डेली कॉलिंग फैसिलिटी के लिए उमर खालिद ने दिल्ली कोर्ट का रुख किया, तिहाड़ जेल प्रशासन को रिपोर्ट दाखिल करने को कहा
Brij Nandan
20 Jan 2023 8:30 AM IST
जेएनयू के पूर्व छात्र और एक्टिविस्ट उमर खालिद (Umar Khalid) ने 2020 के पूर्वोत्तर दिल्ली दंगों के बड़े साजिश मामले (Delhi Riots) में जेल में रहने तक डेली कॉलिंग फैसिलिटी की मांग करते हुए दिल्ली की एक अदालत का रुख किया है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने खालिद की अर्जी पर नोटिस जारी कर तिहाड़ जेल अधीक्षक से जवाब मांगा है।
अदालत ने कहा,
"इस आवेदन का नोटिस संबंधित जेल अधीक्षक को जारी किया जाए, जो इस संबंध में वर्तमान मामले में पहले से तय तारीख यानी 21.01.2023 तक रिपोर्ट दाखिल करेंगे।"
सितंबर 2020 से हिरासत में चल रहे उमर को पिछले साल 23 से 30 दिसंबर तक अपनी बहन की शादी में शामिल होने के लिए अंतरिम जमानत दी गई थी।
हाईकोर्ट के जज जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस रजनीश भटनागर की विशेष पीठ ने 18 अक्टूबर, 2022 को उन्हें नियमित जमानत देने से इनकार कर दिया था।
तिहाड़ जेल द्वारा 2 सितंबर, 2022 को एक सर्कुलर जारी किया गया था। इसमें उच्च सुरक्षा वाले कैदियों या दिल्ली जेल नियमों के नियम 631 के तहत निर्दिष्ट कैदियों को कॉल करने की सुविधा के लिए कुछ निर्देश दिए गए थे।
नियम कहता है कि जो कैदी राज्य के खिलाफ अपराधों, आतंकवादी गतिविधियों, मकोका, राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम में शामिल हैं और अन्यथा कई जघन्य अपराधों में शामिल हैं, वे सार्वजनिक सुरक्षा और व्यवस्था के हित में इस सुविधा के पात्र नहीं होंगे।
हालांकि, जेल अधीक्षक को डीआईजी (कारागार) के पूर्व अनुमोदन से मामले के आधार पर उचित निर्णय लेने का अधिकार है।
सर्कुलर में निर्देश दिया गया है कि कैदियों की उक्त श्रेणियों को सप्ताह में एक बार तक सीमित कैदी बुलाने की सुविधा उपलब्ध कराई जा सकती है, जो जेल में अच्छे आचरण को बनाए रखने के अधीन होगी।
सर्कुलर में कहा गया है,
"उपरोक्त श्रेणियों में शामिल और सक्षम न्यायालयों के निर्देश पर इनमेट फोन कॉल सिस्टम सुविधा का लाभ प्राप्त करने वाले कैदियों को यह सुविधा मिलती रहेगी। हालांकि बाद में अगर आवश्यक हो तो कोर्ट से इसकी समीक्षा कराई जा सकती है।“
यह आगे जेल अधीक्षक को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देता है कि कॉल की अवधि प्रत्येक अवसर पर पांच मिनट से अधिक नहीं होगी और यह सुविधा केवल कार्य दिवसों और कार्यालय समय के दौरान उपलब्ध कराई जाएगी।
इस महीने की शुरुआत में, सह आरोपी शारजील इमाम, गुलफिशा फातिमा और शिफा-उर-रहमान ने भी आवेदन दायर कर आरोप लगाया था कि उनके परिवार के सदस्यों के लिए टेलीफोन सुविधा बंद कर दी गई है।
अदालत ने तब तिहाड़ जेल के विभिन्न अधीक्षकों और विधि अधिकारी (कारागार) को तलब किया था।
उच्च न्यायालय ने उन्हें जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि 2020 के विरोध प्रदर्शनों के पीछे की साजिश की शुरुआत से लेकर दंगों की परिणति तक खालिद के नाम का आरोपपत्र में बार-बार उल्लेख किया गया है।
अदालत ने यह भी कहा कि खालिद डीपीएसजी और जेएनयू के मुस्लिम छात्रों जैसे व्हाट्सएप समूहों का सदस्य था और उसने विभिन्न बैठकों में भी भाग लिया था, जिसमें दंगे करने की कथित साजिश रची गई थी।
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा जांच की जा रही एफआईआर 59/2020 में आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के विभिन्न प्रावधानों के साथ-साथ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम 1967 के तहत विभिन्न आरोप लगाए गए हैं।
चार्जशीट करने वालों में आप के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन, जामिया समन्वय समिति के सदस्य सफूरा जरगर, खालिद सैफी, शादाब अहमद, तस्लीम अहमद, आसिफ इकबाल तन्हा, सलीम मलिक और अतहर खान शामिल हैं।
इसके बाद उमर खालिद और शरजील इमाम के खिलाफ मामले में एक पूरक आरोप पत्र दायर किया गया था।