'अंतरंग आतंकवाद' बंद करो : लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा और बाल उत्पीड़न के मामले में बढ़ोतरी के ख़िलाफ़ दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका

LiveLaw News Network

18 April 2020 3:15 AM GMT

  • अंतरंग आतंकवाद बंद करो : लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा और बाल उत्पीड़न के मामले में बढ़ोतरी के ख़िलाफ़ दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका

    दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर अदालत से लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा और बच्चों के उत्पीड़न की घटनाओं को रोकने के लिए क़दम उठाने का आग्रह किया गया है।

    याचिका में अदालत से इन मामलों का संज्ञान लेने को कहा गया है क्योंकि आंकड़े बताते हैं कि इन घटनाओं में लॉकडाउन के दौरान वृद्धि हुई है। कई कारणों की वजह से महिलाओं को घर में इन मामलों का शिकार होना पड़ रहा है।

    याचिका में कहा गया है कि क्योंकि एक-दूसरे से दूरी बनाकर रहने को कहा गया है और लोगों से घर से बाहर नहीं निकलने का सुझाव दिया गया है, अपने पार्टनरों से होने वाली हिंसा की आशंका बढ़ गई है। महिलाओं की मुश्किल यह भी है कि उनको इस हिंसा से बचाने वाले लोगों से ज़्यादा संपर्क नहीं होता है। महामारी के दौरान घर में कई बातों का ख़याल रखे जाने के संदर्भ में महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा की आशंका बढ़ गई है।

    याचिका इंडिया काउंसिल ऑफ़ ह्यूमन राइट्स, लिबर्टीज़ एंड सोशल जस्टिस (एआईसीएचएलएस) ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि COVID 19 के फैलने के बाद से दुनिया भर में महिलाओं और बच्चों के मानसिक, शारीरिक और यौन स्वास्थ्य पर घरेलू हिंसा का ख़तरनाक प्रभाव पड़ रहा है।

    एआईसीएचएलएस ने अपनी याचिका में कुछ सुझाव दिए हैं और कहा है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 34, 51 और 65 के तहत इन्हें लागू किया जा सकता है।

    · पीड़ितों के डिस्ट्रेस कॉल को सुनने के लिए कोई नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाए।

    · 24 घंटे काम करने वाला क्षेत्रवार हॉट लाइन नंबर जारी किया जाए जिसे एनजीओ और दिल्ली सरकार चला सकती हैं।

    · सभी हेल्पलाइन नंबर का टीवी, सोशल मीडिया और अख़बारों, रेडियो, एसएमएस और टेली-कॉल के माध्यम से प्रचार-प्रसार किया जाए।

    · पीड़ित और उत्पीड़क दोनों को मुफ़्त ऑनलाइन टेली-काउंसलिंग की व्यवस्था हो।

    · दिल्ली के कुछ क्षेत्रों में घरेलू हिंसा के पीड़ितों के लिए सभी सुविधाओं से लैस अस्थाई शेल्टर होम बनाया जाए और इसका भी व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए।

    · जो लोग लॉकडाउन के दौरान इस तरह की हिंसा की जानकारी देते हैं उन्हें लॉकडाउन में छूट दी जाए।

    · घरेलू हिंसा के बारे में जानकारी देने के लिए आम सहमति से बिना घंटी के कॉल या कोड वर्ड की सुविधा विकसित की जाए ताकि पीड़ित इस बारे में शिकायत करे तो किसी को पता नहीं चल पाए।

    हाईकोर्ट से कहा गया है कि वह इन सुझावों पर ग़ौर करे ताकि घरेलू हिंसा के शिकार लोगों को राहत पहुंचाई जा सके।

    वक़ील मिथु जैन, अर्जुन सयाल और विदिशा कुमार के माध्यम से यह याचिका दायर की गई है।

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