कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य बार काउंसिल से कहाः एडवोकेट क्लर्कों के कल्याणकारी कोष के लिए 10 लाख रुपये अनुदान पर निर्णय लें

LiveLaw News Network

24 Dec 2020 10:50 AM IST

  • कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य बार काउंसिल से कहाः एडवोकेट क्लर्कों के कल्याणकारी कोष के लिए 10 लाख रुपये अनुदान पर निर्णय लें

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने COVID-19 स्थिति पर विचा करते हुए बुधवार को कहा कि हो सकता है कि एडवोकेट क्लर्कों को तत्काल आर्थिक सहायता की आवश्यकता न हो, इसलिए राज्य सरकार द्वारा जारी 10 लाख रुपये की राशि को राज्य बार काउंसिल द्वारा 2009 में क्लर्कों के कल्याण के लिए बनाई गई निधि में ट्रांसफर कर दिया जाए।

    मुख्य न्यायाधीश अभय ओका और न्यायमूर्ति एस विश्वजीत शेट्टी की खंडपीठ ने कहा:

    "COVID-19 स्थिति के संबंध में राज्य में सुधार के साथ हो सकता है क्लर्कों को तत्काल आर्थिक सहायता की आवश्यकता न हो। यह सभी के हित में आवश्यक है कि उक्त नियम (कर्नाटक पंजीकृत लिपिक कल्याण निधि नियम, 2009) लागू हों। इससे क्लर्कों या उनके परिवारों को लाभान्वित किया जाएगा। "

    पीठ ने स्टेट बार काउंसिल को एक उचित निर्णय लेने का निर्देश दिया। बार काउंसिल 2009 के उक्त नियमों द्वारा बनाई गई निधि में 10 लाख रुपये के हस्तांतरण का निर्णय ले।

    पीठ ने कहा,

    "यदि उक्त निर्णय लिया जाता है तो फंड शुरू हो सकता है। अपने कर्तव्यों का प्रभावी ढंग से निर्वहन करते हुए। हम उचित निर्णय लेने के लिए बीसीआई को एक महीने का समय देते हैं।"

    हाईकोर्ट ने दिनांक 16.04.2008 को राज्य को कर्नाटक एडवोकेट्स वेलफेयर फंड एक्ट, 1983 की धारा 27 के तहत चिन्हित कर्नाटक पंजीकृत लिपिक कल्याण कोष नामक एक कोष का गठन करने का निर्देश दिया था।

    यह दिशा निर्देश कर्नाटक स्टेट लेवल एडवोकेट्स क्लर्क एसोसिएशन द्वारा दायर एक याचिका की सुनवाई के दौरान दिया गया था। लॉकडाउन को मद्देनज़र आर्थिक मदद की मांग की गई थी।

    राज्य सरकार ने जुलाई में अधिवक्ताओं और अधिवक्ताओं क्लर्कों के लाभ के लिए 5 करोड़ रुपये की राशि जारी की थी, जो अदालतों के बंद होने के कारण वित्तीय संकट की स्थिति में है। इसके बाद बीसीआई ने पंजीकृत क्लर्कों के लाभ के लिए 10 लाख रुपये की राशि निर्धारित करने का फैसला किया, जबकि शेष राशि अधिवक्ताओं को वितरित की गई।

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