तेलंगाना हाईकोर्ट ने चलती बस में चढ़ने की कोशिश कर रहे यात्री के कारण हुई मोटर दुर्घटना में ड्राइवर को राहत दी

Sharafat

2 Oct 2023 12:28 PM GMT

  • तेलंगाना हाईकोर्ट ने चलती बस में चढ़ने की कोशिश कर रहे यात्री के कारण हुई मोटर दुर्घटना में ड्राइवर को राहत दी

    तेलंगाना हईकोर्ट ने यह माना है कि जहां चलती बस पकड़ने की कोशिश कर रहे यात्री के कारण दुर्घटना हुई है, वहां दुर्घटना के लिए ड्राइवर को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।

    जस्टिस नागेश भीमापाका ने कहा कि ऐसी दुर्घटना के लिए ड्राइवर पर आरोप पत्र दायर नहीं किया जा सकता।

    पीठ ने कहा,

    " उपरोक्त सबूतों को ध्यान में रखते हुए और निगम द्वारा जारी सर्कुलर को ध्यान में रखते हुए हालांकि जांच अधिकारी ने ड्राइवर को महिला के मूवमेंट का अनुमान नहीं लगाने के लिए जिम्मेदार ठहराया, लेकिन इस न्यायालय की राय है कि याचिकाकर्ता ड्राइवर ने ऐसा कुछ नहीं किया है कि उसके खिलफ आरोप पत्र दाखिल किया जाए।”

    यह निर्णय दिनांक 27.01.2006 की कार्यवाही को चुनौती देने वाली एक रिट में पारित किया गया, जिसमें याचिकाकर्ता, एक कर्मचारी, को भविष्य की वेतन वृद्धि के लिए स्थायी प्रभाव के साथ दो वृद्धिशील चरणों में वेतन में दो साल की कटौती के साथ दंडित किया गया था।

    याचिकाकर्ता 1991 से आंध्र प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (एपीएसआरटीसी) (अब टीएसआरटीसी) द्वारा नियुक्त एक बस चालक है। उसे कथित तौर पर लापरवाही से गाड़ी चलाने के कारण हुई एक घातक दुर्घटना के कारण 08.02.2004 को निलंबित कर दिया गया था।

    ड्राइवर ने यह कहते हुए स्पष्टीकरण प्रस्तुत किया कि उसकी कोई गलती नहीं थी और यह दुर्घटना तब हुई जब एक पैदल यात्री बस के संपर्क में आ गया जब वह महिला कॉलेज से 'यू-टर्न' ले रहा था। इस बारे में एक जांच की गई और 27.01.2006 को जुर्माना लगाया गया।

    निगम ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता की लापरवाही से गाड़ी चलाने से एक घातक दुर्घटना हुई, जो एपीएसआरटीसी कर्मचारी (आचरण) विनियम, 1963 के विनियमन 28 (ix) (बी) के तहत कदाचार है। यह भी प्रस्तुत किया गया कि याचिकाकर्ता को अपना मामला पेश करने का उचित अवसर दिया गया था और इसलिए सजा की मात्रा तय करते समय निगम की ओर से कोई प्रक्रियात्मक अनियमितता स्थापित नहीं की जा सकी।

    जवाब में याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि उसकी कोई गलती नहीं थी और मृतक पैदल यात्री स्वयं बस के संपर्क में आया था। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि जांच अधिकारी ने पक्षपातपूर्ण जांच की और उसे दूसरों की गलती के लिए दंडित किया गया, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है।

    याचिकाकर्ता ने निगम के एक सर्कुलर की ओर भी इशारा किया जिसमें कहा गया था कि अनधिकृत स्थानों पर या चलती बसों में यात्रियों के चढ़ने या उतरने के कारण दुर्घटना होने पर ड्राइवरों को चार्ज शीट नहीं किया जाना चाहिए।

    न्यायालय ने प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सहित सबूतों पर विचार किया, जिसमें सुझाव दिया गया कि दुर्घटना इसलिए हुई क्योंकि महिला पैदल यात्री अस्पष्ट रूप से बस पकड़ने की कोशिश कर रही थी और हो सकता है कि भीड़ ने उसे धक्का दे दिया हो। इसमें निगम द्वारा जारी सर्कुलर का भी उल्लेख किया गया।

    सबूतों और निगम के सर्कुलर के आलोक में अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि याचिकाकर्ता पर आरोप पत्र दायर नहीं किया जाना चाहिए था। सर्कुलर को बरकरार रखते हुए बेंच ने याचिका मंजूर कर ली।

    केस का शीर्षक: एल. शंकर बनाम एपीएसआरटीसी

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