यूपी गोहत्या रोकथाम अधिनियम- 'केवल मांस रखना अपराध नहीं, इस बात का कोई सबूत नहीं कि बरामद पदार्थ बीफ था': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी को जमानत दी

Brij Nandan

1 Jun 2023 2:36 PM IST

  • यूपी गोहत्या रोकथाम अधिनियम- केवल मांस रखना अपराध नहीं, इस बात का कोई सबूत नहीं कि बरामद पदार्थ बीफ था: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी को जमानत दी

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश गो हत्या रोकथाम अधिनियम के तहत दर्ज केस में आरोपी को जमानत दी। कोर्ट ने कहा कि केवल मांस रखना अपराध नहीं है। इस बात का कोई सबूत नहीं है कि बरामद किया गया पदार्थ बीफ या बीफ प्रोडक्ट था।

    जस्टिस विक्रम डी. चौहान की बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी। बेंच ने कहा- केवल मांस रखने या ले जाने को बीफ या बीफ प्रोडक्ट की बिक्री या परिवहन नहीं माना जा सकता है। जब तक, इसका कोई ठोस सबूत नहीं दिखाया जाता कि बरामद किया गया पदार्थ बीफ है।

    इसके साथ ही अदालत ने आरोपी इब्रान उर्फ शेरू को जमानत दी। इब्रान को इस साल मार्च में 30.5 किलोग्राम मांस की कथित बरामदगी के मामले में गिरफ्तार किया गया था। उस पर यूपी गोहत्या रोकथाम अधिनियम, 1955 के तहत केस दर्ज किया गया था।

    कोर्ट ने कहा,

    “ऐसा कोई सबूत नहीं पेश किया गया कि जिससे ये साबित हो सके कि आरोपी व्यक्ति ने गाय या बैल का वध किया था। या वध करने का कारण बना था।

    कथित कृत्य यूपी गोहत्या रोकथाम अधिनियम,1956 की धारा 2(D) के दायरे में नहीं आएगा। बरामदगी का कोई स्वतंत्र गवाह नहीं है। अधिनियम की धारा 3 के तहत केवल मांस रखना अपराध नहीं है। और ये उकसाने या अपराध करने का प्रयास नहीं हो सकता है। सक्षम प्राधिकारी की कोई रिपोर्ट ये साबित नहीं करती है कि बरामद किया गया मांस गोमांस है।“

    मामले में आरोपी ने जमानत के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था। आरोपी के वकील ने दलील दी कि याचिकाकर्ता एक पेंटर है। जब छापा मारा गया था तब वो घर में पेंटिंग का काम कर रहा था। और तो और याचिकाकर्ता को कथित बरामदगी से जोड़ने वाला कोई अन्य सबूत नहीं है। याचिकाकर्ता को मामले में झूठा फंसाया गया है।

    कोर्ट ने सबूतों को देखा, दलीलें सुनीं और कहा- ऐसा कोई सबूत पेश नहीं किया गया कि आरोपी के पास से बीफ बरामद हुआ या वो बीफ बेच रहा था। बरामदगी का कोई स्वतंत्र गवाह नहीं है।

    अदालत ने आगे कहा कि इस मामले में CrPC की धारा 100 के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था और कथित पदार्थ की बरामदगी पुलिस कर्मियों ने की थी।

    अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता प्रथम दृष्टया यूपी-गोहत्या अधिनियम के तहत दोषी नहीं है।

    कोर्ट ने कहा- राज्य ने ऐसा कुछ भी नहीं कहा कि आरोपी ने जांच में सहयोग नहीं किया या जमानत पर रिहा होने पर वो सबूतों या गवाहों के साथ छेड़छाड़ कर सकता है।

    इसके देखते हुए अदालत ने आरोपी को निजी बॉन्ड भरने और इतनी ही राशि के दो जमानतदार पेश करने की शर्त पर जमानत दी।

    आरोपी आवेदक की ओर से वकील अजय कुमार श्रीवास्तव पेश हुए।

    केस टाइटल - इब्रान @ शेरू बनाम यूपी राज्य 2023 लाइवलॉ (एबी) 172 [Criminal MISC. Bail Application No- 18519 of 2023]

    केस साइटेशन: 2023 लाइवलॉ (एबी) 172

    ऑर्डर पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें:




    Next Story