'सभी संवैधानिक संस्थान जा चुके, लोग केवल अदालतों का रुख कर सकते हैं': सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने बीआरएस विधायक खरीद फरोख्त मामले में तेलंगाना हाईकोर्ट से कहा

Sharafat

10 Jan 2023 1:05 PM GMT

  • सभी संवैधानिक संस्थान जा चुके, लोग केवल अदालतों का रुख कर सकते हैं: सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने बीआरएस विधायक खरीद फरोख्त मामले में तेलंगाना हाईकोर्ट से कहा

    तेलंगाना हाईकोर्ट की खंडपीठ के समक्ष बीआरएस विधायकों की अवैध खरीद फरोख्त मामले की जांच सीबीआई को सौंपने के एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ एक अपील पर बहस करते हुए सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने मंगलवार को कहा कि सभी संवैधानिक संस्थान जा चुके हैं, न्यायपालिका पर इन दिनों सबसे ज्यादा भरोसा किया जाता है।

    दवे इस मामले में तेलंगाना राज्य की ओर से बहस कर रहे थे जहां वे इस बात पर जोर देने की कोशिश कर रहे थे कि देश की वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए इस देश के आम नागरिक केवल संवैधानिक न्यायालयों की ओर रुख कर सकते हैं।

    मुख्य न्यायाधीश उज्जल भुइयां और जस्टिस तुकारामजी की खंडपीठ के समक्ष दवे ने प्रस्तुत किया,

    " मैं वास्तव में मानता हूं कि 1857 और 1947 के बीच भारत के लोगों ने जो बलिदान दिया वह अकल्पनीय है। आज हम जो देख रहे हैं वह केवल जुमला है। हम केवल संवैधानिक अदालतों की ओर रुख कर सकते हैं।"

    दवे ने अवैध खरीद फरोख्त मामले का जिक्र करते हुए प्रस्तुत किया,

    “तेलंगाना में लाखों लोगों ने टीआरएस को वोट क्यों दिया? उनके द्वारा किए गए वादों के कारण। अब, आप उस सरकार को गिराने की कोशिश कर रहे हैं और लोगों की पसंद को नष्ट किया जा रहा है।”

    उन्होंने कहा, 'आज के हालात में फ्लोर टेस्ट भी फेल साबित हुआ है। यह लोकतंत्र के अस्तित्व और इस देश के अस्तित्व के बारे में है। यदि कानून के शासन को इस हद तक गिरने दिया जाता है। संसदीय बहस के दौरान, सदस्यों ने कहा कि विपक्ष एक लोकतंत्र में मिसाल है। हमारे पूर्वज विपक्ष चाहते थे। अदालतों को भी एक अभिनव दृष्टिकोण अपनाना होगा।”

    क्या है पूरा मामला?

    पिछ्ले साल 26 अक्टूबर को तंदूर विधानसभा के विधायक, पायलट रोहित रेड्डी ने एक एफआईआर दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया कि तीन आरोपी व्यक्तियों ने उनसे मुलाकात की और उन्हें तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव नहीं लड़ने के लिए कहा। इसके बजाय, उन्हें कथित तौर पर क्षेत्रीय पार्टी से इस्तीफा देने और भाजपा में शामिल होने के लिए कहा गया और केंद्र सरकार के अनुबंध कार्यों के अलावा 100 करोड़ रुपये की राशि की पेशकश की गई।

    रेड्डी ने आगे आरोप लगाया कि आरोपी व्यक्तियों ने उनके प्रस्ताव पर सहमत नहीं होने की स्थिति में उन पर आपराधिक मामले दर्ज करने की धमकी दी। उनकी शिकायत के अनुसार, मोइनाबाद पुलिस स्टेशन ने आईपीसी की धारा 120बी, 171बी, 171ई, और 506 के साथ आईपीसी की धारा 34 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 8 के तहत एफआईआर दर्ज की।

    इसके बाद, भाजपा ने तेलंगाना हाईकोर्ट के एकल न्यायाधीश के समक्ष एक रिट याचिका दायर की जिसमें स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए मामले की जांच एसआईटी को सौंपने की प्रार्थना की गई। 15 नवंबर को, तेलंगाना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल को विधायक अवैध खरीद फरोख्त मामले की जांच जारी रखने की अनुमति दी और यह भी आदेश दिया कि अदालत का एक एकल न्यायाधीश जांच की प्रगति की निगरानी करेगा।

    सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि, 21 नवंबर को तेलंगाना हाईकोर्ट द्वारा पारित निर्देशों को रद्द कर दिया। 25 नवंबर को तेलंगाना हाईकोर्ट ने कथित टीआरएस विधायकों की अवैध फरीद-फरोख्त मामले विशेष जांच दल द्वारा भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव बी.एल. संतोष को जारी नोटिस पर रोक लगा दी थी।

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