दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोग खुद को वकील बताते हैं और भूमि हड़पने के लिए काम ''भाड़े के गुंडों'' की तरह करते हैं : मद्रास हाईकोर्ट
LiveLaw News Network
12 Dec 2020 1:31 PM IST

Madras High Court
इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि पुलिस बल के साथ-साथ प्रशासन में शामिल कुछ ब्लैक शिप साथ मिलकर कई राजनीतिक दल और सांप्रदायिक संगठन भूमि कब्जाने का काम कर रहे हैं, मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा कि,
''यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोग वकील होने का दावा करते हैं और काले व सफेद कपड़े भी पहनते हैं, परंतु असल में वह जमीन हड़पने वालों से मिलीभगत करके संपत्ति हड़पने के लिए ''भाड़े के गुंडों '' की तरह काम करते हैं।''
न्यायमूर्ति एन किरुबाकरन और न्यायमूर्ति बी पुगलेंधी की खंडपीठ ने आगे कहा कि,
''नतीजतन, पुलिस बल भी उनके खिलाफ मामले दर्ज नहीं कर रहा है क्योंकि उन्हें डर है कि अगर ऐसा किया गया तो अधिवक्ताओं द्वारा आंदोलन किया जाएगा।''
मामला न्यायालय के समक्ष
अदालत एक मुथैया (लगभग 90 वर्ष की आयु) द्वारा दायर की गई एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने आरोप लगाया था कि उसकी जमीन को वर्ष 2008 में फर्जी दस्तावेजों के जरिए हड़प लिया गया है।
संपत्तियों, विशेष रूप से भूमि हथियाने से संबंधित अपराधों में उल्लेखनीय वृद्धि को देखते हुए, न्यायालय ने यह भी कहा कि पुलिस बल के कुछ असंतुष्ट तत्वों, बाहुबल और राजनीतिक शक्ति की मदद से कई भूमि हड़पने वाले निर्दोष व्यक्तियों की भूमि पर अतिक्रमण कर रहे हैं और अवैध रूप से उसका फायदा उठा रहे हैं।
(नोटः राज्य सरकार ने वर्ष 2011 में, भूमि हथियाने के मामलों से निपटने के लिए तमिलनाडु में 36 एंटी-लैंड गै्रबिंग स्पेशल सेल के गठन का आदेश दिया था और कुछ जिलों में विशेष न्यायालयों का गठन विशेष रूप से आपराधिक प्रक्रिया संहिता के तहत भूमि हथियाने के मामलों की सुनवाई करने के लिए किया गया था। हालाँकि, उक्त सरकारी आदेशों को मद्रास हाईकोर्ट ने आर.थमारिसेलवन बनाम तमिलनाडु सरकार, 2015 (2) एमएलजे 641 मामले में सुनवाई करने के बाद रद्द कर दिया था और यह मामला वर्तमान में शीर्ष न्यायालय के समक्ष लंबित है।)
कोर्ट का अवलोकन
न्यायालय ने अपने आदेश में सुझाव दिया कि,
''अगर सरकार की दिलचस्पी है, तो अगले विधानसभा सत्र में या एक विशेष सत्र द्वारा, वह भूमि हथियाने को रोकने और संपत्ति/ भूमि मालिकों के हितों की रक्षा के लिए एक उपयुक्त अधिनियम पारित कर सकती है।''
इसके अलावा, अदालत ने कहा कि जब किसी की जमीन या संपत्ति हड़प ली जाती है, तो न केवल मालिक के अधिकार का उल्लंघन होता है, बल्कि आपराधिक मामला और सिविल केस भी दर्ज किया जाता है और उसकी वजह से, '' पुलिस बल और न्यायालय पर दबाव बढ़ता है क्योंकि वहां पहले ही बहुत मामले लंबित हैं,ऐसे में नए मामलों को दायर करने के कारण अनावश्यक रूप से बोझ बढ़ता है।''
कोर्ट ने आगे सुझाव दिया कि ''इन प्रकार के मामलों से बचने के लिए, बेहतर तरीका आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, ओडिशा और गुजरात के लैंड गै्रबिंग एक्ट की तर्ज पर कानून बनाना ही है।''
अंत में, न्यायालय ने यह भी टिप्पणी की है कि फर्जी दस्तावेजों के निर्माण के लिए, कुछ रजिस्ट्रारों ने ''भूमि हड़पने वाले के साथ हाथ मिलाया हुआ है और वे तीन या चार साल पुराने दस्तावेजों को नए दस्तावेजों के साथ बदल देते हैं ताकि यह दिखाया जा सके कि लैंड ग्रैबर्स संपत्तियों के मालिक हैं।''
न्यायालय ने महाधिवक्ता से कहा है कि वह इस मामले में उचित निर्देश प्राप्त करें। मामले में अब अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी।
केस का शीर्षक - मुथैया बनाम तमिलनाडु सरकार का प्रधान सचिव [WP(MD) No.17677 of 2020]
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