वैवाहिक मामले का ट्रांसफर- बच्चों की देखभाल करने वाले पति की सुविधा को अधिक महत्व दिया जाना चाहिएः मध्यप्रदेश हाईकोर्ट

Manisha Khatri

2 Aug 2022 3:30 AM GMT

  • वैवाहिक मामले का ट्रांसफर- बच्चों की देखभाल करने वाले पति की सुविधा को अधिक महत्व दिया जाना चाहिएः मध्यप्रदेश हाईकोर्ट

    Madhya Pradesh High Court

    मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में एक वैवाहिक मामले को ट्रांसफर करने की मांग करते हुए दायर किए गए एक आवेदन पर विचार करते हुए कहा कि जब नाबालिग बच्चों की कस्टडी पति के पास होती है, तो पत्नी की तुलना में उसकी सुविधा को अधिक महत्व दिया जाना चाहिए।

    जस्टिस नंदिता दुबे की खंडपीठ ने आगे कहा कि ऐसी परिस्थितियों में, पति को अपने नाबालिग बच्चों को बरेली स्थित अपने आवास में अकेला छोड़कर बाहर की एक अदालत में कार्यवाही में भाग लेने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है।

    यह निर्विवाद है कि याचिकाकर्ता के दो नाबालिग बच्चे प्रतिवादी/पति के साथ रह रहे हैं और वही उनकी देखभाल कर रहा है। ऐसी परिस्थितियों में याचिकाकर्ता/पत्नी की तुलना में प्रतिवादी/पति की सुविधा को अधिक महत्व देना पड़ेगा, क्योंकि वह अपने दो नाबालिग बेटों की देखभाल कर रहा है। इन परिस्थितियों में, उन्हें अपने नाबालिग बच्चों को छोड़कर गंज बसौदा में कार्यवाही में शामिल होने के लिए मजबूर नहीं किया जा सका है।

    मामले के तथ्य यह हैं कि आवेदक/पत्नी ने अपने वैवाहिक मामले को अपनी जिला अदालत में ट्रांसफर करने की प्रार्थना करते हुए न्यायालय के समक्ष एक आवेदन दायर किया था। इस समय यह मामला उस जिले की अदालत में चल रहा है,जहां उसका पति रहता है। उसने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि उसके पास आय का कोई स्रोत नहीं है और उसके परिवार में कोई पुरुष सदस्य भी नहीं है जो फैमिली कोर्ट की कार्यवाही में भाग लेने के लिए दूसरे जिले की यात्रा करते समय उसके साथ आ-जा सके। उसने अदालत का ध्यान इस तथ्य की ओर भी दिलाया कि उसने अपने जिले में प्रतिवादी/पति के खिलाफ घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत और सीआरपीसी की धारा 125 के तहत भरण-पोषण की मांग करते हुए भी दो केस दायर कर रखे हैं।

    पक्षकारों की प्रस्तुतियों और रिकॉर्ड पर मौजूद दस्तावेजों की जांच करते हुए, कोर्ट ने पाया कि वित्तीय संकट के संबंध में पत्नी की मुख्य दलील को हल किया जा सकता है यदि पति उसके यात्रा खर्च को वहन कर लेता है। इस प्रकार, न्यायालय ने संबंधित फैमिली कोर्ट को पत्नी के यात्रा व्यय की मात्रा निर्धारित करने का निर्देश दिया है ताकि पति उसे कार्यवाही के लिए निर्धारित तिथि से पहले राशि का भुगतान कर सके।

    प्रतिवादी/पति को निर्देश दिया जाता है कि वह याचिकाकर्ता और उसके साथ आने वाले व्यक्ति को (जब भी उन्हें गंज बसौदा से बरेली की यात्रा करनी पड़े) आने-जाने और हर अवसर पर उनके रहने के खर्च का भुगतान करे। प्रतिवादी को यह भी सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाता है कि इस संबंध में या कार्यवाही में याचिकाकर्ता को उसके द्वारा किसी प्रकार की असुविधा न हो। गंज बसौदा में स्थित फैमिली कोर्ट को इस संबंध में राशि की मात्रा निर्धारित करने और यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया जाता है कि याची को हर उस अवसर पर भुगतान किया जाए जिस पर उसे अदालत में उपस्थित रहने की आवश्यकता होती है।

    उपरोक्त टिप्पणियों और निर्देशों के साथ, अदालत ने पत्नी के वैवाहिक मामले को ट्रांसफर करने की मांग वाले आवेदन को खारिज कर दिया।

    केस टाइटल- श्रीमती हर्षा शर्मा बनाम राकेश शर्मा

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