उन्नाव रेप पीड़िता ने बीजेपी के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को अंतरिम जमानत देने के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया

Brij Nandan

25 Jan 2023 8:37 AM GMT

  • Kuldeep Singh Sengar

    Kuldeep Singh Sengar

    उन्नाव रेप केस (Unnao Rape Case) की पीड़िता ने बीजेपी के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर (Kuldeep Singh Sengar) को अंतरिम जमानत देने के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) का दरवाजा खटखटाया है।

    मामले में सेंगर आजीवन कारावास का सामना कर रहा है और उसे अपनी बेटी की शादी में शामिल होने की अनुमति देने के लिए अंतरिम जमानत दी गई है।

    पीड़ित ने अंतरिम जमानत देने के आदेश को वापस लेने की मांग करते हुए आवेदन दायर किया है। आवेदन में सेंगर की रिहाई के दौरान उस पर अतिरिक्त प्रतिबंध लगाए जाने की प्रार्थना की है।

    जस्टिस मुक्ता गुप्ता और जस्टिस अनूप कुमार मेंदीरत्ता की खंडपीठ ने पीड़िता के आवेदन पर नोटिस जारी किया और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जवाब मांगा।

    सेंगर को पहले अदालत ने 15 दिनों - 27 जनवरी से 10 फरवरी के लिए अंतरिम जमानत दी थी। खंडपीठ के आदेश के बाद, एकल न्यायाधीश ने भी सेंगर को पीड़िता के पिता की हत्या के मामले में समान शर्तों के साथ अंतरिम जमानत दी थी।

    पीड़िता की ओर से पेश एडवोकेट महमूद प्राचा ने पिछले साल नवंबर में उत्तर प्रदेश के विशेष सचिव (गृह) द्वारा सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर एक हलफनामे का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि पीड़िता, उसके परिवार और वकीलों की जान को खतरा है।

    उन्होंने प्रस्तुत किया कि पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के लिए सेंगर के साथ मामले में एक एसएचओ को भी दोषी ठहराया गया था।

    इस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने कहा,

    'हमने कहा है कि वह रोजाना गृह विभाग को रिपोर्ट करेंगे। पुलिस उनके अधीन आती है। अगर वे एसएचओ को अक्षम पाते हैं, तो उन्हें उचित एसएचओ तैनात करने दें। यह उनके अधिकार क्षेत्र में है।"

    जैसा कि प्राचा ने मामले में एक एसएचओ को दोषी ठहराए जाने के कारण संबंधित पुलिस द्वारा खतरे की आशंका व्यक्त की, पीठ ने टिप्पणी की,

    "इसका मतलब यह नहीं है कि हर एसएचओ या पुलिस अधिकारी इससे निपटने के लिए सक्षम नहीं है। हमने जो कहा है वह यह है कि वह प्रतिदिन रिपोर्ट करेंगे। वे वहां निगरानी रख सकते हैं। वे 100 लोगों को पोस्ट कर सकते हैं, इससे हमें कोई सरोकार नहीं है। यूपी सरकार को देखना है। इस हलफनामे को दाखिल करने के बजाय उन्हें पीड़िता और उसके परिवार की सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए।“

    सीबीआई की ओर से पेश वकील ने अदालत को बताया कि सेंगर को जांच एजेंसी के जांच अधिकारी को रिपोर्ट करना है न कि स्थानीय एसएचओ को।

    पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने मामले को 27 जनवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।

    आवेदन में पीड़िता ने कहा है कि अंतरिम जमानत मिलने के बाद से उसे सूचना मिल रही है कि सेंगर उसे और उसके परिवार को नुकसान पहुंचाने जा रहा है।

    आवेदन में कहा गया है,

    "आवेदक की अपनी और उसके परिवार की सुरक्षा के संबंध में आशंका बढ़ गई है, विशेष रूप से इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि अपीलकर्ता को जमानत पर रिहा होने पर, अपने मोबाइल फोन का उपयोग करने की अनुमति दी जाती है, और वर्तमान आवेदक को परेशान करने और सुरक्षा जोखिम पैदा करने के लिए प्रशासन में अपने ज्ञात व्यक्तियों के साथ साजिश रचने की संभावना है।“

    पीड़िता के साथ 2017 में पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और उसके साथियों ने उस समय बार-बार सामूहिक बलात्कार किया था, जब वह नाबालिग थी।

    सेंगर को उन्नाव जिले के एक गांव माखी के पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत से पीड़िता से बलात्कार और उसके पिता की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था। उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।

    सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में मामले की सुनवाई को साकेत कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था, जिसमें पीड़िता द्वारा ट्रांसफर याचिका दायर की गई थी।

    सुप्रीम कोर्ट ने रेप पीड़िता द्वारा भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को लिखे गए पत्र का संज्ञान लेते हुए घटना के संबंध में दर्ज सभी पांच मामलों को उत्तर प्रदेश की लखनऊ अदालत से सुनवाई के निर्देश के साथ दिल्ली की अदालत में ट्रांसफर कर दिया था। साथ ही कोर्ट को दैनिक आधार पर ट्रायल करने और इसे 45 दिनों के भीतर पूरा करने का निर्देश दिया गया था।

    केस टाइटल: कुलदीप सिंह सेंगर बनाम सीबीआई

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