राज्य जमीन मालिक को जमीन की सेल डीड निष्पादित करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

28 Nov 2023 3:39 PM GMT

  • राज्य जमीन मालिक को जमीन की सेल डीड निष्पादित करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता: इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पिछले हफ्ते एक फैसले में कहा कि राज्य जमीन मालिक को जमीन की सेल डीड निष्पादित करने के लिए विवश या बाध्य नहीं कर सकता।

    कार्यवाहक चीफ जस्टिस मनोज कुमार गुप्ता और जस्टिस डोनाडी रमेश की पीठ ने ललितपुर जिले में एयरपोर्ट निर्माण के लिए अध‌िग्रहीत की जा रही जमीनों के मामले में एक याचिका को ‌निस्तारित करते हुए यह टिप्‍पणी की।

    मामले में सौरभ शर्मा और अन्य की ओर से दायर याचिका में मांग की गई ‌थी कि प्रतिवादी (उत्तर प्रदेश राज्य और चार अन्य) प्रा‌धिकरण को निर्देश दिया जाए कि वे याचिकाकर्ताओं को ललितपुर जिले की उनकी जमीनों के हिस्सों, जिनका खाता संख्या 7,8, 9, 11,22, 204, 205, 206, 228, 234, और 277 है, को उचित प्रक्रिया को पालन किए बिना, ट्रांसफर करने के लिए बाध्य या विवश ना करें।

    याचिकाकर्ताओं का मामला यह था कि उन पर प्र‌तिवादी राज्य की ओर से उपरोक्त जमीन के टुकड़ों के संबध में सेल डीड निष्पादित करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। याचिका में बताया गया है कि उक्त जमीन के टुकड़ों को एयरपोर्ट निर्माण के लिए अधिग्रहित किया जा रहा है।

    प्रतिवादी पक्ष की ओर से पेश अतिरिक्त मुख्य स्‍थायी वकील ने राजीव गुप्ता ने जिला अधिकारी, ललितपुर से प्राप्त निर्देशों का उल्लेख करते हुए कहा कि 99 फीसदी जमीन मालिकों ने अपनी-अपनी जमीनों के टुकड़ों के ट्रांसफर के ल‌िए सहमति दे दी है। वादी याचिकाकर्ता ट्रांसफर के ल‌िए तैयार नहीं हैं।

    उन्होंने कहा कि अगर याचिकाकर्ता आपसी बातचीत के आधार पर जमीनों का ट्रांसफर करने के लिए सहमत नहीं होते हैं तो प्रतिवादी कानून में दी गई प्रक्रिया के अनुसार जमीन का अध‌िग्रहण कर लेगा।

    प्रतिवादी राज्य की ओर से दी गई दलीलों के मद्देनज़र कोर्ट ने कहा कि प्रतिवादी याचिकाकर्ताओं को उसके पक्ष में सेल डीड निष्पा‌दित करने के लिए बाध्य नहीं करेगा, जब तक कि वे स्‍वतंत्र इच्छा से ऐसा करने के लिए सहमत नहीं हो जातें।

    हालांकि कोर्ट ने आगे कहा कि प्रतिवादी राज्य के पास प्रश्नगत जमीन के टुकड़ों को कानून में दी गई प्रक्रिया का अनुपालन कर अधिग्रहित करने का विकल्प खुला है।


    केसः रिट-सी नंबर-35452/2023


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