असम में NRC : सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अंतिम प्रकाशन की तारीख 31 अगस्त ही रहेगी, विवादित मुद्दों पर 13 अगस्त को फैसला

LiveLaw News Network

8 Aug 2019 1:57 PM GMT

  • असम में NRC : सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अंतिम प्रकाशन की तारीख  31 अगस्त ही रहेगी, विवादित मुद्दों पर 13 अगस्त को फैसला

    वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि वर्ष 1971 से पहले जिनका जन्म हुआ उनका जन्म प्रमाणपत्र भी मान्य होना चाहिए। जो विदेश चले गए थे लेकिन वो या उनके बच्चे अब लौट कर आ गए हैं तो उनको भी NRC में शामिल किया जाना चाहिए।

    सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर यह साफ किया है कि असम के लिए राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के अंतिम प्रकाशन की समय सीमा 31 अगस्त से आगे नहीं बढ़ाई जाएगी।

    कोर्ट में सभी विवादास्पद मुद्दों को दाखिल करने का निर्देश

    मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति आर. एफ. नरीमन की पीठ ने NRC समन्वयक प्रतीक हजेला को यह कहा है कि वो इस मामले में उठे सभी विवादास्पद मुद्दों को शुक्रवार तक कोर्ट में दाखिल करे और पीठ 13 अगस्त को इस संबंध में आदेश जारी करेगी।

    अदालत के आदेशों की आलोचना में जाने से पीठ का इनकार

    गुरुवार को सुनवाई के दौरान पीठ ने यह कहा, "हमारे आदेशों की आलोचना का कोई अंत नहीं है। हमारे आदेशों, कार्यवाही और फैसलों पर हमेशा बहस होती है। हम असम विधानसभा में क्या हुआ, नेता विपक्ष ने क्या याचिका दाखिल की, उसमें जाने से इनकार करते हैं। वो जो चाहे करें, लेकिन हम 31 अगस्त तक NRC चाहते हैं।"

    याचिकाकर्ता की ओर से दिया गया तर्क

    वहीं याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि वर्ष 1971 से पहले जिनका जन्म हुआ उनका जन्म प्रमाणपत्र भी मान्य होना चाहिए। जो विदेश चले गए थे लेकिन वो या उनके बच्चे अब लौट कर आ गए हैं तो उनको भी NRC में शामिल किया जाना चाहिए। वहीं हजेला ने यह कहा कि जो भी देश के किसी हिस्से में बसे होने का प्रमाण दे रहे हैं वो NRC में शामिल किए जा रहे हैं। पीठ ने कहा कि हजेला शुक्रवार तक विवादित मुद्दों को कोर्ट में दाखिल करें फिर पीठ मामले में अपना आदेश सुनाएगी।

    बाढ़ व अन्य प्रशासनिक कारणों से समय सीमा थी बढ़ी

    इससे पहले 23 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने समय सीमा को 31 जुलाई से बढ़ाकर 31 अगस्त कर दिया था। ये कदम राज्य NRC समन्वयक प्रतीक हजेला के अनुरोध पर उठाया गया। NRC समन्वयक ने यह बताया था कि NRC प्रक्रिया में असम में हाल ही में आई बाढ़ व अन्य प्रशासनिक कारणों से परेशानी हो रही है। पीठ ने हालांकि NRC सूची में पुन: सत्यापन की अनुमति के लिए केंद्र द्वारा किए गए अनुरोध को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था।

    पुनः सत्यापन के सरकार के अनुरोध को अदालत ने ठुकराया

    दरअसल केंद्र सरकार और असम सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से असम के लिए राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को (NRC) अंतिम रूप देने के लिए 31 जुलाई की समय सीमा बढ़ाने का अनुरोध किया था। दोनों सरकारों की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति आर. एफ. नरीमन की पीठ के सामने यह प्रस्तुत किया था कि NRC ड्राफ्ट में बहुत सारे गलत प्रवेश हुए हैं और गलत तरीके से कई नामों को बाहर भी किया गया है।

    बांग्लादेश की सीमा से लगे असम के जिलों में रहने वाले व्यक्तियों के समावेश का कम से कम 20% नमूनों का पुनः सत्यापन आवश्यक है। उन्होंने कहा था कि बांग्लादेश में सीमावर्ती जिलों में गलत तरीके नाम शामिल करने की सूची कई गुणा है। सॉलिसिटर जनरल ने यह कहा था कि भारत दुनिया की शरणार्थी राजधानी नहीं हो सकता है।

    हालांकि NRC समन्वयक प्रतीक हजेला ने यह दावा किया कि लगभग 27 लाख दावों के साथ लगभग 80 लाख लोगों का फिर से सत्यापन किया गया है। इस दौरान NRC समन्वयक ने यह भी बताया कि NRC प्रक्रिया ने असम में हाल ही में आई बाढ़ ने भी कार्रवाई को अवरुद्ध किया है। इसलिए हालात को देखते हुए NRC की डेडलाइन को 31 जुलाई से बढ़ाकर 31 अगस्त किया जाना चाहिए।

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