उन्नाव रेप केस : दिल्ली हाईकोर्ट ने पूर्व बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर को मिली अंतरिम जमानत की अवधि घटाई
Sharafat
27 Jan 2023 1:48 PM GMT
![Kuldeep Singh Sengar Kuldeep Singh Sengar](https://hindi.livelaw.in/h-upload/2023/01/25/750x450_455600-kuldeep-singh-sengar.jpg)
Kuldeep Singh Sengar
दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को उन्नाव रेप केस में दोषी करार देकर उम्रकैद की सजा पाए बीजेपी के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की अंतरिम जमानत की अवधि घटा दी है। सेंगर को अपनी बेटी की शादी में शामिल होने की अनुमति देने के लिए अंतरिम जमानत दी गई है।
जस्टिस मुक्ता गुप्ता और जस्टिस पूनम ए बंबा की खंडपीठ ने 16 जनवरी के अपने पहले के उस आदेश को संशोधित किया, जिसमें सेंगर को 15 दिनों की अवधि 27 जनवरी से 10 फरवरी तक के लिए अंतरिम जमानत दी गई थी। एक एकल न्यायाधीश ने भी सेंगर को पीड़िता के पिता की हत्या के मामले में इन्हीं शर्तों पर अंतरिम जमानत दी थी।
आज जेल से रिहा हुए सेंगर को अब 01 फरवरी को सरेंडर करना होगा। शादी में शामिल होने के लिए सेंगर को फिर 06 फरवरी को रिहा किया जाएगा।इसके बाद उसे अंततः 10 फरवरी को आत्मसमर्पण करने के लिए कहा गया है।
अदालत ने कहा, "16 जनवरी 2023 के आदेश में उल्लेखित अन्य सभी शर्तें समान रहेंगी और उनका पालन किया जाएगा, सिवाय इसके कि हर रोज रिपोर्टिंग इंस्पेक्टर गणेश शंकर को होगी।"
कोर्ट ने सेंगर की दोषसिद्धि के खिलाफ अपील में पीड़ित द्वारा दायर एक आवेदन पर अंतरिम जमानत आदेश को संशोधित किया।
पीड़िता की ओर से पेश एडवोकेट महमूद प्राचा ने पिछले साल नवंबर में उत्तर प्रदेश के विशेष सचिव (गृह) द्वारा सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर एक हलफनामे का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि पीड़िता, उसके परिवार और वकीलों की जान को खतरा है। उन्होंने प्रस्तुत किया कि पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के लिए सेंगर के साथ मामले में एक एसएचओ को भी दोषी ठहराया गया था।
दूसरी ओर सेंगर की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट एन. हरिहरन ने कहा कि आदेश में संशोधन का कोई ठोस कारण नहीं है और सुनवाई पूरी होने के बाद से गवाहों को कोई खतरा नहीं है।
प्राचा द्वारा संदर्भित हलफनामे पर अदालत ने कहा कि पीड़िता और उसके परिवार के करीबी सदस्यों को केंद्रीय बलों से सुरक्षा प्रदान की गई है, न कि उत्तर प्रदेश या दिल्ली की किसी स्थानीय पुलिस से।
कोर्ट ने कहा, "इस तरह हलफनामे का तात्पर्य है कि उक्त खतरे की धारणा के आधार पर सुरक्षा बलों की निरंतर आवश्यकता है।"
आगे यह देखते हुए कि दो मुख्य समारोह हैं यानी 30 जनवरी को तिलक समारोह) और 8 फरवरी को शादी। अदालत ने कहा: "हम ध्यान दे सकते हैं कि अपीलकर्ता ने पहले से ही अतिरिक्त साक्ष्य के लिए एक आवेदन दायर किया है, इसलिए यह दलील कि गवाहों कोई खतरा नहीं है, उसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।”
पीठ ने कहा कि इतनी लंबी अवधि के लिए हिरासत पैरोल और पुलिस कर्मियों की नियुक्ति की आवश्यकता संभव नहीं होगी। इसने अंतरिम जमानत आदेश को "तिलक समारोह और शादी में उपलब्ध अंतर के कारण" संशोधित किया।
पीड़िता के साथ 2017 में बार-बार सामूहिक बलात्कार किया गया था, जब वह नाबालिग थी।
सेंगर को उन्नाव जिले के एक गांव माखी के पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत से पीड़िता से बलात्कार और उसके पिता की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था। उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में मामले की सुनवाई को तीस हजारी कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया था, जिसमें पीड़िता द्वारा स्थानांतरित याचिका दायर की गई थी।
शीर्ष अदालत ने बलात्कार पीड़िता द्वारा भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को लिखे गए पत्र का संज्ञान लेते हुए घटना के संबंध में दर्ज सभी पांच मामलों को उत्तर प्रदेश की लखनऊ अदालत से सुनवाई के निर्देश के साथ दिल्ली की अदालत में स्थानांतरित कर दिया था। अदालत ने दैनिक आधार सुनवाई करके 45 दिनों के भीतर इसे पूरा करने का निर्देश दिया था।
टाइटल : कुलदीप सिंह सेंगर बनाम सीबीआई
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