मप्र हाईकोर्ट ने राज्य बार काउंसिल से वरिष्ठ अधिवक्ता के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई करने का अनुरोध किया

LiveLaw News Network

9 April 2022 6:41 AM GMT

  • मप्र हाईकोर्ट ने राज्य बार काउंसिल से वरिष्ठ अधिवक्ता के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई करने का अनुरोध किया

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने गुरुवार को वरिष्ठ अधिवक्ता मृगेंद्र सिंह द्वारा पीठासीन न्यायाधीश (जस्टिस अतुल श्रीधरन) पर पक्षपाती होने का आरोप लगाते हुए मामले की सुनवाई से हटने की अपील पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई कि उन्हें न्यायाधीश के खिलाफ स्पष्ट पूर्वाग्रह का आरोप लगाने से बचना चाहिए।

    वरिष्ठ अधिवक्ता द्वारा किए गए आह्वान के जवाब में बेंच ने कहा कि किसी भी अधिवक्ता को वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित करना उसके विशाल ज्ञान, विद्वता, अभिव्यक्ति और कानूनी कौशल के सम्मान का प्रतीक है।

    हालांकि, कोर्ट ने कहा, उन्हें एक वकील के रूप में अपने आचरण में शिष्टता, धैर्य और सबसे महत्वपूर्ण रूप से अत्यधिक अनुग्रह प्रदर्शित करना चाहिए।

    कोर्ट ने आगे टिप्पणी की कि यह एक वकील के लिए अशोभनीय है कि जब न्यायालय उसकी दलीलों से सहमत न हो तो वह वकील कोर्ट पर पक्षपाती होने का अपमानजनक आरोप लगाए।

    इतना ही नहीं, हाईकोर्ट ने राज्य बार काउंसिल से अनुरोध किया है कि वह कोर्ट के समक्ष प्रदर्शित असंयमित और अक्षम्य आचरण के लिए वरिष्ठ वकील के खिलाफ 'सख्त हरसंभव कार्रवाई' शुरू करे।

    मामले की पृष्ठभूमि

    अनिवार्य रूप से, कोर्ट एक आपराधिक मामले से निपट रहा था, जहां एक शिकायतकर्ता के इशारे पर आईपीसी की धारा 406, 420, और 379 के तहत दर्ज अपराध के मामलों को अभियुक्त ने चुनौती दी थी। दरअसल, शिकायतकर्ता राज्य के एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी की पत्नी थी।

    उक्त प्रावधानों के तहत प्राथमिकी तब दर्ज की गई जब आरोपी द्वारा शिकायतकर्ता (राज्य के एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी की पत्नी) को दिए गए चेक बाउंस हो गए।

    कार्यवाही के दौरान, जब एकल न्यायाधीश ने बताया कि यह एक ऐसा मामला है जहां पुलिस तंत्र का दुरुपयोग किया गया था, क्योंकि शिकायतकर्ता का पति एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी था, इस पर शिकायतकर्ता के वरिष्ठ वकील मृगेंद्र सिंह ने कोर्ट पर पक्षपात का आरोप लगाया और कहा कि संबंधित न्यायाधीश को सुनवाई से अलग हो जाना चाहिए, क्योंकि वह न्यायाधीश उनके मुवक्किल के खिलाफ पूर्वाग्रही धारणाओं से ग्रसित थे।

    वरिष्ठ अधिवक्ता ने कोर्ट पर एक वर्ग के रूप में पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध द्वेष रखने का आरोप भी लगाया, जिसके कारण वरिष्ठ अधिवक्ता ने न्यायाधीश से मामले को किसी अन्य कोर्ट में भेजने को कहा।

    पूर्वाग्रह के आरोपों और सुनवाई से अलग होने के अनुरोध से चिढ़कर एकल पीठ ने सख्ती से कहा कि कोर्ट के समक्ष अधिवक्ता के अशांत और अक्षम्य आचरण के लिए एमपी स्टेट बार काउंसिल को न केवल एक वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में, बल्कि राज्य बार काउंसिल के एक पदाधिकारी के रूप में भी मृगेंद्र सिंह के खिलाफ 'सख्त से सख्त हरसंभव कार्रवाई' करनी चाहिए।।

    कोर्ट ने निर्देश दिया और इस प्रकार टिप्पणी की:

    यह कोर्ट वरिष्ठ अधिवक्ता के आचरण को लेकर बहुत आहत है, जिन्होंने बिना पर्याप्त कारण के न्यायालय की तटस्थता पर आक्षेप लगाया है। हालांकि, कोर्ट ने खुद को सुनवाई से अलग करने से इनकार कर दिया और वरिष्ठ वकील के आचरण और उनके द्वारा इस्तेमाल किए गए शब्दों की कड़े शब्दों में निंदा की। कोर्ट की यह टिप्पणी कि मध्य प्रदेश में अन्य राज्यों की तुलना में स्थिति फिर भी बेहतर है और अपराध करने की प्रवृत्ति कम है, को पूरा होने से पहले ही मृगेंद्र सिंह ने टोकाटोकी की। कोर्ट ने आगे कहा कि विचाराधीन वरिष्ठ अधिवक्ता बार काउंसिल के पदाधिकारी हैं। अगर मैं इस मामले को बार काउंसिल के पास भेज दूं, तो शायद ही कोई महत्वपूर्ण निर्णय संभव हो। फिर भी, मैं अब भी इस आदेश को मध्य प्रदेश राज्य बार काउंसिल के अध्यक्ष के समक्ष इस अनुरोध के साथ रखना आवश्यक समझता हूं कि वरिष्ठ वकील के खिलाफ उनके अभद्र और अक्षम्य आचरण के लिए सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। अधिवक्ता के खिलाफ की गई कार्रवाई इस दृष्टि से न केवल बार और बेंच की संस्थाओं के लिए, बल्कि इस राज्य के लोगों के लिए भी सच्चाई का क्षण होगी कि पेशे में गलत सदस्यों को रास्ता पर लाने के लिए बार काउंसिल किस हद तक जाने को तैयार है।"

    कोर्ट ने सुनवाई आगे बढ़ाते हुए आरोपी के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द कर दिया, जो उस आईपीएस अधिकारी का साला था, जिसकी पत्नी शिकायतकर्ता थी।

    केस का शीर्षक - प्रकाश सिंह और नंदिता सिंह बनाम मध्य प्रदेश सरकार और अन्य

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