यूपी एन्टी कंवर्जन कानून- 'जबरदस्ती धर्म परिवर्तन किये जाने के साक्ष्य मौजूद नहीं': मुरादाबाद (यूपी) अदालत ने दो भाइयों को रिहा किया

SPARSH UPADHYAY

20 Dec 2020 12:19 PM IST

  • यूपी एन्टी कंवर्जन कानून- जबरदस्ती धर्म परिवर्तन किये जाने के साक्ष्य मौजूद नहीं: मुरादाबाद (यूपी) अदालत ने दो भाइयों को रिहा किया

    मुरादाबाद कोर्ट (उत्तर प्रदेश) ने राशिद और सलीम नाम के दो भाइयों को रिहा करने का आदेश दिया है, जिन्हें इस महीने की शुरुआत में उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्याधेश 2020 (लव-जिहाद कानून) के अंतर्गत गिरफ्तार किया गया था।

    मुस्लिम व्यक्ति (रशीद) और उसके भाई (सलीम) को 5 दिसंबर को मुरादाबाद में रजिस्ट्रार के कार्यालय में पहुँचने के तुरंत बाद गिरफ्तार कर लिया गया था।

    गौरतलब है कि रजिस्ट्रार के कार्यालय में रशीद और एक हिंदू महिला, जिसका नाम पिंकी (अब मुस्कान जहान) है, अपनी शादी को रजिस्टर कराने के लिए गए थे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह गिरफ्तारी हिन्दू महिला के परिवार द्वारा दर्ज शिकायत के चलते की गयी।

    मुरादाबाद जिले के कांठ थाने में लड़की की मां ने शिकायत दर्ज कराते हुए यह आरोप लगाया था कि मुरादाबाद निवासी राशिद अली उसकी बेटी पिंकी के धर्म को बदलने और उससे शादी करने की कोशिश कर रहा था।

    हालांकि, मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, मंगलवार (15 दिसंबर) को पिंकी ने आरोप लगाया कि उसकी मां ने उसके और उसके पति के खिलाफ फर्जी आरोप लगाए और उसने कहा कि उसने राशिद से शादी की और अपनी मर्जी से इस्लाम में परिवर्तित हो गई है।

    पुलिस द्वारा की गयी जांच

    कंठ पुलिस ने अदालत के समक्ष एक रिपोर्ट प्रस्तुत की (धारा 169 सीआरपीसी के तहत) और कहा कि मामले में जबरदस्ती धर्म परिवर्तन कराने का सबूत नहीं मिला है, क्योंकि पिंकी ने राशिद और उसके भाई सलीम द्वारा जबरदस्ती धर्म परिवर्तन के आरोपों से इनकार किया था।

    यह ध्यान दिया जा सकता है कि पिंकी ने धारा 164 सीआरपीसी के दर्ज अपने बयान में कहा था कि उसने 24 जुलाई, 2020 को देहरादून के आज़ाद कॉलोनी में स्थित मस्जिद में अपनी मर्जी से शादी की।

    उसने यह भी कहा कि वह पहले से राशिद के धर्म के बारे में जानती थी और उसने निकाह करते हुए कुरान पढ़ी। उसने यह भी कहा कि वह अपनी मर्जी से शादी कर चुकी है और वह अपने पति राशिद के साथ जाना चाहती थी।

    कोर्ट का आदेश

    इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि पुलिस को रशीद के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला, पुलिस ने धारा 169 सीआरपीसी के तहत अपनी रिपोर्ट दर्ज की, पुलिस ने आरोपियों की रिमांड की मांग नहीं की और लड़की, पिंकी ने स्पष्ट रूप से कहा कि उसे शादी के लिए मजबूर नहीं किया गया था, अदालत ने यह पाया कि "जिला जेल में राशिद और सलीम को रखना न्यायोचित नहीं था।"

    इसलिए, अदालत ने जिला जेल, मुरादाबाद से राशिद और सलीम को 50-50,000/- के निजी मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया। उन्हें आज यानि 19 दिसंबर 2020 को रिहा किया गया।

    केस की पृष्ठभूमि

    पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, एक वीडियो में कथित तौर पर बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने दंपत्ति (राशिद-पिंकी) से पूछा कि क्या महिला ने अपने धर्म को बदलने के इरादे से जिला मजिस्ट्रेट को नोटिस दिया था जोकि नए कानून के तहत एक आवश्यकता है।

    इसके पश्च्यात, 5 दिसंबर को, जहाँ गर्भवती महिला, पिंकी को आश्रय गृह भेजा गया था, वहीँ उसके पति और देवर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। पिंकी वह पहली महिला हैं जिन्हें उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्याधेश 2020 (लव-जिहाद कानून) के तहत गिरफ्तार किया गया था।

    इसके बाद, महिला की सास (राशिद की मां) ने आरोप लगाया कि पिंकी / मुस्कान को मुरादाबाद में एक आश्रय गृह में गर्भपात का सामना करना पड़ा।

    उसके द्वारा यह आरोप लगाया गया था कि "गर्भपात करने के लिए उसे इंजेक्शन दिया गया, क्योंकि उसने एक मुस्लिम से शादी करने की हिम्मत की और इस्लाम में परिवर्तित हो गई।"

    बाद में, महिला, पिंकी/मुस्कान ने यह भी आरोप लगाया कि आश्रय गृह, उसके तीन महीने के भ्रूण के गर्भपात के लिए जिम्मेदार था, हालाँकि इस आरोप से राज्य प्रशासन द्वारा इनकार किया गया है।

    यद्यपि मुरादाबाद जिले के अधिकारियों ने इस आरोप से इनकार किया परन्तु 'द प्रिंट' की रिपोर्ट के अनुसार पिंकी का गर्भपात हुआ है, और उसकी अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट कहती है कि उसका "गर्भाशय भारी" है और उसकी रिपोर्ट यह सुझाव देती है कि वह गर्भवती थी और उसका गर्भपात हो गया।

    "रिपोर्ट से पता चलता है कि वह गर्भवती थी और उसका गर्भपात हो गया था। उसके शरीर में अभी भी भ्रूण का एक हिस्सा है, जिसे एक प्रक्रिया द्वारा साफ करना होगा।"

    आदेश की प्रति डाउनलोड करेंं



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