विशिष्ट कार्य करने के लिए दैनिक रेटेड या कार्य शुल्क के आधार पर नियुक्त अस्थायी अधिकारी ऐसी सेवा अवधि के लिए वरिष्ठता का दावा नहीं कर सकते: दिल्ली हाईकोर्ट

Shahadat

16 Sept 2022 11:35 AM IST

  • विशिष्ट कार्य करने के लिए दैनिक रेटेड या कार्य शुल्क के आधार पर नियुक्त अस्थायी अधिकारी ऐसी सेवा अवधि के लिए वरिष्ठता का दावा नहीं कर सकते: दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने माना कि विशिष्ट कार्य करने के लिए विशिष्ट अवधि के लिए दैनिक रेटेड या कार्य प्रभार के आधार पर विशुद्ध रूप से नियुक्त किया गया अस्थायी अधिकारी किसी प्रतिष्ठान के नियमित कर्मचारी होने का दावा नहीं कर सकता। साथ ही कार्य प्रभार के आधार पर प्रदान की गई सेवा की अवधि के लिए वरिष्ठता का दावा नहीं कर सकता।

    जस्टिस गौरांग कंठ बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें औद्योगिक न्यायाधिकरण के पीठासीन अधिकारी द्वारा पारित अवार्ड को चुनौती दी गई, जिसके तहत रामजी लाल नाम के एक कार्यकर्ता की सेवाओं को मेसन ग्रेड- I के पद पर नियमित किया गया था।

    कामगार को शुरू में वर्क-चार्ज के आधार पर कर्मचारी के रूप में नियुक्त किया गया। बाद में मार्च, 1975 में वह राजमिस्त्री के रूप में डेली रेटेड के रूप में लग गया। मार्च 1976 में उसकी सेवाओं को समाप्त कर दिया गया। उसके बाद उसने औद्योगिक विवाद खड़ा किया, जिसने पूरे वेतन के साथ सेवा में बहाली और निरंतरता की राहत दी।

    अवार्ड के अनुसरण में कर्मकार को दिनांक अप्रैल, 1986 से सेवाओं में बहाल कर दिया गया। उसके बाद उसे मजदूर के पद पर 1.4.2015 नियमित कर दिया गया।

    ट्रिब्यूनल ने इम्प्ग्न्ड अवार्ड के तहत मेसन ग्रेड- I के पद पर काम करने वाले की सेवाओं को मार्च 1977 को उचित वेतनमान और भत्तों में नियमित करने का निर्देश दिया। इसने बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड को वेतन के अंतर के बकाया का भुगतान करने का निर्देश दिया।

    कोर्ट के सामने सवाल यह था कि क्या बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड मजदूर के पद पर काम करने वाले की सेवाओं को नियमित करने में सक्षम है, जब वह पहले मेसन ग्रेड- I के पद पर दिहाड़ी के रूप में काम कर रहा है?

    कोर्ट ने कंपनी की नीति पर ध्यान देते हुए कहा कि यदि कोई कर्मचारी दैनिक वेतन या वर्क चार्ज के आधार पर काम कर रहा है तो उसे दो साल की अवधि के बाद मजदूर के पद पर नियमित किया जाना है, चाहे वह पहले किसी भी पद पर काम कर रहा था।

    अदालत ने कहा,

    "मेसन का पद पूरी तरह से अलग-अलग नियुक्ति योग्यताओं के साथ एक अलग धारा है और वह सीधी भर्ती के माध्यम से है, सेवाओं के नियमितीकरण के माध्यम से नहीं। यदि कोई कामगार राजमिस्त्री का पद लेने का इच्छुक है तो उसे सीधी भर्ती की प्रक्रिया से गुजरना होगा।"

    यह देखते हुए कि ट्रिब्यूनल का यह निष्कर्ष कि बल के तहत काम करने वाले को उसकी शैक्षणिक योग्यता और अनुभव के कारण कम नियोजित किया गया, निराधार है। कोर्ट ने ट्रिब्यूनल के विचारों से सहमति व्यक्त की कि कंपनी को किसी भी पद पर नियुक्ति के लिए प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन करना होगा।

    कोर्ट ने कहा,

    "विभाग की नीति को दरकिनार नहीं किया जा सकता। उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना कोई नियुक्ति नहीं की जा सकती।"

    इसमें कहा गया,

    "अस्थायी अधिकारी जो पूरी तरह से विशिष्ट कार्य करने के लिए विशिष्ट अवधि के लिए दैनिक रेटेड/कार्य प्रभार के आधार पर नियुक्त किया जाता है, किसी प्रतिष्ठान के नियमित कर्मचारी होने का दावा नहीं कर सकता है। इस प्रकार काम पर दी गई अपनी सेवा की अवधि के लिए वरिष्ठता का दावा नहीं कर सकता।"

    यह देखते हुए कि ट्रिब्यूनल के निष्कर्ष विकृत है और कानून की सही स्थिति से सही नहीं है, न्यायालय ने आक्षेपित अवार्ड रद्द कर दिया।

    केस टाइटल: बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड बनाम पीठासीन अधिकारी और अन्य

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