अविश्वसनीय है कि एक विवाहित महिला से बलात्कार करने के लिए पिता खुद अपने 2 बेटों को उकसाएगाः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 'सामूहिक-बलात्कार मामले के ट्रायल' पर रोक लगाई

Manisha Khatri

24 July 2022 11:15 AM GMT

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट


    इलाहाबाद हाईकोर्ट (लखनऊ पीठ) ने गुरुवार को दो सगे भाइयों के खिलाफ चल रहे एक आपराधिक मुकदमे पर रोक लगा दी है, जिन पर 27 वर्षीय महिला के साथ सामूहिक बलात्कार का आरोप लगाया गया है। अदालत ने पिता (आरोपी के) के खिलाफ चल रहे मुकदमे पर भी रोक लगा दी है, जिस पर अपने दो बेटों को महिला से बलात्कार के लिए उकसाने करने का आरोप लगाया गया है।

    जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की पीठ ने कहा कि यह अविश्वसनीय है कि एक पिता अपने दो बेटों को एक विवाहित महिला से बलात्कार करने के लिए उकसाने का काम करेगा और उसके बाद दो सगे भाईयों ने बारी-बारी एक विवाहित महिला के साथ बलात्कार किया, जिसके तीन बच्चे हैं।

    न्यायालय 3 अभियुक्तों (पिता और उनके दो पुत्रों) द्वारा दायर आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिन्होंने निचली अदालत के एक आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का रुख किया था। निचली अदालत ने उनके डिस्चार्ज करने की मांग वाले आवेदनों को खारिज कर दिया था।

    संशोधनवादी दो सगे भाई और उनके पिता हैं। उन पर यह आरोप है कि पिता घर की रखवाली के बाहर बैठा रहा और उसने अपने दो बेटों को 27 वर्षीय विवाहित महिला के साथ बलात्कार करने के लिए कहा, जिसके तीन बच्चे हैं।

    उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए, कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया अभियोजन द्वारा स्थापित कहानी अदालत के विवेक को अपील/आकर्षित नहीं करती है। इसे देखते हुए कोर्ट ने आगे की कार्यवाही पर रोक लगाना उचित समझा।

    इसलिए कोर्ट ने कहा कि मामले की सुनवाई की अगली तारीख तक भारतीय दंड संहिता की धारा 504,506,376-डी, 120-बी के तहत सेशन कोर्ट में लंबित कार्यवाही को स्थगित रखा जाए।

    कोर्ट ने उत्तर प्रदेश राज्य और मामले में कथित पीड़िता (प्रतिवादी नंबर 2) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इसके अलावा, अदालत ने प्रतिवादियों के वकील को जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है। मामले को अब छह सप्ताह के बाद आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

    मई 2022 में, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपनी बहू से बलात्कार करने के आरोपी एक व्यक्ति को अग्रिम जमानत देते हुए कहा था कि हमारी भारतीय संस्कृति में यह काफी अप्राकृतिक है कि एक ससुर किसी अन्य व्यक्ति के साथ मिलकर अपनी ही बहू का बलात्कार करेगा।

    जस्टिस अजीत सिंह की पीठ ने आरोपी-बाबू खान (पीड़ित के ससुर) को अग्रिम जमानत का लाभ देते हुए कहा था कि,

    ''... यह मानते हुए कि यह काफी अप्राकृतिक है कि हमारी भारतीय संस्कृति में एक ससुर किसी अन्य व्यक्ति के साथ मिलकर अपनी ही बहू के साथ बलात्कार करेगा, यह भी देखा गया है कि समाज में ससुर की प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाने या अपमानित करने के चलते यह आरोप गलत तरीके से लगाया गया है।''

    केस टाइटल - नासिर व अन्य बनाम यूपी राज्य,प्रमुख सचिव,गृह के जरिए व अन्य

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