कई सालों बाद टेस्ट आइडेंटिफिकेशन परेड की अनुमति नहीं दी जा सकती: कर्नाटक हाईकोर्ट

Brij Nandan

30 Sept 2022 10:30 AM IST

  • हाईकोर्ट ऑफ कर्नाटक

    कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) ने कहा कि टेस्ट पहचान परेड (Test Identification Parade) आरोपी व्यक्तियों की पहचान का पता लगाने के लिए है। कई वर्षों के बाद टेस्ट पहचान परेड नहीं किया जा सकता है, क्योंकि गवाहों के घटना के बारे में भूल जाने की संभावना होती है।

    इस प्रकार कोर्ट ने निचली अदालत द्वारा पारित एक आदेश को रद्द कर दिया जिसमें जांच अधिकारी को शिकायत दर्ज करने के 11 साल बाद एक आरोपी की टीआईपी करने की अनुमति दी गई थी।

    कोर्ट ने कहा,

    "मौजूदा मामले में, जांच अधिकारी द्वारा 11 साल की अवधि के बाद और शिकायत दर्ज होने के बाद टेस्ट पहचान परेड की मांग की गई थी। इसलिए, मेरा विचार है कि 11 साल की अवधि के बाद स्मृति बहुत कमजोर हो जाती है और गवाहों की पहचान पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। ऐसा कोई उद्देश्य नहीं है जो 11 साल बाद टेस्ट पहचान परेड करके पूरा किया जा सके। इससे भी ज्यादा, याचिकाकर्ता के उंगलियों के निशान घटना स्थल पर मिले निशान से मेल नहीं खाती है।"

    चार आरोपियों के खिलाफ 2006 में अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम, 1956 के तहत मामला दर्ज किया गया था। आरोपी 1 उमेश शेट्टी का पुत्र पोनप्पा उस समय फरार था। उसके खिलाफ सीआरपीसी की धारा 82 और 83 के तहत एक उद्घोषणा जारी की गई थी और उसके बाद याचिकाकर्ता के खिलाफ एनबीडब्ल्यू को निष्पादित करने की मांग की गई थी।

    याचिकाकर्ता ने संबंधित अधिकारी को सूचित किया कि वह उमेश शेट्टी पुत्र पोनप्पा नहीं है। लेकिन वह के उमेश शेट्टी, स्वर्गीय विट्ठल शेट्टी का पुत्र हैं और इसलिए, वह NBW में नामित व्यक्ति नहीं हैं। उस पृष्ठभूमि में, अभियोजन पक्ष ने याचिकाकर्ता की पहचान का पता लगाने के लिए एक टेस्ट पहचान परेड आयोजित करने के लिए एक आवेदन दायर किया।

    निचली अदालत ने इसकी अनुमति दी थी।

    जस्टिस सूरज गोविंदराज ने कहा कि टेस्ट पहचान परेड का उद्देश्य उस व्यक्ति की पहचान का पता लगाना है, जिस पर आरोप लगाया गया है या जो अपराधी है। हालांकि, उन्होंने कहा कि इसे जल्द से जल्द करने की आवश्यकता है ताकि कोई असफल स्मृति या अनुचित स्मृति न हो जिसे टीआईपी के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सके।

    इस प्रकार कोर्ट ने कहा,

    "ट्रायल कोर्ट का आदेश किसी उद्देश्य की पूर्ति नहीं करता है।"

    केस टाइटल: के उमेश शेट्टी बनाम कर्नाटक राज्य

    मामला संख्या: आपराधिक याचिका संख्या 8077 ऑफ 2017

    साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (कर्नाटक) 382

    आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें:



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