तीस्ता सीतलवाड़ मामला : मामले में कुछ ठोस बचा है? एएसजी सुप्रीम कोर्ट को सूचित करेंगे

Sharafat

24 March 2023 3:19 AM GMT

  • तीस्ता सीतलवाड़ मामला : मामले में कुछ ठोस बचा है? एएसजी सुप्रीम कोर्ट को सूचित करेंगे

    सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 2002 के गुजरात दंगों के पीड़ितों के लिए जुटाए गए धन के कथित गबन को लेकर दंपति के खिलाफ दर्ज तीन एफआईआर के संबंध में तीस्ता सीतलवाड़ द्वारा दायर याचिकाओं के एक बैच में सुनवाई स्थगित कर दी।

    जस्टिस एसके कौल, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ को अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल, एसवी राजू ने अवगत कराया कि तीस्ता सीतलवाड़ ने कहा है कि उन्होंने जांच में सहयोग किया है। इसे देखते हुए उन्होंने इसे वैरिफाइ करने के लिए समय मांगा और यदि मामले में कुछ भी ठोस बचता है तो निर्देश ले सकते हैं। तदनुसार खंडपीठ ने समय दिया और मामले को 26 अप्रैल, 2023 के सप्ताह में अगली सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।

    आदेश में दर्ज किया,-

    एएसजी का कहना है कि याचिकाकर्ता की ओर से किए गए निवेदन के मद्देनजर कि याचिकाकर्ता ने जांच में सहयोग किया है, यह निर्देश लेने के लिए कि क्या वास्तव में कुछ बचता है, उन्हें निर्देश लेने के लिए एक छोटी गुंजाइश की आवश्यकता है।

    इससे पहले शीर्ष अदालत ने सीबीआई और गुजरात सरकार से मौखिक रूप से पूछा था कि क्या वे सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और उनके पति जावेद आनंद को सात साल से अधिक समय तक जमानत पर बाहर रहने के बावजूद वापस हिरासत में भेजना चाहते हैं।

    सीतलवाड़ की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने वर्तमान स्थिति के साथ लंबित सभी मामलों की सूची के साथ न्यायालय के साथ एक नोट साझा किया था। उन्होंने कहा था, ' ये ऐसे मामले हैं जो आठ-आठ साल से लंबित हैं। अग्रिम जमानत के मामले आठ साल से लंबित हैं। हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत दे दी है। कई मामलों में नियमित जमानत भी मिल चुकी है। कोई चार्जशीट दाखिल नहीं हुई और मामला लटका हुआ है। ”

    जस्टिस कौल ने पूछा था, "सवाल यह है कि आप किसी को कब तक हिरासत में रख सकते हैं। अग्रिम जमानत दिए हुए सात साल बीत चुके हैं। आप उसे वापस हिरासत में भेजना चाहते हैं।"

    सीबीआई और गुजरात सरकार की ओर से पेश एडवोकेट रजत नायर ने कुछ अतिरिक्त सामग्री पेश करने के लिए समय मांगा था।

    केस टाइटल : तीस्ता सीतलवाड़ बनाम गुजरात राज्य Crl.A. नंबर 338/2015 और संबंधित मामले]

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