टाइम्स नाउ ने लेख में लगाया तब्लीगी जमात पर आतंकी संगठनों के साथ संबंध का आरोप, जमात सदस्य ने भेजा कानूनी नोटिस

LiveLaw News Network

6 April 2020 5:48 PM GMT

  • टाइम्स नाउ ने लेख में लगाया तब्लीगी जमात पर आतंकी संगठनों के साथ संबंध का आरोप, जमात सदस्य ने भेजा कानूनी नोटिस

    तब्लीगी जमात के एक सदस्य ने बेनेट कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर विनीत जैन , एडिटर-इन-चीफ जयदीप बोस व अन्य लोगों को कानूनी नोटिस भेजकर एक करोड़ रुपए का मुआवजा मांगा है। यह मुआवजा टाइम्स नाउ वेबसाइट पर प्रकाशित एक मानहानि करने और भड़काऊ लेख की एवज में मांगा गया है, जिसमें जमात के आतंकी संगठनों के साथ संबंध का आरोप लगाया गया है।

    हफीजुल्ला खान की तरफ से प्राइम लॉ एसोसिएट्स ने यह नोटिस भेजा है, जिसमें कहा गया है कि जमात के सदस्य कानून का पालन करने वाले हैं और इसके अस्तित्व के 100 से अधिक वर्षों में कानून के साथ जमात का कोई विरोधाभास नहीं रहा है। संगठन ने हमेशा कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ मिलकर काम किया है और किसी भी कार्यक्रम के संचालन से पहले उचित अनुमति ली गई है।

    नोटिस में कहा गया,

    ''तब्लीगी जमात एक अराजनैतिक सामाजिक-धार्मिक गतिविधि है जो इस्लाम और पैगंबर परंपराओं के बुनियादी सिद्धांतों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए दुनिया भर में मुस्लिम समुदाय के साथ मिलकर काम कर रहा है। साथ ही मुसलमानों को देश के ईमानदार और जिम्मेदार नागरिकों के रूप में जीने में सक्षम बनाता है।''

    कानूनी नोटिस में उठाया गया मुद्दा 1 अप्रैल, 2020 प्रकाशित एक लेख से संबंधित है, जिसका शीर्षक था ''तब्लीगी जमात आतंकी संगठनों के साथ संबंध रखती है।''

    इसमें दावा किया गया है कि तब्लीगी जमात का पाकिस्तान स्थित प्रतिबंधित आंतकी संगठन जैसे हरकत-उल-मुजाहिदीन के साथ संबंध रखने का लंबा इतिहास रहा है। इस लेख में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तानी सुरक्षा विश्लेषकों और भारतीय जांचकर्ताओं के अनुसार वर्ष 1999 में इंडियन एयरलाइंस फ्लाइट 814 के अपहरण के मामले में सामने आए आतंकवादी संगठन एचयूएम का मूल संस्थापक भी तब्लीगी जमात का सदस्य था।

    नोटिस में स्पष्ट रूप से इस आरोप से इनकार किया गया है। कहा गया है कि जमात को कभी भी किसी भी आतंकी गतिविधि के साथ कनेक्शन होने के कारण जांच का सामना नहीं करना पड़ा है। वहीं जमात को एचयूएम से जोड़ने का उद्देश्य बिल्कुल दुर्भावनापूर्ण है।

    इस लेख में कहा गया है कि विकीलीक्स दस्तावेजों के अनुसार, गुआंतानामो बे में अमेरिका ने 9/11 अटैक के मामले में कुछ अल-कायदा संदिग्धों को हिरासत में लिया था। जो कई साल पहले निजामुद्दीन पश्चिम, नई दिल्ली में तब्लीगी जमात के परिसर में रुके थे।

    नोटिस में इस मुद्दे पर कहा गया है कि

    ''यह उन संदिग्धों का संबंध तब्लीगी जमात के साथ जोड़ने का दुर्भावनापूर्ण और आधारहीन प्रयास है, जबकि इस संबंध के लिए कोई प्रूफ या सबूत नहीं है।

    हमारा मुविक्कल इस बात का निर्वाह अच्छे से करता है कि तब्लीगी जमात का किसी आतंकवादी संगठन के साथ कोई संबंध नहीं है। इतना ही नहीं, जमात दुनिया भर में आतंक के सभी कृत्यों की कठोर संभव शब्दों में निंदा भी करती है।"

    लेख में यह भी उल्लेख किया गया है कि तब्लीगी जमात पर वर्ष 2002 में गुजरात के गोधरा ट्रेन कांड में 59 हिंदी कारसेवकों को जलाने के मामले में भी शामिल होने का संदेह जताया गया था, जिसके कारण राज्य में सांप्रदायिक दंगे हुए और कई लोगों की जान चली गई।

    इस नोटिस में कहा गया है कि गोधरा ट्रेन जलाने की घटना की जांच के लिए नियुक्त नानावती आयोग की 176 पृष्ठ की रिपोर्ट में जमात का कोई जिक्र नहीं किया है।

    कानूनी नोटिस में दावा किया गया है कि धार्मिक समूह को कभी भी ब्लैकलिस्ट नहीं किया गया है और कभी भी किसी आतंकवादी संगठन की मदद करने का आरोप भी नहीं लगा है। यह समूह दुनिया भर में आतंक के सभी कृत्यों की कठोरतम शब्दों में निंदा करता है और इस लेख का प्रकाशन भारत में तब्लीगी जमात के खिलाफ दुश्मनी पैदा करने के लिए जानबूझकर किया गया प्रयास है।

    ''इसलिए उपरोक्त लेख न केवल मानहानी करने वाला है, बल्कि हमारे मुविक्कल की प्रतिष्ठा को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाने के लिए भी प्रकाशित किया गया है। वहीं तब्लीगी जमात के सभी सदस्यों के प्रति शत्रुता और घृणा को बढ़ावा देता है जो उन्हें जोखिम में डाल रहा है।''

    इसलिए इस नोटिस में कहा गया है कि बेनेट कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड बिना शर्त माफी प्रकाशित करे, जिसमें कहा जाए कि धार्मिक संगठन का आतंकी संगठनों से कोई संबंध नहीं है। वहीं हमारे मुविक्कल को इस लेख के प्रकाशन के कारण होने वाली भयानक मानसिक पीड़ा के लिए एक करोड़ रुपए की राशि क्षतिपूर्ति के तौर पर दी जाए।

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