'पुलिस को आपराधिक गतिविधियों की निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरों का एक्सेस करने से रोकना सार्वजनिक कर्तव्य में बाधा': बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार,लार्सन एंड टूर्बो को अनुबंध संबंधित विवाद को हल करने के लिए कहा

LiveLaw News Network

7 July 2021 2:59 AM GMT

  • पुलिस को आपराधिक गतिविधियों की निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरों का एक्सेस करने से रोकना सार्वजनिक कर्तव्य में बाधा: बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार,लार्सन एंड टूर्बो को अनुबंध संबंधित विवाद को हल करने के लिए कहा

    बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने कहा कि रखरखाव एजेंसी के कृत्य से आपराधिक गतिविधियों की निगरानी के लिए सार्वजनिक स्थानों पर स्थापित सीसीटीवी कैमरों तक पुलिस की पहुंच में रूकावट सार्वजनिक कर्तव्य में हस्तक्षेप है और कानून के अनुसार प्रथम दृष्टया संदिग्ध है।

    कोर्ट ने महाराष्ट्र राज्य और लार्सन एंड टूर्बो (इस मामले में रखरखाव एजेंसी) को 15 दिनों के भीतर सीसीटीवी रखरखाव के लिए बकाया भुगतान के संबंध में अपने अनुबंध संबंधी विवादों को सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटाने और निगरानी व्यवस्था को फिर से शुरू करने के लिए कहा है।

    न्यायमूर्ति अनिल एस किलोर और न्यायमूर्ति सुनील बी शुक्रे की खंडपीठ ने कहा कि,

    "अगर मॉनिटर और टीवी स्क्रीन खाली हो जाते हैं तो पुलिस अपराधियों की गतिविधियों को नियंत्रित और मॉनिटर करने में सक्षम नहीं होगी और वाहनों के आवागमन को सुचारू रूप से चलाने में भी असमर्थ होगी। इसका सामान्य रूप से समाज पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है। ऐसा लगता है कि धीरे-धीरे जनता को पुलिस द्वारा अपराधियों की गतिविधियों पर नियंत्रण खोने का पता चल जाएगा और भय की भावना पूरे समाज को जकड़ लेगी।"

    आगे कहा कि,

    "इसलिए हमारा विचार है कि अनुबंध के पक्षकारों सहित सभी संबंधित अधिकारियों द्वारा कुछ किया जाना चाहिए और यह कि उन्हें एक साथ मिलकर काम करना चाहिए और एक ही समय में सार्वजनिक हित सुनिश्चित करते हुए उनके बीच के विवाद को हल करना चाहिए और सार्वजनिक सुरक्षा की विधिवत रक्षा की जानी चाहिए।"

    पीठ ने यह आदेश स्वत: संज्ञान जनहित याचिका में एक तत्काल आवेदन के बाद दिया, जिसमें पीठ ने पहले नागपुर नगर निगम को नागपुर में सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने, अपराधियों की गतिविधियों की निगरानी, वाहनों और पैदल यातायात को सुव्यवस्थित करने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्देश दिया था। संभावित अपराधियों के मन में भी भय पैदा करता है।

    निर्देशों के अनुसार नागपुर स्मार्ट एंड सस्टेनेबल सिटी डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड नामक एक परियोजना शुरू की गई, जिसके बाद शहर में 3700 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए। हार्डवेयर कार्यप्रणाली सहित सीसीटीवी कैमरों के रखरखाव का कार्य लार्सन एंड टूर्बो को दिया गया था।

    कोर्ट को अनुबंध के तहत लार्सन एंड टूर्बो को बकाया राशि का भुगतान न करने के कुछ मुद्दों से अवगत कराया गया। एमिकस क्यूरी ने पीठ को सूचित किया कि हालांक पक्षकारों के बीच के मुद्दे परस्पर जुड़े हुए हैं, उन्हें जनहित को प्रभावित नहीं करना चाहिए क्योंकि एल एंड टी द्वारा पुलिस और संबंधित पक्षों द्वारा इन सीसीटीवी कैमरों तक पहुंच को रोकने के बाद सीसीटीवी कैमरे काम नहीं कर रहे थे।

    कोर्ट ने इस प्रकार कहा कि परिणाम जैसा कि एमिकस क्यूरी ने प्रस्तुत किया है और ठीक ही है, जनहित के लिए हानिकारक है। वास्तव में, यदि पुलिस को पहुंच प्रदान नहीं की जाती है, तो सीसीटीवी कैमरे लगाने का उद्देश्य ही विफल हो जाएगा और यह कैमरों की स्थापना के संबंध में इस न्यायालय द्वारा जारी निर्देशों की भावना के विरुद्ध भी जा सकता है।

    कोर्ट ने कहा कि सवाल यह है कि क्या लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड जैसी किसी रखरखाव एजेंसी को एक्सेस रोकने का अधिकार है और यदि नहीं, तो एक्सेस स्टॉपेज के ऐसे कार्य को कानून द्वारा कैसे देखा जाएगा? इस मोड़ पर, हम जवाब देने का कोई प्रयास करने से बचते हैं। अदालत ने आगे कहा कि जैसा कि हम सोचते हैं कि इस मुद्दे के समाधान का एक बेहतर तरीका उपलब्ध है और इसलिए राज्य और लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड दोनों को आपसी समझ विकसित करनी चाहिए।

    यह देखते हुए कि नियोक्ता और ठेकेदार के बीच कुछ संचार हुआ है, कोर्ट ने कहा कि नागपुर शहर में सार्वजनिक हित और सार्वजनिक सुरक्षा पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

    कोर्ट ने निर्देश दिया कि व्यापक जनहित को ध्यान में रखते हुए कि अब हम अनुबंध के पक्षकारों से इस मुद्दे को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल करने का आग्रह करते हैं और हम आगे परियोजना में शामिल सरकारी संस्थाओं से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध करते हैं कि सभी बकाया राशी और जिसके बारे में कोई विवाद नहीं है, लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड को जल्द से जल्द भुगतान किया जाए। हम आगे सरकारी संस्थाओं से उसी की ओर पहले कदम के रूप में भुगतान करने का अनुरोध करते हैं।

    कोर्ट ने निर्देश दिया कि भुगतान अगले 15 दिनों के भीतर किया जाए और अदालत ने सुनवाई 16 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी।

    केस टाइटल: कोर्ट का स्वत: संज्ञान मामला बनाम भारत संघ

    आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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