'24 घंटे के भीतर RT-PCR टेस्ट रिजल्ट देने में विफल लैब के खिलाफ कार्रवाई करें': कर्नाटक हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

23 April 2021 4:26 AM GMT

  • 24 घंटे के भीतर RT-PCR टेस्ट रिजल्ट देने में विफल लैब के खिलाफ कार्रवाई करें: कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने गुरुवार को खराब होती स्थिति को देखते हुए COVID-19 का उचित प्रबंधन और अस्पताल में भर्ती होने वाले रोगियों को दवा और ऑक्सीजन उपलब्ध कराने के लिए कई दिशा-निर्देश दिए।

    मुख्य न्यायाधीश अभय ओका और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की खंडपीठ ने याचिकाओं के एक बैच पर सुनवाई करते हुए निम्नलिखित निर्देश पारित किए।

    अंतरिम आदेश बढ़ाए गए

    यदि राज्य में आपराधिक न्यायालयों ने सीमित अवधि के लिए अंतरिम जमानत आदेश या अग्रिम जमानत दी है जो 23 अप्रैल से 29 मई के बीच समाप्त होने की संभावना है तो वह 29 मई तक विस्तारित होगा। हालांकि यदि रद्द करने के लिए आवेदन किए गए हैं तो संबंधित अदालत कानून के अनुसार आवेदन पर सुनवाई करेगा।

    24 घंटे के भीतर RT-PCR टेस्ट रिजल्ट

    अधिवक्ता बी वी विदुलता ने अदालत को सूचित किया कि उन्होंने RT-PCR टेस्ट करवा है और पिछले 52 घंटों से इसका रिजल्ट नहीं मिला है। बार के अन्य सदस्यों ने भी यही शिकायत की।

    कोर्ट ने इस पर कहा कि,

    "हम राज्य सरकार को निर्देश देते हैं कि वह 24 घंटे के भीतर RT-PCR टेस्ट का रिजल्ट जारी करने के लिए प्रयोगशालाओं को आदेश दें और उन प्रयोगशालाओं के खिलाफ कार्रवाई करने पर विचार करें जो निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं।"

    गैर COVID-19 रोगियों को अस्पतालों में भर्ती करना

    20 और 21 अप्रैल को जारी अधिसूचना के अनुसार COVID-19 रोगियों को अस्पतालों में भर्ती करने और होम आइसोलेशन के लिए दिशानिर्देश देने और अस्पतालों को गैर-कोविड गंभीर रूप से बीमार रोगियों को अगले आदेश तक देखभाल और उपचार के लिए भर्ती करना होगा।

    पीठ ने कहा कि,

    "हम यहां ध्यान दें कि सरकार की ओर से किसी भी स्पष्टता के अभाव में यहां तक कि गैर-कोविड गंभीर रूप से बीमार रोगियों को RT-PCR टेस्ट के निगेटिव रिपोर्ट के किए बिना अस्पतालों में भर्ती नहीं किया जा रहा है। गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए भी भर्ती नहीं किया जा रहा है जब तक कि वे RT-PCR टेस्ट की निगेटिव रिपोर्ट नहीं दिखाती हैं। प्रयोगशालाओं के बाहर बड़ी कतारें और वरिष्ठ नागरिकों और गर्भवती महिलाओं को कतार में खड़े होने के लिए मजबूर किया जा रहा है। गर्भवती महिलाओं के खड़े होने के कारणों में से एक यह है कि जब तक उन्हें RT-PCR टेस्ट की निगेटिव रिपोर्ट नहीं मिल जाती, उन्हें भर्ती नहीं किया जाएगा।"

    पीठ ने आगे कहा कि,

    "राज्य को विकासशील नीति पर गंभीरता से विचार करना होगा जो यह सुनिश्चित करेगा कि उन मामलों में जहां कोविड के कोई लक्षण नहीं हैं, उन्हें RT-PCR टेस्ट की निगेटिव रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा। राज्य इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना चाहिए क्योंकि जिन लोगों को कोविड टेस्ट से गुजरना आवश्यक नहीं है वे भी इससे गुजर रहे हैं और इसलिए टेस्ट का रिजल्ट आने में देरी हो रही है। वरिष्ठ नागरिकों और गर्भवती महिलाओं के लिए एक अलग कतार लगाने के लिए लैब को निर्देश दिया जाना चाहिए।"

