"टेक्नोलॉजी का उपयोग अच्छे उद्देश्यों के लिए किया जाना चाहिए": यूट्यूबर की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा
Sharafat
6 April 2023 10:31 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मद्रास हाईकोर्ट के पिछले साल एक यूट्यूबर सत्तई दुरैमुरुगन की जमानत रद्द करने के आदेश के खिलाफ उसकी की याचिका पर सुनवाई करते हुए मौखिक रूप से कहा कि टेक्नोलॉजी का उपयोग अच्छे उद्देश्यों के लिए किया जाना चाहिए।
हाईकोर्ट ने यूट्यूबर को 2021 में एक मामले में जमानत दी थी, जिसमें उसने कथित तौर पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के खिलाफ अपमानजनक बयान दिया था।
जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्ना की खंडपीठ के समक्ष, राज्य के वकील ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता ने जमानत शर्तों का उल्लंघन किया और इसलिए हाईकोर्ट ने उसकी जमानत रद्द कर दी थी।
याचिकाकर्ता के वकील ने जोर देकर कहा कि उसने जमानत की शर्तों का उल्लंघन नहीं किया है।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि “वह केवल टिप्पणियां कर रहे थे। कृपया देखें कि क्या उन्होंने कुछ गलत किया है। वे राजनीतिक नेताओं के खिलाफ व्यंग्यात्मक टिप्पणी करते हैं। यह मानहानिकारक है या नहीं, इसकी जांच की जानी चाहिए।”
राज्य के वकील ने खंडपीठ को अवगत कराया कि याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट के अंडर टैकिंगपर जमानत दी गई थी कि वह सोशल मीडिया पर अपमानजनक सामग्री पोस्ट नहीं करेगा। उन्होंने तर्क दिया कि दुरईमुरुगन ने उसकी जमानत की शर्तों का उल्लंघन किया और आपत्तिजनक कृत्य करना जारी रखा, इस प्रकार नागरिक अवमानना की। गौरतलब है कि उन्हें मुख्य रूप से इस अंडर टैकिंग पर दिया गया था कि उन्हें अपनी गलती का एहसास हो गया है और वह इस तरह की गतिविधियों में शामिल नहीं होंगे। राज्य ने अदालत को यह भी बताया कि दुरईमुरुगन लगातार सोशल मीडिया में इस तरह के झूठे बयान फैलाने में लगा हुआ है और उसके खिलाफ कई मामले दर्ज किए गए हैं।
जस्टिस न्यायमूर्ति नागरत्ना ने पूछा, उसके बाद उसने सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट किया?"
याचिकाकर्ता के पेशे के बारे में पूछे जाने पर, राज्य-वकील ने जवाब दिया कि वह सोशल मीडिया पर सामग्री पोस्ट करता है।
"मेरा मानना है कि आप पैसा कमाते हैं क्योंकि आप विज्ञापन आदि कर सकते हैं। तो यह उनकी आदत है। वह YouTube पर कंटेंट अपलोड करता है ... यदि उसने शर्त का उल्लंघन किया है, अर्थात, अदालत को दिये गए अंडर टैकिंग का उल्लंघन हुआ।”
खंडपीठ ने पूछा, “कब तक उसे जेल में रखेंगे? आप सरकारी संसाधनों का उपयोग करके इस आदमी को जेल में क्यों रखना चाहते हैं?”
राज्य-वकील ने सूचित किया कि यदि वह जेल में है तो कम से कम वह अपराध नहीं दोहराएगा। "उसे कम से कम इस अदालत को एक अंडर टैकिंग देने दें ताकि अगर वह इसका उल्लंघन करता है तो मैं उसके खिलाफ अवमानना दर्ज कर सकता हूं।"
याचिकाकर्ता ने स्पष्ट किया कि वह राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों से संबंधित सामग्री अपलोड करता है जिसमें बागवानी आदि भी शामिल है।
याचिकाकर्ता ने तब कहा था कि कंटेंट और वीडियो अपलोड करने के मामले में YouTube के पास ही कुछ दिशानिर्देश हैं। "यदि वीडियो दिशानिर्देशों का उल्लंघन करता है, तो तुरंत इसकी सूचना दी जाएगी और एफआईआर दर्ज की जाएगी।"
बेंच ने पूछा, "तो, आप कहते हैं कि आपने कोई ऐसी सामग्री अपलोड नहीं की जो अपमानजनक हो?"
पीठ ने राज्य के रुख पर वकील के विवरण की मांग करते हुए मामले को 28 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दिया।
याचिकाकर्ता की जमानत रद्द करते हुए हाईकोर्ट ने यह भी देखा था कि भारत में सक्रिय सोशल मीडिया लॉ ऑफ लैंड और नियमों द्वारा शासित होते हैं। यह सुनिश्चित करना उनका कर्तव्य है कि वीडियो नीतियों और दिशानिर्देशों के अनुसार हैं। यदि ये वीडियो उल्लंघन में पाए जाते हैं तो उनका कर्तव्य है कि वे ऐसे चैनलों को एफआईआर या किसी न्यायालय के आदेश पर जोर दिए बिना ब्लॉक कर दें।
केस टाइटल : दुरईमुरुगन पांडियन सत्तई बनाम राज्य | एसएलपी [सीआरएल] 6127/2022