पीड़िता के दाह संस्कार को सही ठहराने का प्रयास किया था और विशेष रूप से यह दावा किया गया कि जिला मजिस्ट्रेट ने इस संबंध में कोई गलत काम नहीं किया है।

    जब कोर्ट ने राज्य के वरिष्ठ वकील राजू से पूछा कि कि हाथरस में जिला मजिस्ट्रेट के पद पर बने रहने के संबंध में उनके निर्देश क्या हैं, तो उन्होंने कहा था कि इस मुद्दे पर विचार करने के बाद सरकार ने जिला मजिस्ट्रेट को स्थानांतरित नहीं करने का फैसला किया है।

    पृष्ठभूमि

    इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने गुरुवार (01 अक्टूबर) को हाथरस सामूहिक बलात्कार मामले का स्वत: संज्ञान लिया था, और कहा था कि यह एक "अत्यंत संवेदनशील" मामला है, जो नागरिकों के बुनियादी मानव / मौलिक अधिकारों से संबंधित है।

    इसके अलावा, शनिवार (10 अक्टूबर) को केंद्र सरकार ने मामले में सीबीआई द्वारा जांच के लिए एक अधिसूचना जारी की थी।

    साथ ही, मंगलवार (27 अक्टूबर) को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से इस मामले की सीबीआई जांच की निगरानी करने को कहा था।

    जैसा कि उत्तर प्रदेश राज्य के बाहर मुकदमे के हस्तांतरण की याचिका का संबंध है, सीजेआई की अगुवाई वाली पीठ ने कहा था कि जांच पूरी होने तक स्थानांतरण का सवाल खुला रहेगा।

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