श्रीनगर कोर्ट ने महिला की शिकायत पर अवैध तीन तलाक देने वाले पति के खिलाफ FIR दर्ज करने का दिया निर्देश

Amir Ahmad

3 Jun 2025 11:51 AM IST

  • श्रीनगर कोर्ट ने महिला की शिकायत पर अवैध तीन तलाक देने वाले पति के खिलाफ FIR दर्ज करने का दिया निर्देश

    श्रीनगर की प्रथम अतिरिक्त मुंसिफ अदालत ने संबंधित थाना प्रभारी (SHO) को मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 की धारा 4 के तहत अवैध तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) देने वाले पति के खिलाफ FIR दर्ज करने का निर्देश दिया।

    यह निर्देश उस आवेदन के जवाब में आया, जो महिला ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), 2023 की धारा 173(4) के तहत दायर किया था।

    महिला ने पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज न करने और मामले में निष्क्रियता के खिलाफ न्यायिक हस्तक्षेप की मांग की थी।

    न्यायिक मजिस्ट्रेट ज़िर्घाम हमीद ने अपने आदेश में कहा कि पुलिस द्वारा दायर कार्रवाई रिपोर्ट और प्रारंभिक जांच को संयुक्त रूप से पढ़ने पर यह स्पष्ट है कि धारा 4 के तहत संज्ञेय अपराध हुआ है।

    हालांकि पति द्वारा भेजे गए तलाक नोटिस में 'तलाक-ए-अहसन' (मान्य प्रक्रिया) का उल्लेख किया गया, लेकिन न्यायालय ने पाया कि उसकी भाषा और प्रभाव तत्काल तीन तलाक (instant triple talaq) जैसा था।

    अदालत ने यह भी कहा कि कोई भी तलाक जो तत्काल और अपरिवर्तनीय हो, वह 2019 के अधिनियम के तहत अपराध घोषित किया गया और धारा 7 के तहत यह संज्ञेय अपराध भी है।

    पीड़िता के आरोप

    पीड़िता ने अपने पति और ससुराल वालों पर घरेलू हिंसा, दहेज प्रताड़ना, और मानसिक व शारीरिक शोषण के गंभीर आरोप लगाए हैं।

    उनका विवाह अगस्त 2019 में हुआ था और इसके बाद वह पति के साथ रियाद, सऊदी अरब चली गईं।

    वहां, उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया और जबरन गर्भपात भी करवाया गया। वर्ष 2020 की शुरुआत में उन्हें कश्मीर वापस भेज दिया गया, जहां ससुराल वालों द्वारा शोषण जारी रहा।

    जुलाई, 2022 में वह फिर से रियाद लौटीं, लेकिन सितंबर 2022 में उन्हें दोबारा छोड़ दिया गया।

    तीन तलाक का नोटिस और कानूनी कार्रवाई

    सितंबर 2024 में पीड़िता को तलाक-ए-बिद्दत (तीन तलाक) का नोटिस मिला, जो 2019 के अधिनियम के तहत अवैध और दंडनीय अपराध है।

    इसके बाद दिसंबर, 2024 में उन्होंने स्थानीय पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई, जिसमें क्रूरता (BNS की धारा 85), आपराधिक डराने-धमकाने, और अवैध तलाक जैसे आरोप लगाए गए। लेकिन सीनियर पुलिस अधिकारियों से बार-बार संपर्क के बावजूद FIR दर्ज नहीं की गई।

    अब अदालत ने निर्देश दिया कि मामले में FIR दर्ज कर आगे की कानूनी कार्रवाई की जाए।

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