सुप्रीम कोर्ट ने उड़ीसा हाईकोर्ट को छ्ह महीने के भीतर खनन लाइसेंस के संबंध में यथास्थिति वाले मामलों का निपटान करने का निर्देश दिया

Avanish Pathak

6 Jun 2022 11:00 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली

    सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उड़ीसा हाईकोर्ट को उन सभी मामलों का निर्णय और निस्तारण करने का निर्देश दिया, जिनमें 6 माह की अवधि के भीतर खनन लाइसेंसों के संबंध में यथास्थिति के आदेश पारित किए गए हैं।

    जस्टिस एमआर शाह और ज‌िस्टिस अनिरुद्ध बोस की अवकाश पीठ ने यथास्थिति के अंतरिम आदेश को बढ़ाने से इनकार करने के उड़ीसा हाईकोर्ट के आदेश की आलोचना करते हुए मेसर्स बालासोर अलॉयज लिमिटेड की ओर से दायर एसएलपी पर विचार करते हुए यह निर्देश जारी किए।

    पीठ ने अपने आदेश में कहा,

    "यह विवादित नहीं है कि याचिकाकर्ता के पास इस स्तर पर फॉरेस्ट क्लियरेंस नहीं है। केवल इसलिए कि फॉरेस्ट क्लियरेंस के लिए आवेदन लंबित है, यह फॉरेस्ट क्लियरेंस प्राप्त नहीं माना जा सकता है, जिससे याचिकाकर्ता को खनन गतिविधि की अनुमति मिलती है। यथास्थिति के आदेश की आड़ में, जिस याचिकाकर्ता के पास मंजूरी नहीं है, उसे खनन गतिविधि करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। हाईकोर्ट ने यथास्थिति के आदेश को ठीक से नहीं बढ़ाया है।

    आदेश के आखिर में हम हाईकोर्ट से अनुरोध करते हैं कि आज से 6 महीने की अवधि के भीतर खनन गतिविधि में यथास्थिति जारी रखने वाले सभी मामलों का निर्णय और निस्तारण करें। एसएलपी को वापस लिए जाने के रूप में खारिज किया जाता है। रजिस्ट्री को इस आदेश को हाईकोर्ट के सीजे को तुरंत सूचित करने का निर्देश दिया जाता है।

    जब मामले को सुनवाई के लिए पेश किया गया था तो याचिकाकर्ता के वकील ने एसएलपी वापस लेने की मांग की थी।

    याचिकाकर्ता के फॉरेस्ट क्लियरेंस के बिना खनन गतिविधि करने के कृत्य पर आपत्ति जताते हुए पीठासीन जज जस्टिस शाह ने कहा,

    "हम वास्तव में एक सामान्य आदेश पारित करने जा रहे हैं जहां यथास्थिति आदेश पारित किया गया है, हम हाईकोर्ट को 6 महीने के भीतर तय करने का निर्देश देंगे। फॉरेस्ट क्लियरेंस के बिना, आप खनन कैसे कर सकते हैं?"

    जज द्वारा की गई टिप्पणी के जवाब में, याचिकाकर्ता के वकील ने कहा, "फॉरेस्ट क्लियरेंस के लिए मेरा आवेदन लंबित है। हमने समयसीमा को चुनौती दी है। हमने अयस्क की खुदाई की है और इसे लेने की अनुमति नहीं दी गई है।"

    हाईकोर्ट द्वारा फॉरेस्ट क्लियरेंस के बिना खनन की अनुमति देने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए पीठ ने कहा,

    "आपको अनुमति नहीं दी जा सकती है। यथास्थिति के आदेश के अनुसार, आपको खनन मंजूरी नहीं मिल सकती है। ऐसा नहीं किया जा सकता है। भले ही समय सीमा बढ़ा दी गई हो। हम हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर देंगे। जो कुछ भी फॉरेस्ट क्लियरेंस के बिना खुदाई की जाती है वह अवैध है। आपको उत्खनन जारी रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती

    यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि हाईकोर्ट यथास्थिति के आदेश पारित कर रहे हैं और फॉरेस्ट क्लियरेंस के बिना उत्खनन जारी रख रहे हैं।"

    केस शीर्षक: मैसर्स बालासोर अलॉयज लिमिटेड बनाम ओडिशा राज्य | Diary No 16747 of 2022

    Next Story