सर्विस के लिए उप-अनुबंध "मध्यस्थ" सेवा नहीं है: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने रिफंड का आदेश दिया

Shahadat

15 Nov 2022 6:23 AM GMT

  • सर्विस के लिए उप-अनुबंध मध्यस्थ सेवा नहीं है: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने रिफंड का आदेश दिया

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने जेनपैक्ट इंडिया के खिलाफ जीएसटी विभाग की मांग खारिज करते हुए कहा कि सेवा के लिए उप-अनुबंध "मध्यस्थ" सेवा नहीं है।

    जस्टिस तेजिंदर सिंह ढींडसा और जस्टिस दीपक मनचंदा की खंडपीठ ने कहा कि जेनपैक्ट इंडिया सीधे जेनपैक्ट इंटरनेशनल (जीआई) के विदेशी ग्राहकों को मुख्य सेवा प्रदान करती है, लेकिन ऐसे क्लाइंट से कोई पारिश्रमिक नहीं मिलता। यह जीआई है, जो उसके क्लाइंट द्वारा भुगतान किया जाता है, जिन्हें सीधे याचिकाकर्ता द्वारा सेवाएं प्रदान की जा रही हैं। यह दिखाने के लिए कुछ भी प्रकाश में नहीं लाया गया कि याचिकाकर्ता का जीआई के क्लाइंट के साथ सीधा अनुबंध है।

    याचिकाकर्ता/निर्धारिती, जेनपैक्ट इंडिया, हरियाणा जीएसटी प्राधिकरणों के साथ रजिस्टर्ड है और भारत के साथ-साथ भारत के बाहर स्थित क्लाइंट को सामूहिक रूप से बीपीओ सेवाओं के रूप में संदर्भित कई सेवाएं प्रदान करने में शामिल है।

    याचिकाकर्ता ने भारत के बाहर स्थित संस्था जीआई के साथ मास्टर सर्विसेज सब-कॉन्ट्रैक्टिंग एग्रीमेंट (एमएसए) किया। एमएसए की शर्तों के अनुसार, याचिकाकर्ता द्वारा प्रिंसिपल-टू-प्रिंसिपल आधार पर विभिन्न सेवाएं प्रदान की जानी हैं। भारत के बाहर स्थित जीआई के क्लाइंट के लिए बीपीओ सेवाओं के वास्तविक प्रदर्शन के लिए जीआई द्वारा याचिकाकर्ता को नियुक्त किया गया। व्यवस्था के लिए याचिकाकर्ता को भारत के बाहर स्थित तृतीय पक्षों को सौंपी गई प्रक्रियाओं और कार्यक्षेत्र को सीधे पूरा करने और प्रस्तुत करने की आवश्यकता है।

    याचिकाकर्ता ने लेटर ऑफ अंडरटेकिंग के तहत IGST के भुगतान के बिना सेवाओं की शून्य-रेटेड आपूर्ति के कारण अप्रयुक्त ITC की वापसी का दावा करते हुए हरियाणा GST अधिकारियों के साथ एक आवेदन दायर किया।

    अतिरिक्त आयुक्त सीजीएसटी (अपील) ने माना कि याचिकाकर्ता द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएं "मध्यस्थ सेवाओं" की प्रकृति की हैं और "सेवाओं के निर्यात" के रूप में योग्य नहीं हैं। अतिरिक्त आयुक्त सीजीएसटी (अपील) ने एकीकृत माल और सेवा कर के भुगतान के बिना सेवाओं की शून्य-रेटेड आपूर्ति करने में उपयोग किए गए अप्रयुक्त इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के रिफंड के दावे को खारिज कर दिया।

    याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि आईजीएसटी अधिनियम की धारा 2 (13) के तहत "मध्यस्थ" की परिभाषा के अनुसार, जो व्यक्ति "अपने खाते पर" सेवाएं प्रदान करता है, वह "मध्यस्थ" नहीं है। मुख्य सेवा के प्रदाता को "मध्यस्थ" की परिभाषा से स्पष्ट रूप से बाहर रखा गया। यह साबित करने के लिए रिकॉर्ड में कोई सबूत नहीं है कि याचिकाकर्ता ने मुख्य सेवा प्रदान नहीं की। किसी तीसरे पक्ष का कोई उल्लेख नहीं है कि याचिकाकर्ता ने "व्यवस्था" की और जिसने तब मुख्य सेवाएं प्रदान कीं। याचिकाकर्ता "अपने खाते में" सेवाएं प्रदान कर रहा है और जीआई और उसके क्लाइंट के बीच सेवाओं की आपूर्ति की सुविधा नहीं दे रहा है। याचिकाकर्ता सभी सेवाओं के साथ-साथ उनके प्रदर्शन और मूल्य निर्धारण से जुड़े सभी जोखिमों को प्रदान करने के लिए जिम्मेदार है।

    विभाग ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता जीआई की ओर से कार्य कर रहा है और सहायक सेवाओं की आपूर्ति कर रहा है ताकि जीआई व्यवसाय प्रक्रिया आउटसोर्सिंग, सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं, क्लाइंट के साथ संबंधों के प्रबंधन, क्लाइंट एग्रीमेंट और काम के बयानों और क्लाइंट की प्रकृति में मुख्य सेवाओं की आपूर्ति कर सके।

    अदालत ने याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता वह सेवाएं प्रदान कर रहा है, जो उसे जीआई द्वारा उप-ठेके पर दी गईं। यह उपठेकेदार के रूप में अपनी सेवाओं के लिए मुख्य ठेकेदार, जीआई से फीस प्राप्त करता है। मुख्य ठेकेदार यानी जीआई बदले में अपने क्लाइंट से उन मुख्य सेवाओं के लिए कमीशन प्राप्त कर रहा है, जो याचिकाकर्ता द्वारा उप-अनुबंध की व्यवस्था के अनुसार प्रदान की जाती हैं।

    केस टाइटल: जेनपैक्ट इंडिया प्रा. लिमिटेड बनाम भारत संघ और अन्य

    उद्धरण: सीडब्ल्यूपी-6048-2021 (ओ एंड एम)

    दिनांक: 11.11.2022

    याचिकाकर्ता के वकील: सीनियर एडवोकेट तरुण गुलाटी के साथ एडवोकेट रोहित सूद, सचित जॉली, दिशा झाम, कुमार संभव

    प्रतिवादी के लिए वकील: सीनियर सरकारी वकील शरण सेठी

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