'अपीलकर्ता और शिकायतकर्ता-महिला विवाह करने के लिए तैयार हैं', मध्य प्रदेश HC ने महिला से शादी करने के लिए अभियुक्त को 2 महीने की जमानत दी

SPARSH UPADHYAY

5 Sep 2020 10:47 AM GMT

  • Writ Of Habeas Corpus Will Not Lie When Adoptive Mother Seeks Child

    MP High Court

    मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय (इंदौर खंडपीठ) ने बुधवार (02 सितंबर) को एक व्यक्ति (अपीलकर्ता) को अस्थायी तौर पर 2 महीने की जमानत दी, ताकि इस अवधि के दौरान अपीलकर्,ता अभियोजक पक्ष/शिकायतकर्ता-महिला के साथ विवाह कर सके।

    न्यायमूर्ति एस. के. अवस्थी की पीठ अपीलार्थी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने न्यायाधीश देवास, जिला द्वारा दिनांकित 25.05.2020 के आदेश (Bail No.217/2020) से व्यथित महसूस होते हुए, SC / ST (PA) अधिनियम, 1989 की धारा 14-A (2) के तहत हाई कोर्ट के समक्ष अपील दायर की।

    विशेष रूप से, अपीलकर्ता पर, अभियोजन पक्ष/पीड़ित महिला ने, उसके साथ बार-बार बलात्कार करने का आरोप लगाया गया था। ऐसा आरोप लगाया गया कि अपीलकर्ता के आग्रह पर, अभियोजन पक्ष ने अपने पति को भी तलाक दे दिया था और उसके बाद अपीलकर्ता उससे शादी करने के अपने वादे से पलट गया।

    मामले की पृष्ठभूमि

    अपीलार्थी को 12.02.2020 को, अपराध संख्या 13/2020 के तहत पुलिस स्टेशन सिटी कोतवाली, जिला देवास में आईपीसी की धारा 376 2 (एन), 506 और धारा 3(1) (W-II), 3(2)(V), 3(2)(V-a) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) 1989 के तहत दंडनीय अपराध के संबंध में गिरफ्तार किया गया था।

    पक्षकारों की प्रस्तुतियाँ

    अभियोजन पक्ष के मामले के अनुसार, अभियोजक ने एक प्राथमिकी दर्ज की थी जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि अपीलकर्ता ने शादी के बहाने उसके साथ बलात्कार किया था।

    अपीलकर्ता के वकील ने कहा कि वह निर्दोष है और उसे वर्तमान अपराध में झूठा फंसाया गया है। यह तर्क दिया गया कि अभियोजन पक्ष एक विवाहित महिला है।

    अभियोजन पक्ष ने Cr.P.C की धारा 164 के तहत दर्ज अपने बयानों में अपीलकर्ता के खिलाफ आरोप लगाए। अपीलकर्ता के साथ उसका प्रेम संबंध था और उसने 15.02.2017 को पहले उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए, उसके बाद वह नियमित रूप से उसके घर आने लगा और उसके साथ शारीरिक संबंध बनाता रहा।

    अपीलकर्ता के आग्रह पर, उसने अपने पति को तलाक दे दिया और उसके बाद अपीलकर्ता ने उससे शादी करने से इनकार कर दिया।

    यह आगे प्रस्तुत किया गया कि अब दोनों पक्षों के परिवार के सदस्य दोनों की (अपीलकर्ता और पीड़ित महिला) शादी करने के लिए तैयार थे और इस संबंध में महिला ने न्यायालय के समक्ष एक हलफनामा भी दिया।

    पूर्वोक्त को देखते हुए अपीलार्थी के वकील ने अपीलकर्ता को जमानत देने की प्रार्थना की।

    कोर्ट का अवलोकन

    अदालत ने अपने आदेश में कहा,

    "इस तथ्य को देखते हुए कि अपीलकर्ता और अभियोजक बालिग़ हैं और अब वे विवाह करने के लिए तैयार हैं। इन परिस्थितियों में, वर्तमान अपील को अनुमति दी जाती है और अपीलकर्ता को उसकी रिहाई की तारीख से दो महीने की अवधि के लिए अस्थायी जमानत दी जाती है ताकि इस अवधि के दौरान अपीलकर्ता अभियोजन पक्ष के साथ विवाह कर सके।"

    नतीजतन, निचली अदालत के आदेश को अलग करते हुए, अपील को भाग में अनुमति दी गई थी। यह निर्देश दिया गया था कि अपीलार्थी को 50,000 रुपये (केवल पचास हजार) के निजी मुचलके पर जमानत पर रिहा किया जाएगा, जो कि विचाराधीन ट्रायल कोर्ट की संतुष्टि के साथ होगा।

    उसे 03.11.2020 को ट्रायल कोर्ट के सामने आत्मसमर्पण करना होगा और सीआरपीसी की धारा 437 (3) के तहत लागू की गई शर्तों का पालन भी करना होगा.

    मामले का विवरण:

    केस का शीर्षक: सूरज कुशवाह बनाम एम. पी. राज्य

    केस नं .: CRA No.3353 / 2020

    कोरम: न्यायमूर्ति एस. के. अवस्थी

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