'यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देशों का सख्ती से पालन करें कि गाय सहित अन्य मवेशियों का अनधिकृत और अनियंत्रित वध न हो': कलकत्ता हाईकोर्ट का नगर निगम को निर्देश
LiveLaw News Network
2 March 2021 1:15 PM IST
कलकत्ता हाईकोर्ट ने कोलकाता नगर निगम के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे गाय सहित मवेशियों के वध और वध के बाद, इन मवेशियों के मांस की बिक्री या मवेशियों का मांस बेचने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई करें।
मुख्य न्यायाधीश थोथाथिल बी. राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ ने निगम को अपने शपथ पत्र (न्यायालय के समक्ष दायर) में उल्लिखित उपायों को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया, ताकि गाय सहित मवेशियों का कोई अनधिकृत या अनियंत्रित वध न हो।
न्यायालय के समक्ष मामला
अदालत के समक्ष एक जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि विधायिका और सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित कानूनों का पालन किए बिना, बकरी-ईद के त्यौहार के दौरान बड़े पैमाने पर अंधाधुंध, अनधिकृत और अनियंत्रित, गाय सहित मवेशियों का वध होता है।
6 जनवरी, 2021 के एक आदेश से, कोर्ट ने कोलकाता नगर निगम के आयुक्त को एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया, जिसमें निगम को बताना था कि पश्चिम बंगाल में लागू पश्चिम बंगाल पशु वध नियंत्रण अधिनियम, 1950 और कोलकाता नगर निगम अधिनियम, 1980 से संबंधित प्रावधानों को कैसे प्रबंधित करता है।
इस दिशा में, आयुक्त द्वारा अदालत में हलफनामा दायर किया गया, जिसमें बताया गया था कि निगम क्या कार्रवाई कर रहा है या स्थिति का प्रबंधन कैसे करेगा।
इसका उल्लेख इस प्रकार है,
1. केएमसी ने पहले ही ईद-उल-ज़ोहा के अवसर पर जानवरों के वध के लिए स्थानों की पहचान करके निर्धारित किया गया है और केएमसी द्वारा पशुओं के वध के लिए निर्धारित किए स्थानों को समाचार पत्र प्रकाशन और कोलकाता की आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से सभी को प्रत्येक वर्ष ईद-उल- रखने की तारीख से कम-से-कम एक महीने पहले संबंधितों को सूचित किया जाएगा।
2. चूंकि केएमसी के 5 बूचड़खाने हैं, इसलिए उक्त नगरपालिका द्वारा बूचड़खानों के अलावा किसी भी दूसरी जगह को बूचड़खाने के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं देगी।
3. कसाई, मछली बेचना या मांस के व्यापार के लिए नगर आयुक्त से लाइसेंस लेने की व्यवस्था की जाएगी। अनुमति प्राप्त करने के बाद ही इस तरह का व्यापार किया जा सकता है अन्यथा नहीं किया जा सकता है।
4. किसी भी व्यक्ति को किसी जानवर के मांस को बेचने की अनुमति नहीं दी जाएगी, जब तक कि वध किए गए जानवर के चमड़ी पर विशेष तरीके से इस तथ्य के साथ टोकन के रूप में मुहर नहीं लगाया जाता है कि नगरपालिका द्वारा लाइसेंस प्राप्त है कसाईखाना में जानवर का वध किया गया है।
5. केएमसी और उसके अधिकारी उन स्थानों का निरीक्षण करने के लिए अपनी शक्तियों का प्रयोग कर सकते हैं, जहां पर जानवरों के अवैध वध का संदेह हो और प्रावधानों के उल्लंघन होने पर ऐसे जानवर या इस तरह के मांस या शव को जब्त किया जाता है।
6. नगर निगम के बूचड़खानों में पशु के वध की अनुमति दी जाएगी, केवल इस आशय का प्रमाण पत्र दिए जाने के बाद कि पशु वध करने योग्य है।
इसके अलावा, न्यायालय ने देखा, "यदि उपर्युक्त चरणों को निगम द्वारा सख्ती से लागू किया जाता है, तो स्थिति अच्छी तरह से नियंत्रण में होगी और जिससे गाय सहित मवेशियों का अनाधिकृत वध नहीं होगा, जो याचिकाकर्ता की शिकायत है।"
तदनुसार, न्यायालय ने कोलकाता नगर निगम को निर्देश दिया कि वह पूर्वोक्त हलफनामे में आयुक्त द्वारा बताए गए उपायों को सख्ती से लागू करे ताकि गाय सहित मवेशियों का कोई अनधिकृत या अनियंत्रित वध न हो।
अंत में, न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि अगर हलफनामे में दिए गए उपायों को सच्चे इरादे और सही तरीक से लागू नहीं किया जाता है और गाय सहित मवेशियों का अनाधिकृत रूप से वध हो रहा है, तो इसके लिए जिम्मेदार निगम के अधिकारियों को आधिकारिक कर्तव्यों का सही तरीके से निर्वाहन नहीं करने पर भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के साथ-साथ अन्य कानूनी कार्रवाई के लिए अवगत कराया जा सकता है।
केस का शीर्षक - राज्यश्री चौधरी बनाम पश्चिम बंगाल राज्य और अन्य [WPO / 372/2019]