    रेमडेसिविर इंजेक्शन की उपलब्धता

    कर्नाटक स्टेट एसोसिएशन ऑफ मैनेजमेंट ऑफ नर्सिंग एंड एलाइड हेल्थ साइंस इंस्टीट्यूशन के अध्यक्ष एस शिवकुमार की ओर से पेश हुए वकील ने मुख्य न्यायाधीश को संबोधित किया। वह खुद एक अस्पताल में भर्ती है और वह COVID-19 से संक्रमित है। उसने विशेष रूप से कहा है कि रेमडेसिविर जैसी जीवन रक्षक दवा ब्लैक में बेची जा रही है और सरकार अस्पतालों में पर्याप्त स्टॉक की आपूर्ति करने में विफल रही है। इसके साथ ही अस्पताल में बेड और ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं है।

    कोर्ट ने कहा कि "यदि मरीज कालाबाजारी के कारण उचित मात्रा में रेमडेसिविर की खरीद करने में असमर्थ हैं और उचित कार्रवाई करने में राज्य की विफलता भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत रोगी के अधिकार का उल्लंघन है।

    कोर्ट ने आगे कहा कि, "हम राज्य सरकार को राज्य के सभी शहरों में सभी प्रमुख स्टॉकिस्टों के पास उपलब्ध रेमडेसिविर इंजेक्शन की मात्रा को प्रकाशित करने का निर्देश देते हैं। उक्त डेटा के बारे में व्यापक प्रचार किया जाएगा। हर 12 घंटे में डेटा को अपडेट किया जाएगा। पता और कॉन्टैक्ट नंबर के साथ स्टॉकिस्ट / मेडिकल शॉप का विवरण प्रदान किया जाएगा।

    कोर्ट ने आगे कहा कि, "राज्य सरकार को सरकारी अधिकारियों और गैर सरकारी संगठनों को नामित करना चाहिए जिसका काम होगा कि वह अक्सर स्टॉकिस्टों के व्यापार के स्थानों का दौरा करें और देखें कि कहीं रेमडेसिविर इंजेक्शन को ब्लक में तो नहीं बेचा जा रहा है और इसके साथ ही यह भी देखें कि रेमडेसिविर की उपलब्धता के बावजूद स्टॉकिस्ट आपूर्ति करने से इनकार तो नहीं कर रहे हैं। इसके अलावा सभी विवादों से बचने के लिए राज्य दवा खरीदने और विभिन्न अस्पतालों को निष्पक्ष और तर्कसंगत तरीके से दवा की आपूर्ति करने पर विचार करें।"

    ऑक्सीजन की आपूर्ति

    रेमडेसिविर दवा की तरह ही ऑक्सीजन के मामले में भी राज्य सरकार को तुरंत वितरण प्रणाली बनाने पर विचार करना होगा जिसके द्वारा राज्य आपूर्तिकर्ताओं के साथ समन्वय बिठाकर अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति कर सकता है।

    राज्य ने 21 अप्रैल को एक अधिसूचना जारी किया है। इस अधिसूचना के तहत एक आईएएस अधिकारी को ऑक्सीजन और रेमेडिसविर की आपूर्ति के लिए नियुक्त किया गया है। वॉर कार्य करने के तरीके को स्पष्ट किया जाएगा। किस तरह से मरीजों और अस्पतालों के रिश्तेदार वॉर कक्ष से संपर्क कर सकते हैं।

    वॉर रूम को इस तरह से सेटअप किया गया है कि जिससे प्रभावी ढंग से काम हो सके और अस्पतालों और रोगियों के रिश्तेदारों वॉर रूम से संपर्क कर सकते हैं ताकि जरूरत पड़ने पर ऑक्सीजन और रेमडेसिविर की आपूर्ति की जा सके।

    दाह-संस्कार और शव-दफन

    बेंगलुरु शहर में 13 श्मशानों में से केवल सात ही काम कर रहे हैं। यहां तक कि ईसाई समुदाय को बेंगलुरु और मैसूर में भीषण संकट का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि दफनाने के लिए स्थान उपलब्ध नहीं है और नागरिक निकाय ने भी शव दफनाने के लिए अतिरिक्त स्थानों की मांग नहीं की है।

    कोर्ट ने कहा कि, "राज्य सरकार को उन शहरों में दाह संस्कार / दफन के लिए अतिरिक्त सुविधाओं देने पर विचार करना चाहिए, जहां COVID-19 के अधिक मामले हैं।

    बेड की उपलब्धता

    कोर्ट ने राज्य सरकार और बीबीएमपी को अस्पतालों में बेड की उपलब्धता का विवरण देते हुए एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। अस्पतालों में बेड की उपलब्धता पर स्थिति चिंताजनक है और एएजी / बीबीएमपी को निर्देश के अनुसार शुक्रवार को रिपोर्ट प्रस्तुत करना होगा। मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी।

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