"आवारा मवेशियों का खतरा अनुमान से बाहर हो गया है, इसके बारे में कुछ करें": गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा

Shahadat

21 Dec 2022 9:11 AM GMT

  • आवारा मवेशियों का खतरा अनुमान से बाहर हो गया है, इसके बारे में कुछ करें: गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से कहा

    गुजरात हाईकोर्ट ने मंगलवार को मौखिक रूप से राज्य सरकार से राज्य में आवारा मवेशियों की समस्या के संबंध में कुछ कार्रवाई करने को कहा। हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी यह देखते हुए की कि यह खतरा अनुमान से बाहर हो गया है।

    चीफ जस्टिस अरविंद कुमार की अगुवाई वाली पीठ ने एडवोकेट जनरल से कहा,

    "मंगलवार को राजकोट में रक्षाकर्मी पर हमला किया गया और उसकी हालत गंभीर है...यही मैंने टीवी पर देखा...यह मवेशी खतरे का मुद्दा बहुत बढ़ गया है। इसके लिए कुछ करें।

    इसके जवाब में राज्य के एडवोकेट जनरल ने पीठ की टिप्पणी से सहमति जताई और आश्वासन दिया कि राज्य इस संबंध में कार्रवाई करेगा।

    अनिवार्य रूप से, बेंच वर्तमान में अहमदाबाद और गुजरात के अन्य प्रमुख शहरों में आवारा मवेशियों के खतरे से संबंधित मुद्दों को उठाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।

    मामला मंगलवार को जब सुनवाई के लिए आया तो राज्य ने इस मामले में इस आधार पर स्थगन की मांग की कि वह वकील और पार्टी-इन-पर्सन याचिकाकर्ता अमित पांचाल द्वारा दिए गए सुझावों पर विचार कर रहा है, जिन्होंने अवमानना ​​याचिका में आवारा मवेशियों की समस्या को नियंत्रित करने के लिए राज्य के अधिकारियों को निर्देश देने वाले गुजरात हाईकोर्ट के आदेश के गैर-कार्यान्वयन का आरोप लगाया है।

    स्थगन के एजी के अनुरोध को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने मामले को 9 जनवरी को आगे की सुनवाई के लिए पोस्ट कर दिया।

    गौरतलब हो कि इस मामले में पूर्व में हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने राज्य और नगर प्रशासन से यह सुनिश्चित करने को कहा था कि शहरों और ग्रामीण इलाकों में आवारा मवेशी सड़कों पर नहीं पाए जाएं।

    अक्टूबर, 2022 में कोर्ट ने नरौदा में गाय की चपेट में आने से व्यक्ति की मौत पर भी संज्ञान लिया। दरअसल, हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि आवारा पशुओं की समस्या से निपटने के लिए राज्य सरकार के प्रयास काफी हद तक कागजों पर ही रह गए हैं।

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