'तीन सप्ताह के अंदर सभी संबंधित पक्षों के साथ बैठक कर उचित निर्णय लें': पटना हाईकोर्ट ने एयरपोर्ट्स के विकास एवं निर्माण से संबंधित मामले में राज्य के विकास आयुक्ति को निर्देश दिए

Brij Nandan

10 March 2022 9:53 AM GMT

  • तीन सप्ताह के अंदर सभी संबंधित पक्षों के साथ बैठक कर उचित निर्णय लें: पटना हाईकोर्ट ने एयरपोर्ट्स के विकास एवं निर्माण से संबंधित मामले में राज्य के विकास आयुक्ति को निर्देश दिए

    पटना हाइकोर्ट (Patna High Court) ने सोमवार को बिहार के एयरपोर्ट्स के विकास एवं निर्माण के संबंध में जमीन अधिग्रहण को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य के विकास आयुक्त को निर्देश दिया की वह तीन सप्ताह के अंदर सभी संबंधित पक्षों के साथ बैठक कर इस मामले में उचित निर्णय लें।

    याचिका में जिन एयरपोर्ट्स के विकास एंव निर्माण का जिक्र किया गया है, उनमें जयप्रकाश नारायण एयरपोर्ट समेत गया, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, भागलपुर, फारबिसगंज , मुंगेर और रक्सौल एयरपोर्ट शामिल हैं।

    मुख्य न्यायाधीश संजय करोल, न्यायाधीश एस कुमार की खंडपीठ ने एक गौरव कुमार सिंह और अन्य द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया।

    कोर्ट ने पटना एयरपोर्ट के निर्देशक को कहा कि अगली सुनवाई में वह कोर्ट में उपस्थित होकर इस मामले में पूरी जानकारी उपलब्ध कराएं।

    याचिका में दी गई दलीलें

    याचिकाकर्ता की ओर से पेश एडवोकेट अर्चना सिंह ने कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया कि पटना हवाई अड्डे के विस्तार के लिए 1216.9 करोड़ रुपए मंजूर किए गए थे, लेकिन परियोजना में इस राशि का केवल 32% ही उपयोग किया जा सका है। यह परियोजना लगभग साल 2023 तक पूरी होगी यानी कि परियोजना में काफी देरी होगी।

    आगे प्रस्तुत किया कि गया एयरपोर्ट की भी स्थिति ठीक नहीं है। यह अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट है। जहां से मुख्यतः बौद्ध देशों के लिये फ्लाइट चलायी जाती है। राज्य के अन्य एयरपोर्ट पर बहुत सारी आधुनिक सुविधाओं का अभाव उसकी सुरक्षा की भी समस्या हैं।

    कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया गया कि वर्तमान में बिहार में 8 हवाई अड्डे हैं, जिनमें से 3 हवाई अड्डे (गया, पटना और दरभंगा) चालू हैं और बाकी सभी बंद हैं।"

    याचिका में कहा गया है कि इन समस्याओं का प्रमुख कारण जमीन अधिग्रहण की कमी है।

    बता दें, गया और पूर्णिया में हवाई अड्डे के विस्तार की परियोजना के संबंध कई अपीलें लंबित हैं।

    कोर्ट का आदेश

    कोर्ट के समक्ष दी गईं दलीलों को ध्यान में रखते हुए पीठ ने कहा,

    "याचिका हमारा ध्यान बिहार राज्य के भीतर हवाई अड्डों के विस्तार / उन सभी को पूरी तरह कार्यात्मक और परिचालन बनाने की आवश्यकता के मुद्दे की ओर आकर्षित करती हैं।"

    कोर्ट ने दो दिनों के भीतर गया एयरपोर्ट के लिये जमीन अधिग्रहण से संबंधित लंबित मुकदमों का चार्ट देने को कहा है।

    कोर्ट ने अंत में निर्देश दिया कि उन सभी हवाईअड्डों के संबंध में सटीक जानकारी जो गैर-कार्यात्मक हैं, चाहे वह किसी भी कारण से हो और अधिग्रहण की कार्यवाही के पूरा न होने / बुनियादी ढांचे की कमी के संबंध में, न्यायालय को जानकारी उपलब्ध कराया जाए। साथ ही परियोजनाओं के विस्तार में देरी की सूचना भी उपलब्ध कराई जाए।

    न्यायालय की सहायता के लिए कोर्ट ने सीनियर एडवोकेट पी.के. शाही एमिकस क्यूरी नियुक्ति किया।

    पिछली सुनवाई, 25 फरवरी 2022 को कोर्ट ने निम्निलिखित आदेश पारित किए थे;

    "हमें सूचित किया गया है कि गया में हवाई अड्डे के विस्तार के लिए अधिग्रहण की कार्यवाही अभी तक पूरी नहीं हुई है। हमें यह भी सूचित किया गया है कि पटना, पूर्णिया और दरभंगा में भी ऐसी ही स्थिति है। हम ललित किशोर महाधिवक्ता और डॉ. के.एन.सिंह, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल से अनुरोध करते हैं कि वे संबंधित अधिकारियों और विशेष रूप से जिलाधिकारियों से न केवल ऊपर उल्लिखित स्थानों पर, बल्कि बिहार राज्य के भीतर अन्य सभी हवाई अड्डों की स्थापना/ हवाई अड्डों का विस्तार के लिए अधिग्रहण कार्यवाही शुरू करें।"

    अब मामले में अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद की जायेगी।

    केस का शीर्षक: गौरव सिंह एंड अन्य बनाम भारत संघ

    आदेश की कॉपी यहां डाउनलोड करें:




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